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आरोपी को गिरफ्तार न करने की गाइडलाइंस का पालन करे पुलिस: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को लोक‌ संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में आरोपी की गिरफ्तारी न करने की गाइडलाइंस का पालन करने का आदेश दिया.

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Published : Jul 2, 2022, 10:23 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सात साल तक की सजा वाले आरोपों के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन किया जाए. कोर्ट ने कहा कि याची के मामले में भी सात साल तक की सजा वाले अपराध के आरोपियों की गिरफ्तारी न करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश लागू होंगे.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने मऊ के लालता प्रसाद की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका को निस्तारित करते हुए दिया. याचिका पर अधिवक्ता आरएन यादव और अभिषेक कुमार यादव ने बहस की. उसका कहना था कि उसे झूठा फंसाया गया है, इसलिए 17 जून 22 को मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज एफआईआर रद्द की जाए.

ये भी पढ़ें- बिजली उपभोक्ता बने साइबर क्रिमिनल का सॉफ्ट टारगेट, पावर कारपोरेशन ने किया आगाह

याची पर लोक संपत्ति निवारण कानून और दंड संहिता के तहत अपराधों के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है. यह भी कहना था कि धारा 41ए के अनुसार तथा सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस को देखते हुए सात साल तक के सजा वाले अपराधों में गिरफ्तारी नहीं करने का निर्देश है, जिसका पालन कराया जाए.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सात साल तक की सजा वाले आरोपों के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन किया जाए. कोर्ट ने कहा कि याची के मामले में भी सात साल तक की सजा वाले अपराध के आरोपियों की गिरफ्तारी न करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश लागू होंगे.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने मऊ के लालता प्रसाद की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका को निस्तारित करते हुए दिया. याचिका पर अधिवक्ता आरएन यादव और अभिषेक कुमार यादव ने बहस की. उसका कहना था कि उसे झूठा फंसाया गया है, इसलिए 17 जून 22 को मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज एफआईआर रद्द की जाए.

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याची पर लोक संपत्ति निवारण कानून और दंड संहिता के तहत अपराधों के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है. यह भी कहना था कि धारा 41ए के अनुसार तथा सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस को देखते हुए सात साल तक के सजा वाले अपराधों में गिरफ्तारी नहीं करने का निर्देश है, जिसका पालन कराया जाए.

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