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लाखों के बजट के बाद भी आवारा कुत्तों को पकड़ने में नाकाम रहा आगरा नगर निगम

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Published : Jul 28, 2022, 9:39 PM IST

आगरा में आवार कुत्तों ने खूब आतंक मचा रखा है. इन कुत्तों को पकड़ने के लिए आगरा नगर निगम ने लाखों का बजट पास किया है.

आवारा कुत्तों को पकड़ने में नगर निगम फेल
आवारा कुत्तों को पकड़ने में नगर निगम फेल

आगरा: जिला अस्पताल में हर दिन सैकड़ों लोग एंटीरेबीज इंजेक्शन लगवाने आते हैं. अस्पताल में भी आवारा कुत्तों का आतंक है. इससे मरीज और तीमारदार घबराए हुए हैं. शहर में 40 हजार से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं. मगर, प्रशासन खूंखार आवारा कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी कराने में नाकाम है.

जिला अस्पताल में एंटीरेबीज इंजेक्शन लगवाने आई अंजली ने बताया कि अपनी सहेली के घर जा रही थी. तभी सहेली के घर के पास ही चार पांच कुत्तों ने घेरकर हमला कर दिया. अंजली ने बताया कि अभी उसने पहला इंजेक्शन लगवाया है. एक अन्य व्यक्ति दुष्यंत कुमार ने बताया कि मैं बच्चों को बाइक पर बैठाकर बाजार जा रहा था. तभी पीछे से आए कुत्ते ने मुझे काट लिया. शहर में कुत्तों का आंतक बहुत बढ़ गया है.

आवारा कुत्तों को पकड़ने में नगर निगम फेल
1.40 लाख लोगों ने लगवाया एआरवी: आगरा जिला अस्पताल में एक माह में एआरवी लगवाने के लिए जून महीने में डॉग्स और मंकी बाइट के 11892 शिकार पहुंचे. इनमें निजी क्लीनिक पर एआरवी लगवाने वाले मरीज शामिल नहीं हैं. मगर, जून माह में नगर निगम की ओर से महज 27 आवारा कुत्तों की नसबंदी की गई. जबकि, बीते साल 1.40 लाख लोगों को रैबीज का इंजेक्शन लगा था. इसके लिए नगर निगम ने 441 आवारा कुत्तों की नसबंदी कराई थी. नगर निगम कुत्तों की नसबंदी पीपुल्स फॉर एनिमल (पीएफए) से कराता है. बजट मिला, मगर खर्च करने में लापरवाह अधिकारी: बता दें कि आगरा नगर निगम ने बीते साल में पशु एवं चिकित्सा विभाग को आवारा कुत्तों का पकड़ने और उनकी नसबंदी कराने के लिए 50 लाख रुपए का बजट दिया था. लेकिन, नगर निगम ने सिर्फ 9.63 लाख रुपए ही कुत्ते पकड़ने और नसबंदी कराने में खर्च किए. जबकि जिन पर कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी कराने का जिम्मा है. उन्हें सरकार हर माह तीन लाख से अधिक वेतन देती है.सभी जोन में आवारा श्वान पकड़ने का अभियान: आगरा महापौर नवीन जैन ने बताया कि आगरा में आवारा कुत्तों की समस्या अधिक है. इसलिए छत्ता, हरिपर्वत, लोहामंडी और ताजगंज जोन में आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए अभियान चलाने के निगम अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. इसके तहत हर जोन से एक दिन में कम से कम 25 कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी कराने के निर्देश दिए हैं. हर दिन शहर में 100 आवारा श्वान की नसबंदी का लक्ष्य तय किया है. हाई कोर्ट में जनहित याचिका, आयोग को लिखा पत्र: वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि, मासूम गुंजन की मौत पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में ई-मेल से एक जनहित याचिका भेजी है. यदि यह स्वीकर हो जाती है तो ठीक. नहीं, तो खुद जाकर नगर निगम के लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ याचिका दायर करूंगा. जिससे इस समस्या का समाधान हो सके. इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने भी उप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र लिखकर संबंधित विभाग द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें टीकाकरण कराने की मांग की है. जिससे कोई अन्य मासूम इन आवारा श्वान का शिकार न बनें.पत्राचार पर समाधान नहीं: आगरा जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ अशोक कुमार अग्रवाल का कहना है कि लगातार नगर निगम को आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए पत्राचार किया जा रहा है. अस्पताल में घुस जाने वाले कुत्तों को हमें अपने स्तर से बाहर छुड़वाते है. क्योंकि अस्पताल का चौकीदार रिटायर हो गया है. यह बहुत बड़ी समस्या है. वहीं, ताजमहल के संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेई का कहना है कि ताजमहल पर भी आवारा कुत्ते घूमते रहते हैं. जिससे पर्यटक परेशान हो जाते हैं. कुत्तों कोताजमहल परिसर से पकड़ कर बाहर निकालने के लिए कई बार नगर निगम से पत्राचार किया है. लेकिन, अभी कोई टीम इन्हें पकड़ने के लिए नहीं आई है.यह भी पढ़ें:इस बार भैंस नहीं, कुत्ता बना पुलिस के लिए पहेली, जानें क्या है माजरायह हैं नियम :

आगरा: जिला अस्पताल में हर दिन सैकड़ों लोग एंटीरेबीज इंजेक्शन लगवाने आते हैं. अस्पताल में भी आवारा कुत्तों का आतंक है. इससे मरीज और तीमारदार घबराए हुए हैं. शहर में 40 हजार से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं. मगर, प्रशासन खूंखार आवारा कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी कराने में नाकाम है.

जिला अस्पताल में एंटीरेबीज इंजेक्शन लगवाने आई अंजली ने बताया कि अपनी सहेली के घर जा रही थी. तभी सहेली के घर के पास ही चार पांच कुत्तों ने घेरकर हमला कर दिया. अंजली ने बताया कि अभी उसने पहला इंजेक्शन लगवाया है. एक अन्य व्यक्ति दुष्यंत कुमार ने बताया कि मैं बच्चों को बाइक पर बैठाकर बाजार जा रहा था. तभी पीछे से आए कुत्ते ने मुझे काट लिया. शहर में कुत्तों का आंतक बहुत बढ़ गया है.

आवारा कुत्तों को पकड़ने में नगर निगम फेल
1.40 लाख लोगों ने लगवाया एआरवी: आगरा जिला अस्पताल में एक माह में एआरवी लगवाने के लिए जून महीने में डॉग्स और मंकी बाइट के 11892 शिकार पहुंचे. इनमें निजी क्लीनिक पर एआरवी लगवाने वाले मरीज शामिल नहीं हैं. मगर, जून माह में नगर निगम की ओर से महज 27 आवारा कुत्तों की नसबंदी की गई. जबकि, बीते साल 1.40 लाख लोगों को रैबीज का इंजेक्शन लगा था. इसके लिए नगर निगम ने 441 आवारा कुत्तों की नसबंदी कराई थी. नगर निगम कुत्तों की नसबंदी पीपुल्स फॉर एनिमल (पीएफए) से कराता है. बजट मिला, मगर खर्च करने में लापरवाह अधिकारी: बता दें कि आगरा नगर निगम ने बीते साल में पशु एवं चिकित्सा विभाग को आवारा कुत्तों का पकड़ने और उनकी नसबंदी कराने के लिए 50 लाख रुपए का बजट दिया था. लेकिन, नगर निगम ने सिर्फ 9.63 लाख रुपए ही कुत्ते पकड़ने और नसबंदी कराने में खर्च किए. जबकि जिन पर कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी कराने का जिम्मा है. उन्हें सरकार हर माह तीन लाख से अधिक वेतन देती है.सभी जोन में आवारा श्वान पकड़ने का अभियान: आगरा महापौर नवीन जैन ने बताया कि आगरा में आवारा कुत्तों की समस्या अधिक है. इसलिए छत्ता, हरिपर्वत, लोहामंडी और ताजगंज जोन में आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए अभियान चलाने के निगम अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. इसके तहत हर जोन से एक दिन में कम से कम 25 कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी कराने के निर्देश दिए हैं. हर दिन शहर में 100 आवारा श्वान की नसबंदी का लक्ष्य तय किया है. हाई कोर्ट में जनहित याचिका, आयोग को लिखा पत्र: वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि, मासूम गुंजन की मौत पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में ई-मेल से एक जनहित याचिका भेजी है. यदि यह स्वीकर हो जाती है तो ठीक. नहीं, तो खुद जाकर नगर निगम के लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ याचिका दायर करूंगा. जिससे इस समस्या का समाधान हो सके. इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने भी उप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र लिखकर संबंधित विभाग द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें टीकाकरण कराने की मांग की है. जिससे कोई अन्य मासूम इन आवारा श्वान का शिकार न बनें.पत्राचार पर समाधान नहीं: आगरा जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ अशोक कुमार अग्रवाल का कहना है कि लगातार नगर निगम को आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए पत्राचार किया जा रहा है. अस्पताल में घुस जाने वाले कुत्तों को हमें अपने स्तर से बाहर छुड़वाते है. क्योंकि अस्पताल का चौकीदार रिटायर हो गया है. यह बहुत बड़ी समस्या है. वहीं, ताजमहल के संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेई का कहना है कि ताजमहल पर भी आवारा कुत्ते घूमते रहते हैं. जिससे पर्यटक परेशान हो जाते हैं. कुत्तों कोताजमहल परिसर से पकड़ कर बाहर निकालने के लिए कई बार नगर निगम से पत्राचार किया है. लेकिन, अभी कोई टीम इन्हें पकड़ने के लिए नहीं आई है.यह भी पढ़ें:इस बार भैंस नहीं, कुत्ता बना पुलिस के लिए पहेली, जानें क्या है माजरायह हैं नियम :
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