लखनऊ : यूपी में इन दिनों प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ज्यादातर जिलों का 150 के पार हो चुका है. इसमें लखनऊ, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, आगरा, नोएडा, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद एवं प्रयागराज जैसे कुछ अन्य जिले शामिल हैं. यहां प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. इसको लेकर कई बार भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने प्रदेश सरकार को ज्ञापन सौंपा है.
पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदूषण के होने का सिर्फ एक कारण नहीं है. कुछ दिनों पहले एक के बाद कई त्यौहार पड़े थे. इस दौरान लोगों ने जमकर आतिशबाजी की थी. इसके अलावा पराली जलाने के भी कई मामले सामने आए हैं. वहीं, प्रदेश भर में सैकड़ों वाहन इत्यादि संचालित हो रहे हैं. इन सब बातों के अलावा एक और तथ्य भी है, वह यह है कि प्रदेश के हर जिले में इंडस्ट्रियल एरिया है. जहां बड़े-बड़े कारखानों में काम चल रहा है. इसका धुआं हमारे वातावरण को प्रभावित कर रहा है. ऐसे में देखा जा सकता है कि हम किसी एक विषय पर पूरी जिम्मेदारी नहीं दे सकते हैं. प्रदेश सरकार को हर स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है.
पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने कहा कि वैसे भी गुलाबी ठंड की शुरुआत में फॉग के साथ प्रदूषण का स्तर हमेशा बढ़ जाता है, जरूरत है तो बस इसे नियंत्रित करने की. ताकि प्रदेश की आबोहवा में जहर न घुल सकें. लोग स्वस्थ रह सकें. प्रदूषण के कारण न जाने कितनी बीमारियां लोगों को घेरने लगती हैं. प्रदेश के सभी जिलों को पहचानते हुए राजधानी लखनऊ प्रदूषण के मामले में टॉप पर है. इसके पीछे कई कारण है. इन दिनों शादियों का सीजन है. लोग जमकर आतिशबाजी कर रहे हैं. यही कारण है कि लखनऊ का प्रदूषण स्तर काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है इसके पीछे अन्य भी कारण है, लेकिन सबसे मुख्य कारण शादियों का सीजन में आतिशबाजी है.
लखनऊ का इन क्षेत्रों का बढ़ा एक्यूआई : लखनऊ के कुछ क्षेत्रों का प्रदूषण स्तर बहुत ही अधिक हैं. लालबाग का एयर क्वालिटी इंडेक्स 341, केंद्रीय विद्यालय का एक्यूआई 288, तालकटोरा का एक्यूआई 271, गोमतीनगर का एक्यूआई 231, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का एक्यूआई 186 और कुकरैल का एक्यूआई 158 हैं. जबकि 100 या उससे कम AQI आम तौर पर सही माना जाता है.
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