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झांसी: एक तो गर्मी की मार ऊपर से पानी के लिए हाहाकार ! - temperature in jhansi

जिले में गर्मी का सितम जारी है. बढ़ते तापमान के बीच पेयजल संकट ने आम लोगों के लिए बढ़ती मुश्किलों में और इजाफा कर दिया है. वहीं जल निगम और जिला प्रशासन भी इस दिशा में बिल्कुल गंभीर नहीं दिख रहा है.

झांसी में गहराया जल संकट.
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Published : Jun 9, 2019, 11:41 AM IST

झांसी: भीषण गर्मी में पेयजल संकट ने जनपदवासियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही पाइप लाइन परियोजनाओं में से नौ पूरी तरह ठप्प पड़ी हुई हैं. इसके अलावा कई परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनसे मुश्किल से ही लोगों को पीने का पानी मिल पा रहा है. वहीं प्रशासन इस पूरे मामले पर बेसुध बना हुआ है और कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

झांसी में गहराया जल संकट.
बिन पानी सब सून झांसी जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में 103 पाइप परियोजनाएं चल रही हैं. इनमें से 9 पाइपलाइन पूरी तरह से बंद पड़ी हुई हैं. कुछ पाइपलाइन परियोजनाएं ऐसी हैं जो आंशिक रूप से ठप्प पड़ी हैं. इसके अलावा कुछ पाइपलाइन महज 50 से 80 फीसद काम के लायक हैं. इसके साथ ही नलकूपों में खराबी की समस्याएं आम हैं तो वहीं पाइप लाइन में लीकेज के चलते पानी की बर्बादी हो रही है और आम लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है. जिले के अलग-अलग हिस्सों के लोग हर रोज कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर जल संकट के समाधान की मांग कर रहे हैं.

गांव में पानी की टंकी लगी हुई है, जिसमें कभी-कभी पानी आता है. कई बार तीन-चार दिन तक पानी नहीं आता है. इसके अलावा टंकी में आने वाला पानी पीने के लायक नहीं होता है.
- रमेश, ग्रामीण

पेयजल से जुड़ी सभी संस्थाओं की हेल्पलाइन बनाई गई हैं. विकास भवन में ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं से संबंधित शिकायत दर्ज कराने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है. कलेक्ट्रेट, जल संस्थान, जल निगम और अन्य जगहों पर कंट्रोल रूम भी बनाये गए हैं. कंट्रोल रूम में प्राप्त होने वाली स्थाई या अस्थाई समस्याओं को चौबीस घंटे के अंदर निराकरण करने की कोशिश की जाती है.
- निखिल टीकाराम फुंडे, मुख्य विकास अधिकारी

झांसी: भीषण गर्मी में पेयजल संकट ने जनपदवासियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही पाइप लाइन परियोजनाओं में से नौ पूरी तरह ठप्प पड़ी हुई हैं. इसके अलावा कई परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनसे मुश्किल से ही लोगों को पीने का पानी मिल पा रहा है. वहीं प्रशासन इस पूरे मामले पर बेसुध बना हुआ है और कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

झांसी में गहराया जल संकट.
बिन पानी सब सून झांसी जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में 103 पाइप परियोजनाएं चल रही हैं. इनमें से 9 पाइपलाइन पूरी तरह से बंद पड़ी हुई हैं. कुछ पाइपलाइन परियोजनाएं ऐसी हैं जो आंशिक रूप से ठप्प पड़ी हैं. इसके अलावा कुछ पाइपलाइन महज 50 से 80 फीसद काम के लायक हैं. इसके साथ ही नलकूपों में खराबी की समस्याएं आम हैं तो वहीं पाइप लाइन में लीकेज के चलते पानी की बर्बादी हो रही है और आम लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है. जिले के अलग-अलग हिस्सों के लोग हर रोज कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर जल संकट के समाधान की मांग कर रहे हैं.

गांव में पानी की टंकी लगी हुई है, जिसमें कभी-कभी पानी आता है. कई बार तीन-चार दिन तक पानी नहीं आता है. इसके अलावा टंकी में आने वाला पानी पीने के लायक नहीं होता है.
- रमेश, ग्रामीण

पेयजल से जुड़ी सभी संस्थाओं की हेल्पलाइन बनाई गई हैं. विकास भवन में ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं से संबंधित शिकायत दर्ज कराने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है. कलेक्ट्रेट, जल संस्थान, जल निगम और अन्य जगहों पर कंट्रोल रूम भी बनाये गए हैं. कंट्रोल रूम में प्राप्त होने वाली स्थाई या अस्थाई समस्याओं को चौबीस घंटे के अंदर निराकरण करने की कोशिश की जाती है.
- निखिल टीकाराम फुंडे, मुख्य विकास अधिकारी

Intro:झांसी। भीषण गर्मी में बुंदेलखंड में पेयजल संकट ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण लोगों की परेशानी इस मौसम में और अधिक बढ़ गई है। झांसी जनपद में इस भीषण गर्मी में ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही पाइप लाइन परियोजनाओं में से नौ पूरी तरह ठप पड़ी हुई हैं। इसके अलावा कई परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनसे मुश्किल से ही लोगों को पीने का पानी मिल पा रहा है। लोगों को हर रोज पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। 





Body:झांसी जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में 103 पाइप परियोजनाएं चल रही हैं। इनमें से 9 ऐसी हैं जो पूरी तरह से बंद पड़ी हुई हैं। कुछ पाइपलाइन परियोजनाएं ऐसी हैं जो आंशिक रूप से ठप पड़ी है। कुछ ऐसी हैं जो 80 प्रतिशत काम कर रही हैं जबकि कुछ 50 प्रतिशत से भी काम कर रही हैं। कुछ जगह नलकूप की खराबी की दिक़्क़त है तो कुछ जगहों पर पाइप लाइन में लीकेज है। प्रशासन का दावा है कि इन्हें ठीक कराने की कोशिश हो रही है लेकिन जिले के अलग-अलग हिस्से से आये लोग हर रोज कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर संकट का समाधान करने की मांग कर रहे हैं। 







Conclusion:
रक्सा गांव के रहने वाले रमेश बताते हैं कि गांव में कभी पानी आता है, कभी नहीं आता है। कभी-कभी तो चार-चार दिन पानी नहीं आता है। पीने लायक तो यह पानी बिल्कुल ही नहीं है। 
झाँसी के मुख्य विकास अधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने बताया कि पेयजल से जुडी सभी संस्थाओं की हेल्पाइन बनी है। विकास भवन में ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं से जुडी शिकायतों को दर्ज कराने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है। कलेक्ट्रेट, जल संस्थान, जल निगम और अन्य जगहों पर कंट्रोल रूम बनाये गए हैं। कंट्रोल रूम में प्राप्त होने वाली स्थाई या अस्थाई समस्याओं के चौबीस घंटे के भीतर निराकरण की कोशिश की जाती है। 


बाइट - रमेश - ग्रामीण


बाइट - निखिल टीकाराम फुंडे - सीडीओ, झांसी 



लक्ष्मी नारायण शर्मा 


झांसी 


9454013045 


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