वाराणसी : चिरईगांव विकास खण्ड के सिरिस्ती गांव मे सीवर की समस्या को लेकर शनिवार को ग्रामीण सड़क पर उतर आए. सीवर के गंदे पानी मे खड़े होकर प्रदर्शन व नारेबाजी भी की. इस दौरान शासन-प्रशासन के साथ ही ग्राम प्रधान व स्थानीय सांसद के खिलाफ भी ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों का कहना था कि यहां की सीवर समस्या को दूर करके गांव के जल निकासी की व्यवस्था नहीं की गई तो वे लोग चुनाव का बहिष्कार करते हुए किसी भी पार्टी को वोट नहीं देंगे.
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार वर्ष 2003 मे क्षेत्र के तात्कालीन विधायक वीरेंद्र सिंह ने गांव की जल निकासी की समस्या को देखते हुए सीवर का निर्माण कराया था, जो गांव से निकलकर चौबेपुर भगतुआं रोड के दक्षिणी किनारे से होते हुए गांव के पूरब की ओर बड़े तालाब तक बनवाया गया था. सीवर बनने के बाद समस्या का समाधान हो गया,लेकिन साल2018 में चौबेपुर बलुआ घाट रोड के चौड़ीकरण के समय सीवर की व्यवस्था ध्वस्त हो गई. जिससे गांव का पानी सड़क पर बहने लगा. ये समस्या आज तक बनी हुई है.
ग्राम प्रधान से लेकरसांसद तक लगाईगुहार
सिरिस्ती गांव के डाक्टर अवधेश नारायण सिंह, अमरनाथ सिंह, सियाराम सिंह, दीपक सिंह आदि ग्रामीणों का कहना था कि इस समस्या के बाबत ग्राम प्रधान से लेकर, बीडीओ, जिलाधिकारी सहित स्थानीय विधायक व सांसद से भी गुहार लगाई,लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका.
प्रधान पति पर सीवर व्यवस्था ध्वस्त करने का आरोप
सिरिस्ती गांव के अवधेश सिंह, राजू गुप्ता, लालजी सहित दर्जनों ग्रामीणों का आरोप था कि चौबेपुर भगतुआं मार्ग के चौड़ीकरण के बाद भी सड़क किनारे से होकर गांव का पानी तालाब तक पहुंच जाता था, लेकिन गांव के प्रधानपति ने चुनावी रंजिश के कारण सीवर के चैम्बर मे मिट्टी भरवा दिया. इतना ही नहींइंटरलाकिंग सड़क पर भी मिट्टी गिराकर पूरे जल निकासी की व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया. जिससे समस्या ज्यादा गम्भीर हो गई. ग्रामीणों का कहना था कि इस प्रकरण की शिकायत बीते 19 मार्च को जिलाधिकारी से की गई,लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी.
प्रधानपति ने आरोपों को किया खारिज
सीवर समस्या के संबंध मे ग्रामीणों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को सिरिस्ती गांव के प्रधान पति ने सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि वे सीवर व्यवस्था ध्वस्त नहीं किए हैं. सड़क पर मिट्टी गिरवाकर पानी उन्होंने ही रोका है क्योंकि कुछ ग्रामीणों के घरों मे पानी प्रवेश करने लगा था. सीवर समस्या के समाधान के लिए वो भी प्रयास कर रहें हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
सीवर नहीं तो वोट नहीं का नारा
सड़क पर फैल रहे सीवर के गंदे पानी से गांव का रास्ता अवरूद्ध हो गया है. जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने जन प्रतिनिधियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया और सीवर नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद किया.