फिरोजाबाद: जिले के किसान आसमान को टकटकी लगाए देख रहे हैं. उनको बारिश का इंतजार है. मानसून पहुंचने में देरी के कारण किसानों की हालत पतली होती जा रही है. जो किसान पहले फसलों की बुआई कर चुके हैं. उनकी फसलें भी सूखने की कगार पर पहुंच गयी हैं. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर जल्द बरसात नहीं होती है तो मानसून की बेरुखी की कीमत यहां किसानों को चुकानी पड़ सकती है. ईटीवी भारत की टीम ने किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि वह फसलों की बुआई नहीं कर पा रहे है.
कृषि के जानकारों की मानें तो यह समय खरीफ की फसलों की बुआई के लिए उपयुक्त है. धान के साथ बाजरा, मक्का, उड़द और मूंग खरीफ की प्रमुख फसलें हैं. इनकी बुआई जून और जुलाई के महीने में की जाती है और अक्टूबर-नंवम्बर में इन्हें काटा जाता है. सामान्य तौर पर किसान इन फसलों के लिए बरसात के पानी पर निर्भर रहते हैं. फिरोजाबाद जिले की बात की जाए तो यहां धान और बाजरा खरीफ की प्रमुख फसलें हैं, जिसके लिए पानी की जरूरत होती है. इस बार अब तक सामान्य से काफी कम बारिश हुई है और यही वजह है कि यहां के किसान परेशान हैं.
कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो खरीफ की फसल के लिए 200 मिली मीटर बरसात का होना काफी उपयोगी माना जाता है लेकिन इस बार 14 जुलाई तक केवल 17 मिमी ही बरसात हुई है. ये पिछले साल की तुलना में भी काफी कम है. पिछले साल यहां 196 मिमी बारिश हुई थी.
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धान के साथ बाजरा की फसल की बुआई नहीं हो पा रही है. कई किसानों ने कृत्रिम साधनों से सिंचाई कर फसलों की बुआई कर दी थी. ये फसल भी बरसात न होने और पानी के अभाव में सूखती जा रही हैं. किसान को इंतजार है तो बस बारिश का. जिला कृषि अधिकारी रविकांत भी मानते है कि बरसात न होने से किसानों की फसलें सूख रही हैं. अगर तीन से चार दिनों में बरसात नहीं होगी तो जिले में सूखे जैसे हालात पैदा हो सकते है.