आगरा: ताजनगरी में अनुपम उपवन बनाया गया है. पौधों की कतारों की जगह में ऑर्गेनिक हरी सब्जियां उगाई जा रही हैं. हर दिन 'अनुपम उपवन' से 200 से 300 किलोग्राम ऑर्गेनिक मौसमी हरी सब्जियां मिल रही हैं. इसमें गाजर, मूली, लौकी, कद्दू, खीरा, शलजम, चुकंदर, टमाटर, धनिया, पालक, मैथी, बेगन, मिर्च, शिमला मिर्च और आलू शामिल हैं.
जानकारी देते अनुपम उपवन के प्रोजेक्ट मैनेजर दीपक कुमार आगरा में दयालबाग शिक्षण संस्थान की ओर से 100 एकड़ बंजर भूमि पर बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित किया जा रहा है. इसमें देशभर से फल और फूल वाले पौधे लगाए गए हैं. एसटीपी से निकले गए पानी को इस्तेमाल किया जा रहा है. यहां पर 90% पौधे जीवित हैं. यह पार्क छात्र और शिक्षक मिलकर विकसित कर रहे हैं.
अनुपम उपवन के प्रोजेक्ट मैनेजर दीपक कुमार ने बताया कि 100 एकड़ में 'अनुपम उपवन' विकसित किया जा रहा है. इसमें 45 तरह के फल देने वाले, छायादार और फूल देने वाले पौधों का पौधरोपण किया गया है. हमने 40 दिन में 60 एकड़ में 20 हजार पौधे लगाए. अब 100 एकड़ के बायोडायवर्सिटी पार्क 'अनुपम उपवन' में 28 हजार पौधे हैं.
एग्रोफोरेस्ट्री कांसेप्ट के तहत 'अनुपम उपवन' में पौधों की कतार के बीच में जो जमीन बची है, उसे भी इस्तेमाल किया गया है. हम पौधों की कतार में बची खाली जमीन पर मौसमी सब्जियों के साथ ही दालें, मूंगफली और अन्य तमाम चीजें उगा रहे हैं. अनुपम उपवन से हर दिन 200 से 300 किलोग्राम ताजी हरी सब्जियां मिलती हैं.
अनुपम उपवन के प्रोजेक्ट मैनेजर दीपक कुमार ने कहा कि जैसे-जैसे 'अनुपम उपवन' में पौधे बड़े होंगे, तो पौधों की छाया भी सघन होती चली जाएगी. इस सघन छायादार पौधों के बीच में ओपन एयर कक्षाएं लगेंगी. यहां छात्र-छात्राएं प्रकृति के बीच में बैठकर पढ़ाई करेंगे. उन्हें शुद्ध हवा भी मिलेगी. अनुपम उपवन में बच्चे पढ़ाई करेंगे, तो प्रकृति के प्रति उनका लगाव भी बढ़ेगा. वे प्रकृति को करीब से समझेंगे. यदि यहां से प्रेरित होकर एक छात्र ने तीन पौधे भी लगाए, तो एक बहुत बड़ी पर्यावरण संरक्षण की चेन भी बनेगी.
दयालबाग शिक्षण संस्थान के पीआरओ प्रो. जेके वर्मा ने बताया कि शांति निकेतन के पैटर्न पर टैगोर कल्चरल कॉम्पलेक्स विकसित किए जा रहे हैं. हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर शिक्षा को बढ़ावा दे सकते हैं. हम काफी समय से हम एग्रोफोरेस्ट्री को बढ़ावा दे रहे हैं और अब हम एग्रो-ईकोलोजी की ओर बढ़ रहे हैं.
ये भी पढ़ें- सीएम योगी ने दिए सभी कार्यालयों में 50 फीसदी की उपस्थिति के साथ काम कराने के आदेश
जेके वर्मा ने कहा कि हम लोग 'एबीसी' सेंटर बनाना चाह रहे थे. इसे हम आर्ट ब्यूटी एंड कल्चरल सेंटर फॉर एक्सीलेंस कहते हैं या आर्ट ब्यूटी एंड क्रिएटिविटी भी कह सकते हैं. दयालबाग शिक्षण संस्थान का नाम हमेशा इनोवेशन के लिए जाना जाता है. इनोवेटिव एजुकेशन, क्वालिटी और वैल्यू यह तीनों दयालबाग शिक्षण संस्थान (डीईआई) के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.
यहां पर जब प्रकृति के करीब रहकर छात्र चर्चित विलियम वर्डसवर्थ और सुमित्रानंदन पंत की तरह कविताएं लिखेंगे. आर्ट के छात्र पेंटिंग बनाएंगे, तो साहित्य के छात्र कहानी लिखेंगे. छात्रों को शिक्षक भी असाइनमेंट देंगे और क्रिएटिविटी में चार चांद लगेंगे.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप