बरेली: सड़क हादसों में होने वाली मौतों को रोकने के लिए परिवहन विभाग ने एक नई पहल की है. इस पहल में घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों को नेक आदमी माना जायेगा. जिले के परिवहन आयुक्त जयशंकर तिवारी ने बताया कि ऐसे लोग जो हादसों में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाएंगे उनको सरकार प्रोत्साहित करेगी. इस योजना को गुड सेमेरिटन नाम दिया गया है. जिले के परिवहन विभाग के अधिकारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में इस बात का खुलासा किया.
सरकार की है योजना
- इस योजना को गुड सेमेरिटन नाम दिया गया है.
- यह योजना चल तो रही है, लेकिन इसको अब नए सिरे से लागू करने की फिर से तैयारी है.
- ऐसे लोग जो हादसों में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाएंगे उनको सरकार प्रोत्साहित करेगी.
परिवहन आयुक्त जय शंकर तिवारी ने बताया कि इस योजना को गुड सेमेरिटन नाम दिया गया है. उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग की तरफ से यह पहल शुरू की गई है. अब इस योजना में सरकारी और प्राइवेट अस्पताल भी भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि जान बचाने वाले शख्स को बिना वजह कोई परेशान नहीं कर सकता, उस व्यक्ति की परमिशन के बिना उसकी पहचान उजागर नहीं की जाएगी.
कौन हैं गुड सेमेरिटन
सड़क दुर्घटना में घायलों को तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने वाले मददगारों को नेक आदमी (गुड सेमेरिटन) कहते हैं.
क्या है कानून
2016 में बना गुड सेमेरिटन कानून आमतौर पर उन लोगों को बुनियादी कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, जो घायल या खतरे में पड़े व्यक्ति की सहायता करते हैं. कानून कहता है कि अगर कोई आपात स्थिति में हो और उसकी मदद के लिए कोई व्यक्ति पुलिस को फोन करे तो पुलिस उससे उसकी पहचान बताने को नहीं कहेगी. मददगार को अपनी पहचान और पता अस्पताल स्टॉफ और पुलिस को बताने की जरूरत नहीं होगी. यदि गुड सेमेरिटन किसी घटना का गवाह बनता है, तो पुलिस बेहद सावधानी बरतते हुए उससे जांच में सहयोग के लिए पूछताछ करेगी.