आगरा: ताजनगरी में पुलिस ने नकली स्टेरॉयड इंजेक्शन सप्लाई करने वाले गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार किए हैं. दोनों आरोपी बुकी हैं, दोनों कर्नाटक से नकली डेका-ड्यूरोबोलिन (50 एमजी) इंजेक्शन 2600 इंजेक्शन मंगवाए थे. पुलिस और औषधि विभाग की टीम अब नकली इंजेक्शन कहां खपाए गए, इसकी जांच कर रही है. वहीं, इस मामले में सबूत नहीं मिलने पर पुलिस ने हेमा मेडिकल स्टोर के हिमांशु अग्रवाल को छोड़ दिया है.
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औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक ने बताया कि कर्नाटक की रिद्धि-सिद्धि फार्मा ने 21 अप्रैल-2021 को फव्वारा के मुबारक महल स्थित राजू ड्रग हाउस को डेका- ड्यूराबोलिन (50 एमजी) इंजेक्शन बेचे थे. राहुल नाम के व्यक्ति ने 2600 इंजेक्शन खरीदकर राजू ड्रग हाउस के नाम से बिल बनवाए थे. जिसका कम्प्यूटराइज्ड बिल 5,27,800 रुपये का बनाया गया. राजू ड्रग हाउस ने इंजेक्शन फव्वारा के माधव ड्रग हाउस को इंजेक्शन बेच दिए. फिर माधव ड्रग हाउस ने नकली इंजेक्शन होने पर राजू ड्रग हाउस को लौटा दिए.
पूछताछ के बाद ड्रग कारोबारी छोड़े
औषधि विभाग ने पुलिस की मदद से राजू ड्रग हाउस के संचालिका रेखा भगतानी, हेमा मेडिकल स्टोर के संचालक हिमांशु अग्रवाल और राहुल कुमार को गुरुवार देर रात हिरासत में लेकर पूछताछ की. रेखा भगतानी ने बताया कि दुकान पर नहीं आती है. उनका काम रंजीत शर्मा देखता है. इस पर पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया, लेकिन रंजीत शर्मा को हिरासत में लेकर पूछताछ की. फिर हेमा मेडिकल स्टोर के हिमांशु अग्रवाल को छोड़ दिया गया.
बुकी पर एफआईआर, फिर गिरफ्तार
औषधि विभाग के निरीक्षक नरेश मोहन दीपक की तहरीर पर कोतवाली थाना पुलिस ने नौबस्ता, लोहामंडी निवासी राहुल कुमार सिंह और आवास विकास कालोनी सेक्टर-7 (जगदीशपुरा) निवासी रंजीत शर्मा के खिलाफ कॉपीराइट एक्ट, ट्रेडमार्क अधिनियम और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस ने राहुल कुमार सिंह और रंजीत शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है. दोनों ही बुकी हैं. नकली इंजेक्शन सप्लाई करने वाले गिरोह से जुड़े हैं. दोनों फार्मा कंपनियों से लेकर थोक और फुटकर व्यापारियों के बीच कड़ी है. दोनों से पूछताछ में गिरोह के नेटवर्क के बारे में तमाम जानकारी मिलीं हैं. जिन्हें पुलिस और औषधि विभाग की टीम तस्दीक कर रही है.
छापेमारी से मची खलबली
औषधि विभाग की टीम ने गुरुवार रात पुलिस के साथ फव्वारा के दवा बाजार में छापा मारा. जिससे बाजार में खलबली मच गई. टीम ने राजू ड्रग हाउस के संचालक से पूछताछ की तो पता चला कि नकली इंजेक्शन हेमा मेडिकल स्टोर के हिमांशु अग्रवाल को बेच दिए थे. औषधि विभाग की टीम ने हिमांशु अग्रवाल से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसने इंजेक्शन वाराणसी, लखनऊ और कानपुर की फर्मों को बेचे हैं. अब औषधि विभाग की टीम अब नकली इंजेक्शनों की रिकवरी में जुटी है.
ताकत बढ़ाता है डेका-ड्यूरोबोलिन
औषधि निरीक्षक का कहना है कि डेका-ड्यूरोबोलिन (50 एमजी) इंजेक्शन ताकत बढ़ाता है. इसलिए कोरोना काल में इसकी खूब डिमांड थी. यह इंजेक्शन खूब कोरोना संक्रमितों को लगाया गया. इसके साथ ही यह इंजेक्शन आगरा से वाराणसी, लखनऊ और कानपुर की फर्मों को भी बिक्री किए गए हैं. जिसकी छानबीन की जा रही है.
8.84 लाख रुपये है इंजेक्शन की मार्केट वैल्यू
इंजेक्शन खरीद का बिल 5,27,800 रुपय का है. एक इंजेक्शन की एमआरपी 338.40 रुपय मुद्रित की गई है. जबकि इन इंजेक्शन की मार्केट वैल्यू करीब 8.84 लाख रुपय है. कुछ स्थानों पर इसकी बिक्री प्रतिबंधित है.औषधि विभाग ने असली और नकली इंजेक्शनों की पैकिंग की बारीकी से जांच की है. असली इंजेक्शन का पैकेट थोड़ा बड़ा है. जबकि नकली का छोटा है.