आगरा: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) से पहले ताजनगरी में एक शख्स ने अलग तरह की प्रतिज्ञा की है. क्षेत्र में जलभराव और खस्ताहाल सड़कें के विरोध में एक ग्रामीण ने अपनी शिखा न काटने और न बांधने के साथ अविवाहित रहने का फैसला किया है. जी हां, धनौली ग्राम पंचायत के गोस्वामी अंजेश गिरी की. गोस्वामी अंजेश गिरी लगातार 58 दिन से धनौली में चल रहे अनिश्चितकालीन धरना में शामिल हैं.
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में गोस्वामी अंजेश गिरी ने बताया कि मैंने दो साल पहले प्रण लिया था कि जब तक जलभराव की समस्या का समाधान नहीं हो जाएगा. मैं अपनी शिखा नहीं बांधूगा. न कटवाउंगा. इतना ही नहीं, मैंने यह भी प्रण लिया था कि जब तक यहां पक्की सड़क नहीं बन जाती. तब तक मैं अविवाहित रहूंगा और सन्यासी रहूंगा.
आगरा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के गांव धनौली में 58 दिन से महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग जलभराव और खस्ताहाल सड़क की समस्या को लेकर अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं. धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहीं समाजसेवी सावित्री चाहर ने पहली भूसमाधि ली थी. फिर समाजसेवी प्रेम सिंह ने सोमवार को भूसमाधि ली, तो अधिकारियों ने उन्हें समझा-बुझाकर के भूसमाधि से बाहर निकाला. इनको आश्वासन दिया गया, लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं होता दिखाई दे रहा है.
गोस्वामी अंजेश गिरी का कहना है कि 4 साल से स्थानीय निवासी जलभराव और खस्ताहाल सड़क की समस्या को लेकर परेशान हैं. लगातार जनप्रतिनिधि और अधिकारियों से शिकायत की जा रही है. लेकिन, समाधान नहीं हो रहा है. 2 साल पहले मैं भी इस आंदोलन में जुड़ा हूं. मैंने प्रण किया है कि जब तक जलभराव की समस्या का निदान नहीं होगा. मैं अपनी शिखा को नहीं बाधूंगा. ना ही शिखा को कटवाउंगा. इतना ही नहीं, मैं 30 साल का हो गया हूं.
मैंने अभी शादी नहीं की है. मैंने तब यह भी प्रण किया है कि जब तक यहां पर पक्की सड़क नहीं बन जाएगी. तब तक मैं अविवाहित रहूंगा और सन्यासी जीवन बिताउंगा और लोगों के साथ मिलकर समस्या के समाधान का प्रयास करूंगा. हम 58 दिन से आंदोलन कर रहे हैं. यह आंदोलन तभी खत्म होगा, जब यहां की जलभराव की समस्या का समाधान होगा. पक्के नाले बन जाएंगे. पक्की सड़क बन जाएगी. गलियां बन जाएंगी और नालियां बन जाएंगी.
गोस्वामी अंजेश गिरी ने कहा कि मेरे रिश्ते के लिए लोग आए थे. यहां जलभराव देखा तो लड़की के घरवालों ने मेरे मुंह पर मेरा तिरस्कार किया था. मेरा अपमान हुआ था. उन्होंने कहा था कि आप गंदी जगह पर रहते हो. ऐसी गंदी जगह पर मैं लड़की नहीं दे सकता हूं. आपके घर तक आने की सड़क ही नहीं है. गंदगी ही, गंदगी है. ऐसे हम यहां पर अपनी बेटी का रिश्ता नहीं करेंगे. यहां पैदल नहीं निकल सकते हैं. वहां गाड़ी से कैसे आएंगे. मैं ही नहीं, यहां तमाम ऐसे युवा हैं. जो शादी योग्य हैं, जो लगातार इस तरह के तिरस्कार को सह रहे हैं और अभी तक अविवाहित हैं.
उन्होंने कहा कि मैं लगातार सभी लोगों के साथ मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए लगातार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से संपर्क कर रहा हूं. पत्राचार भी किया जा रहा है. एक-एक अधिकारी को 16-16 बार पत्राचार किया गया है. लेकिन अभी तक समस्या जस की तस है. मैं भी देखना चाहता हूं कि अंधी, गूंगी, बहरी सरकार और अधिकारी कब तक हमें इसी तरह से यातनाएं देते रहेंगे. क्योंकि मैं गांधीवादी हूं. गांधीजी ने भी बहुत यातनाएं सही थी. यहां पर 4 मैरिज होम हैं. लेकिन उनमें बुकिंग भी नहीं होती है. लंबे अरसे से हमने यहां बारात जाते नहीं देखी है.
स्थानीय महिला ने बताया कि मैंने अपनी बेटी की शादी घर से की थी. लड़के वालों ने खूब महंगे बैंड बाजे भी किए थे. लेकिन जलभराव की वजह से बैंड बाजे रास्ते ही से लौट गए. मेरे दरवाजे तक बारात भी नहीं आई थी. इतना ही नहीं, लड़की जब शादी के बाद ससुराल पहुंची, तो उसके ससुराल के लोगों ने भी यहां के जलभराव, गंदगी और खस्ताहाल सड़कों लेकर बेटी को ताने दिए थे.
गंदगी के चलते वो लोग बेटी को यहां भेजते तक भी नहीं है. बुजुर्ग महिला ने कहा कि यहां जलभराव और खस्ताहाल सड़क की समस्या के चलते अपनी बेटियों की शादियां दूसरी जगह की थी. मेरे भाई ने भी यहां भात लेकर आने से इनकार कर दिया था. देवरानी की बेटी की शादी में बाराती जलभराव में गिर गए थे.
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स्थानीय निवासी ने बताया कि अभी रक्षाबंधन की ही बात है. खस्ताहाल सड़क और जलभराव के चलते मेरी बहन ने राखी बांधने को घर आने से साफ इंकार कर दिया था. कहा था कि मैं राखी बांधने आ रही हूं. लेकिन आप घर से दूर मुख्य मार्ग पर आ जाइए. बहन से राखी बनवाने के लिए मैं मुख्य मार्ग पर गया था, लेकिन बहन घर नहीं आई. यह मेरे साथ ही नहीं हुआ. यहां की कई बेटियां जलभराव, दलदल और खस्ताहाल सड़क के चलते मायके ही नहीं आना चाहती हैं.
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