गाजियाबाद: गोद लेते समय सांसद जनरल वीके सिंह ने दावा किया था कि यह गांव जिले के अन्य गांव के लिए आदर्श स्थापित करेगा. इन्हीं सब दावों की हकीकत को जानने ईटीवी भारत की टीम मीरपुर हिंदू गांव पहुंचे और वहां की वास्तविकता को जाना.
गांव की भौगोलिक स्थिति
अगर बात गांव की भौगोलिक स्थिति की करें तो यह गांव लोनी ब्लॉक से लगभग 6 किलोमीटर आगे ट्रोनिका औद्योगिक क्षेत्र के बगल में बसा हुआ है. गांव के एक तरफ थोड़ी दूर पर यमुना बहती है जिसके कारण यहां की जमीन में नमी की मात्रा सालों भर बनी रहती है. गांव के लोगों का मुख्य पेशा खेती है और मुख्य फसल गेहूं. फसलों की सिंचाई का मुख्य साधन यमुना और ट्यूबवेल है.
बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास
ईटीवी भारत की टीम ने जब गांव में प्रवेश किया तो प्रवेश करते ही सबसे पहले प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल दिखे. स्कूल में पता करने पर पता चला कि स्कूल में लगभग 400 बच्चे पढ़ते हैं और स्कूल परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित है. स्कूल के प्रधानाचार्य उमेश ने बताया कि अभी कुछ दिनों पहले ही एक बैंक के सहयोग से दो स्मार्ट क्लास बनाए गए हैं. जहां ऑडियो विजुअल के माध्यम से बच्चे विषयों को सीख रहे हैं. इतना ही नहीं स्कूल के बगल में ही बच्चों के लिए खेल का मैदान भी बनाया गया है. बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूल में एक निजी संस्था के सहयोग से आरओ भी लगाया गया है.
गांव में 24 घंटे बिजली
ईटीवी भारत की टीम ने गांव के प्रधान मोनू त्यागी से जब बात की तो उनका कहना था कि सांसद द्वारा गोद लिए जाने के बाद गांव की कायाकल्प ही पलट गई है. सभी सड़कों का पक्कीकरण किया गया है और गांव में 24 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति भी की जा रही है. इतना ही नहीं गांव में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पानी टंकी का निर्माण भी किया गया है और लोगों की सुविधा के लिए पोस्ट ऑफिस और बैंक भी खोले गए हैं.
'बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं है'
गांव के प्रधान ने बताया कि गांव में विकास के कार्य तो बहुत हो रहे हैं. लेकिन गांव में कोई बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं है और ना ही बच्चों के लिए कोई डिग्री कॉलेज है. हालांकि डिग्री कॉलेज का प्रस्ताव पास हो गया है लेकिन अभी तक उसका निर्माण प्रारंभ नहीं हुआ है. लड़के तो पढ़ने के लिए बगल के शहरों में चले जाते हैं लेकिन आज भी यहां की लड़कियां उच्च शिक्षा से मरहूम है.
सुविधाओं में और सुधार की जरूरत
गांव के भ्रमण के क्रम में जब टीम हरिजन बस्ती पहुंचे तो वहां साफ सफाई देखने को मिली. कुछ स्थानीय निवासियों से बातचीत के क्रम में पता चला कि सांसद द्वारा गोद देने के बाद गांव का विकास तो हुआ है. लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं में अभी और सुधार की जरूरत है. डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी रोजाना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं आते जिसके कारण लोगों को इलाज के लिए लोनी या फिर शाहादरा जाना पड़ता है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर गांव में डिग्री कॉलेज और अस्पताल खुल जाए तो यह गांव सही मायनों में आदर्श ग्राम बन सकेगा.