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EPFO ने पात्र अंशधारकों को अधिक पेंशन का विकल्प उपलब्ध कराने को कहा

ईपीएफओ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कराने के लिए पात्र अंशधारकों को पेंशन का विकल्प मुहैया कराने का निर्देश दिया है.

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Published : Dec 31, 2022, 2:58 PM IST

नई दिल्ली : सेवानिवृत्ति कोष का प्रबंधन करने वाले निकाय ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों से उच्चतम न्यायालय के चार नवंबर, 2022 के उस आदेश को लागू करने को कहा है जिसमें पात्र अंशधारकों को अधिक पेंशन का विकल्प उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था.

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के गत 29 दिसंबर को जारी परिपत्र में केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया है. क्षेत्रीय कार्यालयों को 'उच्चतम न्यायालय के चार नवंबर, 2022 के फैसले के पैरा 44 (9) में निहित निर्देशों' को निर्धारित समय सीमा के भीतर लागू करने के लिए कहा गया है. साथ ही क्षेत्रीय कार्यालयों को ईपीएफओ द्वारा लिए गए निर्णय का पर्याप्त प्रचार भी करना होगा.

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 को बरकरार रखा था. ईपीएस संशोधन (अगस्त 2014) ने पेंशन योग्य वेतन सीमा को 6,500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति माह कर दिया था. इसके अलावा सदस्यों को उनके नियोक्ताओं के साथ ईपीएस में उनके वास्तविक वेतन (यदि यह सीमा से अधिक हो) पर 8.33 प्रतिशत योगदान करने की अनुमति दी थी.

इसमें सभी ईपीएस सदस्यों को संशोधित योजना का विकल्प चुनने के लिए छह महीने का समय दिया गया था. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में पात्र अंशदाताओं को ईपीएस-95 के तहत अधिक पेंशन का विकल्प चुनने के लिए चार महीने का और समय दिया था.

ये भी पढ़ें - ईपीएफओ ने सितंबर में 16.82 लाख सदस्य जोड़े

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सेवानिवृत्ति कोष का प्रबंधन करने वाले निकाय ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों से उच्चतम न्यायालय के चार नवंबर, 2022 के उस आदेश को लागू करने को कहा है जिसमें पात्र अंशधारकों को अधिक पेंशन का विकल्प उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था.

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के गत 29 दिसंबर को जारी परिपत्र में केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया है. क्षेत्रीय कार्यालयों को 'उच्चतम न्यायालय के चार नवंबर, 2022 के फैसले के पैरा 44 (9) में निहित निर्देशों' को निर्धारित समय सीमा के भीतर लागू करने के लिए कहा गया है. साथ ही क्षेत्रीय कार्यालयों को ईपीएफओ द्वारा लिए गए निर्णय का पर्याप्त प्रचार भी करना होगा.

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 को बरकरार रखा था. ईपीएस संशोधन (अगस्त 2014) ने पेंशन योग्य वेतन सीमा को 6,500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति माह कर दिया था. इसके अलावा सदस्यों को उनके नियोक्ताओं के साथ ईपीएस में उनके वास्तविक वेतन (यदि यह सीमा से अधिक हो) पर 8.33 प्रतिशत योगदान करने की अनुमति दी थी.

इसमें सभी ईपीएस सदस्यों को संशोधित योजना का विकल्प चुनने के लिए छह महीने का समय दिया गया था. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में पात्र अंशदाताओं को ईपीएस-95 के तहत अधिक पेंशन का विकल्प चुनने के लिए चार महीने का और समय दिया था.

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(पीटीआई-भाषा)

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