नई दिल्ली : यूनियन बजट 2022 से पहले, शहरी क्षेत्र के विशेषज्ञों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शहरी गरीबों की बेहतरी से जुड़ी घोषणाएं कर सकती हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि मोदी सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) जैसी योजना की घोषणा कर सकती है.
विशेषज्ञों के अनुसार, MGNREGA जैसी योजनाएं कोरोना महामारी (Covid19) के कारण पैदा हुए हालात के कारण जरूरी हो गई हैं. बता दें कि महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान, प्रवासी शहरी मजदूर, विशेष रूप से दैनिक वेतन भोगी काम छोड़ने पर मजबूर हुए हैं. कई लोगों को शहरी क्षेत्र छोड़कर गृह राज्य जाना पड़ा है. कोरोना महामारी के कारण शहरी गरीबों के सामने नौकरी की समस्या पैदा हुई है.
कोरोना महामारी के कारण विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से रियल एस्टेट क्षेत्र में बड़ा संकट पैदा हुआ है. इस संबंध में शहरी मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर केके पांडे ने कहा, शहरी गरीब आबादी की बेहतरी के लिए मनरेगा जैसी योजना लाने का यह सही समय है.
प्रोफेसर पांडे ने ईटीवी भारत को बताया कि रियल एस्टेट क्षेत्र को भी यूनियन बजट 2021-22 से बड़े प्रोत्साहन की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र भी Covid19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. यहां यह बाक उल्लेखनीय है कि स्थायी संसदीय समिति ने शहरी मजदूरों के लिए मनरेगा जैसी योजना का सुझाव दिया है. बता दें कि मनरेगा केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है जिसके तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की नौकरी मिलती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले आम बजट में शहरी क्षेत्रों के लिए कई घोषणाएं किए जाने की उम्मीद है.
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बजट में रियल एस्टेट खरीदारों के लिए कर छूट के प्रावधान किए जा सकते हैं. इस संबंध में प्रोफेसर पांडे ने कहा, कोविड-19 महामारी की दो लहरों से गंभीर रूप से प्रभावित, रियल एस्टेट क्षेत्र सरकार से कुछ बड़ी घोषणा और राहत की उम्मीद कर रहा है.
उन्होंने बताया कि बुनियादी ढांचे और शहरी विकास में सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र की भागीदारी के संबंध में भी आम बजट से काफी अपेक्षाएं की जा रही हैं. शहरी क्षेत्र के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं का उल्लेख करते हुए, प्रोफेसर पांडे ने कहा कि सरकार स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के लिए अतिरिक्त धनराशि की घोषणा कर सकती है.
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले साल स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की घोषणा की थी. उन्होंने बताया कि अन्य योजनाओं की तरह, कोविड-19 महामारी का असर स्वच्छ भारत मिशन पर भी पड़ा है. इसकी लागत में वृद्धि हुई है. बता दें कि पिछले साल, वित्त मंत्रालय ने आम बजट में शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के लिए 1,41,678 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की थी. बता दें कि प्रोफेसर पांडे भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के शहरी अध्ययन केंद्र में पदस्थापित हैं.