नई दिल्ली : सरकार द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था 2020-21 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के दौरान 1.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी में 7.3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. यह 1979-80 यानी चार दशक में पहली बार है जब किसी वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आयी है. इससे पहले 1979-80 में जीडीपी में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. एनएसओ के अनुसार जो अनुमान हैं, उसमें तीव्र संशोधन हो सकते हैं. उपयोगकर्ताओं को आंकड़ों का विश्लेषण करते समय इसे ध्यान में रखना चाहिए.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. जनवरी-मार्च 2021 के दौरान वृद्धि दर इससे पिछली तिमाही अक्टूबर-दिसंबर 2020 के 0.5 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले बेहतर थी.
आंकड़ों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में 2020-21 के दौरान 7.3 प्रतिशत संकुचन हुआ, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था चार प्रतिशत की दर से बढ़ी थी.
एनएसओ ने इस साल जनवरी में जारी अपने पहले अग्रिम अनुमानों के आधार पर कहा था कि 2020-21 के दौरान जीडीपी में 7.7 प्रतिशत गिरावट रहेगी.
लॉकडाउन की मार
पिछले साल की महामारी से पहले से नरमी का सामना कर रही अर्थव्यवस्था में 2020-21 (अप्रैल-मार्च) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये लगाये गये देशव्यापी 'लॉकडाउन' से खपत और आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा था.
अर्थव्यवस्था में 4 प्रतिशत की वृद्धि
वित्त वर्ष 2019-20 में अर्थव्यवस्था में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. जीडीपी वृद्धि दर 2016-17 में 8.3 प्रतिशत थी जो अगले वित्त वर्ष में घटकर 7 प्रतिशत और फिर 2018-19 में 6.1 प्रतिशत रही.
वास्तविक जीडीपी 135 लाख करोड़ रुपये
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार देश का वास्तविक जीडीपी 2020-21 में घटकर 135 लाख करोड़ रुपये रहा जो मार्च 2020 को समाप्त वित्त वर्ष में 145 लाख करोड़ रुपये था.
जीडीपी वृद्धि दर दहाई अंक में नहीं पहुंचेगी
अर्थव्यवस्था को 145 लाख करोड़ रुपये का स्तर प्राप्त करने के लिये 2021-22 में 10 से 11 प्रतिशत वृद्धि की जरूरत होगी. लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई है. इसको देखते हुए कई विशेषज्ञों ने अनुमान जताया कि तुलनात्मक आधार कमजोर रहने के बावजूद जीडीपी वृद्धि दर दहाई अंक में नहीं पहुंचेगी.
बेरोजगारी दर बढ़कर एक साल के उच्चतम स्तर पर
हालांकि दैनिक आधार पर कोविड-19 मामलों की संख्या घटकर 1.5 लाख के करीब आ गयी जो एक समय 4 लाख से अधिक पहुंच गयी थी. लेकिन अर्थव्यवस्था में 55 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाली उपभोक्ता मांग में गिरावट और बेरोजगारी दर बढ़कर एक साल के उच्चतम स्तर 14.73 प्रतिशत पर पहुंचने से नई चुनौतियां सामने आयी हैं.
चीन की वृद्धि दर
एनएसओ ने पूर्व में 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 8 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताया था जबकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 7.5 प्रतिशत की कमी की आशंका जतायी थी. एक समय कोरोना वायरस संक्रमण का मुख्य केंद्र रहा चीन में वृद्धि दर जनवरी-मार्च, 2021 में 18.3 प्रतिशत रही.
राजकोषीय घाटा
इस बीच, उच्च कर संग्रह से राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.3 प्रतिशत रहा जो 9.5 प्रतिशत के संशोधित अनुमान से कम है. हालांकि, फरवरी, 2020 में पेश बजट के दौरान इसके 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था. अर्थव्यवस्था में 2020 की अप्रैल-जून तिमाही में रिकार्ड 24.4 प्रतिशत और अगली तिमाही जुलाई-सितंबर में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी.
लॉकडाउन में चरणबद्ध ढील
उल्लेखनीय है कि सरकार ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये 25, मार्च 2020 से देश भर में 'लॉकडाउन' लगाया था. इसमें बाद में चरणबद्ध तरीके से ढील दी गयी. लेकिन इसका अंतत: आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.
सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि दर बढ़ी
एनएसओ के आंकड़े के अनुसार 2020-21 की चौथी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि दर बढ़कर 6.9 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 4.2 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. कृषि क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर कम होकर 3.1 प्रतिशत रही जो 2019-20 की इसी तिमाही में 6.8 प्रतिशत थी.
बिजली, गैस, जल आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में जीडीपी
निर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि 14.5 प्रतिशत रहा जबकि एक साल पहले यह 0.7 प्रतिशत थी. खनन क्षेत्र में 5.7 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले यह 0.9 प्रतिशत घटा था. बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाओं की वृद्धि दर 2020-21 की चौथी तिमाही में 9.1 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की जीडीपी
इसी प्रकार, व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से जुड़ी सेवाओं में आलोच्य तिमाही में 2.3 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर 2020-21 की चौथी तिमाही में 5.4 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 4.9 प्रतिशत थी.
स्थिर मूल्य पर जीडीपी
लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं की वृद्धि दर चौथी तिमाही में घटकर 2.3 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 2019-20 की इसी तिमाही में 9.6 प्रतिशत थी. एनएसओ के बयान के अनुसार, 'स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 2020-21 की चौथी तिमाही में 1.6 प्रतिशत बढ़कर 38.96 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2019-20 की चौथी तिमाही में 38.33 लाख करोड़ रुपये था.'
2020-21 के दौरान जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान
स्थिर मूल्य (2021-12) पर वास्तविक जीडीपी या सकल घरेलू उत्पाद 2020-21 में अब 135.13 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. जबकि 29 जनवरी 2021 को 2019-20 के लिये जारी पहले संशोधित अनुमान में इसके 145.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था. एनएसओ के अनुसार, 'वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है जबकि 2019-20 में इसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.'
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आंकड़ा संकलन को लेकर मसले
बयान में कहा गया है कि सरकार ने महामारी की रोकथाम के लिये 'लॉकडाउन' जो कदम उठाये हैं, उसका आर्थिक गतिविधियों के साथ ही आंकड़ा संग्रह व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ा है. बयान के अनुसार कुछ स्रोत एजेंसियों से आंकड़ा प्रवाह में व्यवधान आया है. इससे आंकड़ा संकलन को लेकर मसले उत्पन्न हुए हैं.
ऐसे हुआ मौजूदा आर्थिक स्थिति के आकलन
अभूतपूर्व स्थिति के कारण आंकड़ों को लेकर उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए, एनएसओ ने मौजूदा आर्थिक स्थिति के आकलन को लेकर वैकल्पिक आंकड़ा स्रोतों, संकेतकों और कार्यप्रणाली की संभावना टटोली. इसके साथ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भी स्पष्टीकरण लिये गये. इसका मकसद आंकड़ों को लेकर सर्वोत्तम गतिविधियों को चयन करना है.
(पीटीआई-भाषा)