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नरेंद्र गिरि आत्महत्या नहीं कर सकते, आनंद गिरी इस मामले में शामिल नहीं: यति नरसिंहानंद - up news in hindi

अलीगढ़ पहुंचे डासना पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद महाराज ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरी बड़ी शख्सियत थे और इतने संघर्षों को झेल कर बड़े पद पर बैठा व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता. यह सुसाइड नहीं है इसलिए इसमें योगगुरु आनंद गिरी का कोई इंवॉल्वमेंट नहीं है.

narendra giri cannot commit suicide says yeti narasimhanand maharaj in aligarh
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Published : Sep 23, 2021, 7:02 PM IST

अलीगढ़: अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी को नौरंगाबाद स्थित हिंदू महासभा कार्यालय में गुरुवार को श्रद्धांजलि सभा हुई. इसमें डासना पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद महाराज ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरी बड़ी शख्सियत थे और इतने संघर्षों को झेल कर बड़े पद पर बैठा व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता. उन्होंने योग गुरु आनंद गिरि का बचाव करते हुए कहा कि यह आत्महत्या नहीं है. उनकी हत्या हुई है. यती नरसिंहानंद ने बताया कि वे महंत नरेंद्र गिरी से कई बार मिल चुके थे. उन्होंने कहा कि यह सुसाइड नहीं है. इसलिए इसमें योगगुरु आनंद गिरि का कोई इंवॉल्वमेंट नहीं है. उन्होंने कहा कि महंत नरेंद्र गिरी महाराज आत्महत्या नहीं कर सकते. यह संभव नहीं है. यह सुनियोजित षड्यंत्र है. इसकी जांच होनी चाहिए. इसमें आनंद गिरी का दोष नहीं है. जिस तरह से पिता-पुत्र के विवाद होते हैं, उसी तरह से नरेंद्र गिरी के आनंद गिरी से विवाद थे. गुरु-शिष्य और भाई-भाई में भी विवाद होता है लेकिन आनंद गिरी उनकी हत्या नहीं कर सकते.

ईटीवी भारत से बात करते डासना पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद महाराज
उन्होंने कहा कि जहां संपत्ति है. वहां विवाद होता है. यह गहन जांच का विषय है. महंत नरेन्द्र गिरी बहुत मजबूत इरादों के संत थे. कमजोर मनोबल के व्यक्ति नहीं थे. अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद की राजनीति भी बहुत बड़े स्तर पर होती है. देश के प्रधानमंत्री से लेकर हर व्यक्ति उससे परिचित होता है. उन्होंने आत्महत्या नहीं की है. पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रॉपर्टी को लेकर आज सनातन समाज टूट का शिकार है. यह बड़ी विडंबना है कि संपत्ति के लालच में रिश्तों की मर्यादा को रखने में नाकामयाब हो रहे हैं. हम अपने बच्चों को वह संस्कार नहीं दे पा रहे है. यह बड़ी विडंबना है. जो समाज के लिए अच्छी बात नहीं है. केवल मठ और मंदिर दोषी नहीं ठहराये जा सकते. आखिर सन्यासी भी उसी समाज का अंग है. उन्होंने कहा कि आजकल सन्यासी वह नहीं है जो तपस्या कर रहे हैं. आजकल सन्यासी वह है जो चमक-दमक में दिखाई दे रहे हैं. लेकिन सन्यासी सनातन के धर्मगुरु है. सभी लोग खराब नहीं हैं. कुछ लोग खराब हैं, जिन्होंने सारे तालाब को गंदा किया है. लेकिन सभी लोग खराब नहीं है. सन्यासियों को सन्यास के नियमों को दोबारा स्थापित करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जो बदनाम संत है. उनसे सनातन की क्षति हो रही है. महंत नरेंद्र गिरी ने जो बदनाम संतों की लिस्ट बनाई थी. वह सही थी और मैं उसका समर्थक हूं. लेकिन उसमें कुछ नाम गलत थे. जैसे असीमानंद और आसाराम बापू का भी नाम था, जो कि षड्यंत्र के जरिए फंसाए गये. उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद अपना काम कर रही है . महंत नरेंद्र गिरी अच्छे संत थे और उनकी मृत्यु होना बहुत बड़ा आघात है. संतो और महंतों के लग्जरी लाइफ पर उन्होंने कहा कि जैसा समाज होगा, वैसा ही संत बनेगा. आजकल संत तपस्या नहीं कर रहे हैं. नेताओं के साथ संतो की भी सीडी आ रही हैं. समाज गिर गया है. इंटरनेट का युग है और सीडी बनाना आसान है. पहले बहुत सी बातें छिप जाती थी. अब जनता के बीच सब बातें आ जाती हैं. उन्होंने कहा कि दोबारा ऋषि परंपरा को सोचने की जरूरत है. आजकल सन्यासी जंगल में नहीं बल्कि आश्रम में रहते हैं. संन्यास नियमों को दोबारा प्रतिपादित करने की जरूरत है .उन्होंने कहा कि सन्यासी को अब गृहस्थ जीवन धारण करना चाहिए. जो पत्नी के साथ रह सकें. हर महंत को आश्रम में पत्नी के साथ रहना चाहिए. महंत को इसकी पवित्रता भी बनाए रखना चाहिए. अब वह जमाना नहीं रहा, जब महंत अकेले रह सकें. आज प्राप्रटी को लेकर उनकी जान को खतरा बन गया है. समय बहुत खराब चल रहा है. महंतों के लिए शुचिता बहुत जरूरी है. अगर बिना नारी के नहीं रह सकते. तो शादी करें. शुचिता से रहें और पत्नी रखें ताकि कोई ब्लैकमेल न कर सकें. वहीं निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि धन-संपत्ति के विवाद का परिणाम हमारे सामने हैं. आज अखाड़े संतों के न होकर राजनीतिक अखाड़े बन गए हैं और मठों में राजनीति हावी हो जाती है. विवाद होना स्वाभाविक है क्योंकि नेताओं और भू-माफियाओं के साथ समझौता हो जाता है. उन्होंने कहा कि मठों और अखाड़ों में राजनीतिक नेताओं का कोई काम नहीं है. अखाड़ों में राजनीति का मिश्रण नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो असली संत हुआ करते थे. उनकी पीढ़ी अब समाप्ति की ओर है. उन्होंने बताया कि आज भी हरिद्वार में ऐसे संत हैं. जिनके पास अरबों करोड़ों की संपत्ति है. वे चटाई पर या एक कमरे में रहते हैं. लेकिन आज महंत विलासिता और लग्जरी लाइफ को जी रहे हैं.ये भी पढ़ें- यूपी में गुंडों की सरकार से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती: चंद्रशेखर आजाद


अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि बेईमानी भी ईमानदारी से करनी चाहिए. अगर आप सन्यासी जीवन को जी रहे हैं तो उसके भी सिद्धांत होने चाहिए. आज महंत केवल चरित्र से मात खा रहे हैं. महंत नरेंद्र गिरी ने भी अपने सुसाइड नोट में सीडी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पुरुष को महिला का सम्मान और महिला को पुरुष का सम्मान करना चाहिए. हमारे राजा लोग 3-4 रानियां रखते थे. उन्होंने कहा कि महिलाओं को भी व्यापक बनना पड़ेगा और रूढ़िवादिता को त्यागना पड़ेगा. संत भी ऋषि परंपरा का पालन करें .ब्रम्हचर्य का ठप्पा लेना आवश्यक नहीं है. महंत अपनी पत्नी को साथ में रखें. अगर भूलवश विश्वामित्र की तरह कोई गलती हो गई है. तो उसको स्वीकार करें और उससे संतान पैदा करके हिंदू समाज को आगे बढ़ाइए. इस पर कोई आपत्ति नहीं है और ऐसे लोगों का सम्मान हम करेंगे. इसमें महिला का भी सम्मान होगा और महंत का भी सम्मान बच जाएया. उन्होंने कहा कि मठ मंदिरों की संपत्ति में पारदर्शिता आए और इसके क्रय विक्रय पर रोक लगाई जाए.

अलीगढ़: अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी को नौरंगाबाद स्थित हिंदू महासभा कार्यालय में गुरुवार को श्रद्धांजलि सभा हुई. इसमें डासना पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद महाराज ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरी बड़ी शख्सियत थे और इतने संघर्षों को झेल कर बड़े पद पर बैठा व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता. उन्होंने योग गुरु आनंद गिरि का बचाव करते हुए कहा कि यह आत्महत्या नहीं है. उनकी हत्या हुई है. यती नरसिंहानंद ने बताया कि वे महंत नरेंद्र गिरी से कई बार मिल चुके थे. उन्होंने कहा कि यह सुसाइड नहीं है. इसलिए इसमें योगगुरु आनंद गिरि का कोई इंवॉल्वमेंट नहीं है. उन्होंने कहा कि महंत नरेंद्र गिरी महाराज आत्महत्या नहीं कर सकते. यह संभव नहीं है. यह सुनियोजित षड्यंत्र है. इसकी जांच होनी चाहिए. इसमें आनंद गिरी का दोष नहीं है. जिस तरह से पिता-पुत्र के विवाद होते हैं, उसी तरह से नरेंद्र गिरी के आनंद गिरी से विवाद थे. गुरु-शिष्य और भाई-भाई में भी विवाद होता है लेकिन आनंद गिरी उनकी हत्या नहीं कर सकते.

ईटीवी भारत से बात करते डासना पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद महाराज
उन्होंने कहा कि जहां संपत्ति है. वहां विवाद होता है. यह गहन जांच का विषय है. महंत नरेन्द्र गिरी बहुत मजबूत इरादों के संत थे. कमजोर मनोबल के व्यक्ति नहीं थे. अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद की राजनीति भी बहुत बड़े स्तर पर होती है. देश के प्रधानमंत्री से लेकर हर व्यक्ति उससे परिचित होता है. उन्होंने आत्महत्या नहीं की है. पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रॉपर्टी को लेकर आज सनातन समाज टूट का शिकार है. यह बड़ी विडंबना है कि संपत्ति के लालच में रिश्तों की मर्यादा को रखने में नाकामयाब हो रहे हैं. हम अपने बच्चों को वह संस्कार नहीं दे पा रहे है. यह बड़ी विडंबना है. जो समाज के लिए अच्छी बात नहीं है. केवल मठ और मंदिर दोषी नहीं ठहराये जा सकते. आखिर सन्यासी भी उसी समाज का अंग है. उन्होंने कहा कि आजकल सन्यासी वह नहीं है जो तपस्या कर रहे हैं. आजकल सन्यासी वह है जो चमक-दमक में दिखाई दे रहे हैं. लेकिन सन्यासी सनातन के धर्मगुरु है. सभी लोग खराब नहीं हैं. कुछ लोग खराब हैं, जिन्होंने सारे तालाब को गंदा किया है. लेकिन सभी लोग खराब नहीं है. सन्यासियों को सन्यास के नियमों को दोबारा स्थापित करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जो बदनाम संत है. उनसे सनातन की क्षति हो रही है. महंत नरेंद्र गिरी ने जो बदनाम संतों की लिस्ट बनाई थी. वह सही थी और मैं उसका समर्थक हूं. लेकिन उसमें कुछ नाम गलत थे. जैसे असीमानंद और आसाराम बापू का भी नाम था, जो कि षड्यंत्र के जरिए फंसाए गये. उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद अपना काम कर रही है . महंत नरेंद्र गिरी अच्छे संत थे और उनकी मृत्यु होना बहुत बड़ा आघात है. संतो और महंतों के लग्जरी लाइफ पर उन्होंने कहा कि जैसा समाज होगा, वैसा ही संत बनेगा. आजकल संत तपस्या नहीं कर रहे हैं. नेताओं के साथ संतो की भी सीडी आ रही हैं. समाज गिर गया है. इंटरनेट का युग है और सीडी बनाना आसान है. पहले बहुत सी बातें छिप जाती थी. अब जनता के बीच सब बातें आ जाती हैं. उन्होंने कहा कि दोबारा ऋषि परंपरा को सोचने की जरूरत है. आजकल सन्यासी जंगल में नहीं बल्कि आश्रम में रहते हैं. संन्यास नियमों को दोबारा प्रतिपादित करने की जरूरत है .उन्होंने कहा कि सन्यासी को अब गृहस्थ जीवन धारण करना चाहिए. जो पत्नी के साथ रह सकें. हर महंत को आश्रम में पत्नी के साथ रहना चाहिए. महंत को इसकी पवित्रता भी बनाए रखना चाहिए. अब वह जमाना नहीं रहा, जब महंत अकेले रह सकें. आज प्राप्रटी को लेकर उनकी जान को खतरा बन गया है. समय बहुत खराब चल रहा है. महंतों के लिए शुचिता बहुत जरूरी है. अगर बिना नारी के नहीं रह सकते. तो शादी करें. शुचिता से रहें और पत्नी रखें ताकि कोई ब्लैकमेल न कर सकें. वहीं निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि धन-संपत्ति के विवाद का परिणाम हमारे सामने हैं. आज अखाड़े संतों के न होकर राजनीतिक अखाड़े बन गए हैं और मठों में राजनीति हावी हो जाती है. विवाद होना स्वाभाविक है क्योंकि नेताओं और भू-माफियाओं के साथ समझौता हो जाता है. उन्होंने कहा कि मठों और अखाड़ों में राजनीतिक नेताओं का कोई काम नहीं है. अखाड़ों में राजनीति का मिश्रण नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो असली संत हुआ करते थे. उनकी पीढ़ी अब समाप्ति की ओर है. उन्होंने बताया कि आज भी हरिद्वार में ऐसे संत हैं. जिनके पास अरबों करोड़ों की संपत्ति है. वे चटाई पर या एक कमरे में रहते हैं. लेकिन आज महंत विलासिता और लग्जरी लाइफ को जी रहे हैं.ये भी पढ़ें- यूपी में गुंडों की सरकार से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती: चंद्रशेखर आजाद


अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि बेईमानी भी ईमानदारी से करनी चाहिए. अगर आप सन्यासी जीवन को जी रहे हैं तो उसके भी सिद्धांत होने चाहिए. आज महंत केवल चरित्र से मात खा रहे हैं. महंत नरेंद्र गिरी ने भी अपने सुसाइड नोट में सीडी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पुरुष को महिला का सम्मान और महिला को पुरुष का सम्मान करना चाहिए. हमारे राजा लोग 3-4 रानियां रखते थे. उन्होंने कहा कि महिलाओं को भी व्यापक बनना पड़ेगा और रूढ़िवादिता को त्यागना पड़ेगा. संत भी ऋषि परंपरा का पालन करें .ब्रम्हचर्य का ठप्पा लेना आवश्यक नहीं है. महंत अपनी पत्नी को साथ में रखें. अगर भूलवश विश्वामित्र की तरह कोई गलती हो गई है. तो उसको स्वीकार करें और उससे संतान पैदा करके हिंदू समाज को आगे बढ़ाइए. इस पर कोई आपत्ति नहीं है और ऐसे लोगों का सम्मान हम करेंगे. इसमें महिला का भी सम्मान होगा और महंत का भी सम्मान बच जाएया. उन्होंने कहा कि मठ मंदिरों की संपत्ति में पारदर्शिता आए और इसके क्रय विक्रय पर रोक लगाई जाए.

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