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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, हत्या के आरोपी की आजीवन कारावास की सजा रद्द - मुजफ्फनगर राजपाल रिहा आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को हत्या के आरोपी की आजीवन कारावास की सजा रद्द कर दी. अदालत ने मुजफ्फनगर के राजपाल को रिहा करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि हत्या का अपराध संदेह से परे साबित होना जरूरी है.

allahabad high court order
हत्या की आरोपी की आजीवन कारावास की सजा रद्द
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Published : Jan 27, 2022, 10:54 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को मुजफ्फनगर के राजपाल को हत्या के आरोप से बरी कर दिया. हाईकोर्ट ने सत्र अदालत की आजीवन कैद की सजा को रद्द कर रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह आदेश अभियोजन पक्ष के हत्या के आरोप को संदेह से परे स‌ाबित करने में नाकाम रहने के आधार पर दिया.

कोर्ट ने कहा केवल परिस्थिति जन्य संदेह के आधार पर हत्या का आरोप साबित नहीं होता. उसके लिए ठोस सबूत होने चाहिए. न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता तथा न्यायमूर्ति ओमप्रकाश त्रिपाठी की खंड पीठ ने राजपाल की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए दिया.

रामफल के बेटे बब्लू ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके पिता ने राजपाल को चार बीघा जमीन बेची थी. इसके एवज में एक लाख रुपये, ट्रैक्टर-ट्राली तथा एक मशीन देने का राजपाल ने वादा किया था, लेकिन वो वायदे से मुकर गया. आरोपी 29 जून 2001 को उसके घर आया और उसके पिता को ईंट बेचने के लिए हरिद्वार साथ लेकर गया.

ये भी पढ़ें- महिला ने बरेली में बेटी को जन्म दिया, नाराज पति ने धारदार हथियार से हमला कर किया लहूलुहान

1 जुलाई 2001 को राजपाल ने रात 2 बजे बब्लू को बताया कि उसके पिता ने अत्याधिक शराब पी ली है. उनको सांस लेने में दिक्कत है. मौके पर रामफल मरा हुआ पाया गया. उसके शरीर पर चोट के निशान थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शराब पीने का साक्ष्य नहीं मिला. रामफल के कपड़े पर खून लगा था, किन्तु ट्रैक्टर ट्राली में या जमीन पर खून नहीं लगा था. पुलिस ने सही विवेचना नहीं की. अभियुक्त के खिलाफ मजबूत संदेह तो है, किन्तु पुख्ता सबूत नहीं है कि उसी ने हत्या की थी.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को मुजफ्फनगर के राजपाल को हत्या के आरोप से बरी कर दिया. हाईकोर्ट ने सत्र अदालत की आजीवन कैद की सजा को रद्द कर रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह आदेश अभियोजन पक्ष के हत्या के आरोप को संदेह से परे स‌ाबित करने में नाकाम रहने के आधार पर दिया.

कोर्ट ने कहा केवल परिस्थिति जन्य संदेह के आधार पर हत्या का आरोप साबित नहीं होता. उसके लिए ठोस सबूत होने चाहिए. न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता तथा न्यायमूर्ति ओमप्रकाश त्रिपाठी की खंड पीठ ने राजपाल की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए दिया.

रामफल के बेटे बब्लू ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके पिता ने राजपाल को चार बीघा जमीन बेची थी. इसके एवज में एक लाख रुपये, ट्रैक्टर-ट्राली तथा एक मशीन देने का राजपाल ने वादा किया था, लेकिन वो वायदे से मुकर गया. आरोपी 29 जून 2001 को उसके घर आया और उसके पिता को ईंट बेचने के लिए हरिद्वार साथ लेकर गया.

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1 जुलाई 2001 को राजपाल ने रात 2 बजे बब्लू को बताया कि उसके पिता ने अत्याधिक शराब पी ली है. उनको सांस लेने में दिक्कत है. मौके पर रामफल मरा हुआ पाया गया. उसके शरीर पर चोट के निशान थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शराब पीने का साक्ष्य नहीं मिला. रामफल के कपड़े पर खून लगा था, किन्तु ट्रैक्टर ट्राली में या जमीन पर खून नहीं लगा था. पुलिस ने सही विवेचना नहीं की. अभियुक्त के खिलाफ मजबूत संदेह तो है, किन्तु पुख्ता सबूत नहीं है कि उसी ने हत्या की थी.

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