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लखनऊ : राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में महिलाओं के मुद्दे नहीं

लगभग सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने घोषणा पत्रों में कई लुभावने वादे किए हैं, लेकिन महिलाओं से जुड़े कई मुद्दे घोषणा पत्र में शामिल न होने से महिला वर्ग में इसको लेकर नाराजगी देखने को मिल रही है.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं महिलाएं.
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Published : May 5, 2019, 5:39 PM IST

लखनऊ : राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों से महिलाओं से जुड़े कई गंभीर मुद्दे गायब होने से महिलाओं में खासी नाराजगी देखी जा रही है. महिलाओं का कहना है कि सुरक्षा, शिक्षा, यातायात समेत कई ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे महिलाओं को रोज रूबरू होना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में महिलाओं से जुड़े कई गंभीर मुद्दे शामिल नहीं हैं. ईटीवी भारत ने इस संबंध में महिलाओं से बात की.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं महिलाएं.

महिलाओं ने बताए मुद्दे

  • महिलाओं ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि महिलाओं की शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाए.
  • महिलाओं के रोजगार पर विशेष ध्यान दिया जाए, महिलाओं के लिए अगल से ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जाए.
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की बात करते हुए महिलाओं ने कहा कि यह सुविधा आज भी गरीब तबके की बच्ची और महिलाओं से दूर है. आज भी 5 और 6 साल की छोटी-छोटी बच्चियां काम करने के लिए मजबूर हैं. रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पैसे कमाने घर से निकल रही हैं, ऐसे में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है.
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि घर से बाहर निकलने में बच्चियां और महिलाएं असुरक्षित हैं. लगातार हो रहीं घटनाओं को देखते हुए महिलाओं के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था अलग होनी चाहिए.
  • शिक्षा और आर्थिक स्थिति के कारण बच्चियां और महिलाएं गंदगी के दलदल में फंसने को मजबूर हैं. पैसों की कमी के चलते छोटी-छोटी बच्चियां और महिलाएं गलत कामों में लिप्त हो रही हैं, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.

लखनऊ : राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों से महिलाओं से जुड़े कई गंभीर मुद्दे गायब होने से महिलाओं में खासी नाराजगी देखी जा रही है. महिलाओं का कहना है कि सुरक्षा, शिक्षा, यातायात समेत कई ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे महिलाओं को रोज रूबरू होना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में महिलाओं से जुड़े कई गंभीर मुद्दे शामिल नहीं हैं. ईटीवी भारत ने इस संबंध में महिलाओं से बात की.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं महिलाएं.

महिलाओं ने बताए मुद्दे

  • महिलाओं ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि महिलाओं की शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाए.
  • महिलाओं के रोजगार पर विशेष ध्यान दिया जाए, महिलाओं के लिए अगल से ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जाए.
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की बात करते हुए महिलाओं ने कहा कि यह सुविधा आज भी गरीब तबके की बच्ची और महिलाओं से दूर है. आज भी 5 और 6 साल की छोटी-छोटी बच्चियां काम करने के लिए मजबूर हैं. रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पैसे कमाने घर से निकल रही हैं, ऐसे में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है.
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि घर से बाहर निकलने में बच्चियां और महिलाएं असुरक्षित हैं. लगातार हो रहीं घटनाओं को देखते हुए महिलाओं के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था अलग होनी चाहिए.
  • शिक्षा और आर्थिक स्थिति के कारण बच्चियां और महिलाएं गंदगी के दलदल में फंसने को मजबूर हैं. पैसों की कमी के चलते छोटी-छोटी बच्चियां और महिलाएं गलत कामों में लिप्त हो रही हैं, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
Intro:
ईटीवी भारत को महिलाओं ने बताया कि वह कैसी सरकार और कैसा प्रधानमंत्री मंत्री चाहती है।

महिला सशक्तिकरण की बात करें तो महिलाओं से जुड़े तमाम गम्भीर मुद्दे आज भी राजनीतिक दलों के घोषणापत्र से गायब है। फिर चाहे राजनीति में महिलाओं की कम भागीदारी की बात हो या पुरूषों के सामान महिला अधिकार की या फिर महिलाओं के लिए महिला ट्रांसपोर्ट या दयनीय आर्थिक स्थिति के कारण गंदगी के दलदल में फंसती महिलाएं और फिर चाहे पुलिस की महिलाओं को लेकर असंवेदना हो। ऐसे तमाम गम्भीर मुद्दे है जिनसे महिलाओं को रोजाना रूबरू होना पड़ता है। इन सबके बावजूद भी जाति-धर्म, कर्ज माफी और आरक्षण का शोर-शराबा चुनावी मौसम में सुनाई दे रहा है। जिससे महिलाओं में खासा नाराजगी है और अपने मताधिकार का प्रयोग करने को लेकर काफी चिंतित हैं कि किसे वोट दें और किसे अस्वीकार करें।


Body:ईटीवी भारत को महिलाओं के बड़े वर्ग ने बताया कि वह कैसी सरकार और कैसा प्रधानमंत्री चाहती है।

महिलाओं का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल की घोषणा पत्र में उनसे जुड़े गंभीर मुद्दे शामिल नहीं किए गए हैं। इन्होंने कहा कि समाज में आज भी महिलाओं के प्रति लोगों के सोच अलग है। लोकसभा चुनाव चल रहा है देश में रेलिया की जा रही है। लेकिन महिला सुरक्षा मिला सम्मान पुरुषों के समान महिलाओं के अधिकार जैसे तमाम मुद्दे नेताओ की रैलियों में सुनाई नही देते है। वह कहती है कि जब महिलाओं के गम्भीर मुद्दों से नेता किनारा कर रहे हैं तो किसे वोट करें और किसे न करें। इस बात को लेकर संशय है।

बाईट- कविता शुक्ला

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह सुविधा आज भी गरीब तबके की बच्ची और महिलाओं से दूर है। आज भी 5 और 6 साल की छोटी-छोटी बच्चियां काम करने के लिए मजबूर है। रोज मर्रा की ज़रूरतों के लिए पैसे कमाने घर से निकल रही है। ऐसै में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।

बाईट_ विभा चन्द्रा

पब्लिक ट्रांसपोर्ट एक कई मामलों पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि घर से बाहर निकलने में आज की बच्चियां और महिलाएं असुरक्षित हैं। लगातार हो रही घटनाओं को देखते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं के पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था अलग होनी चाहिए। जिससे महिलाएं सफल करने में खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें।

बाईट_ अनीता शर्मा


शिक्षा और आर्थिक स्थिति के कारण बच्चियां और महिलाएं गंदगी के दलदल में फंसने को मजबूर है। दयनीय पारिवारिक स्थिति और पैसों की कमी के चलते हैं छोटी-छोटी बच्चियां और महिलाएं गलत कामों में लिप्त हो रही हैं। आने वाली सरकार को इस तरह ध्यान देना चाहिए।

बाईट_ अनुराधा अग्रवाल

पहली बार लोकसभा चुनाव में मतदान करने जा रही इन्नू जैन ने बताया कि वह भी लड़कों की तरह स्वतंत्र रहना चाहती है। अपने निर्णय लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि लड़कियों को लड़कों की तरह समान अधिकार होने चाहिए। घर से बाहर निकलने पर बच्चियों को सुरक्षा देना सरकार का काम है।

बाईट_ इन्नू जैन










Conclusion:रितेश यादव
UP10003
09336455624
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