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गोरखपुर-कोलकाता के बीच नहीं चल रहीं ट्रेनें, जानिये क्यों

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और कोलकाता के बीच अभी भी ट्रेनों का संचालन शुरू नहीं हो सका है. उम्मीद की जा रही है कि नवरात्र के अवसर पर रेलवे बोर्ड ट्रेन चलाने में शायद सफल हो जाए, लेकिन सब कुछ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निर्भर करता है. उनकी स्वीकृति के बाद ही ट्रेनों का संचालन हो सकेगा.

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Published : Oct 10, 2020, 4:13 PM IST

 भारतीय रेल
भारतीय रेल

गोरखपुर: देश का हर कोना कोरोना की इस महामारी में अनलॉक के दौरान ट्रेन सुविधा से जुड़ गया है, लेकिन गोरखपुर और कोलकाता के बीच अभी भी ट्रेनों का संचालन शुरू नहीं हो सका है. उम्मीद जताई जा रही थी कि नवरात्र के पर्व तक बंगाल की सरकार इस रूट पर ट्रेनों के संचालन की अनुमति दे देगी, लेकिन रेलवे बोर्ड और पूर्वोत्तर रेलवे को इस मामले में न उम्मीदी ही हाथ लगी है. रेलवे और रेल यात्रियों की राह में पश्चिम बंगाल सरकार पिछले चार माह से रोड़ा बनी हुई है. इसकी वजह से हावड़ा तक जाने वाली पूर्वांचल और शालीमार एक्सप्रेस का संचालन अभी नहीं हो सका है. इससे यहां रोजगार के लिए जाने-आने वाले गोरखपुर और आसपास के इलाकों के लोग काफी मायूस हैं.

पश्चिम बंगाल सरकार की अनुमति का इंतजार

दशहरा, दीपावली और छठ पर्व को देखते हुए कोलकाता रूट पर यात्रियों का दबाव बढ़ता जा रहा है. त्योहारों को लेकर लोगों की चिंता भी बढ़ रही है. पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह की मानें तो रेलवे तमाम रूटों पर पूजा स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा कर रहा है, लेकिन गोरखपुर-कोलकाता रूट को चलाने में वह पश्चिम बंगाल सरकार की उदासीनता और हठधर्मिता के आगे बेबस नजर आ रहा है. पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन आमजन की परेशानियों को देखते हुए रेलवे बोर्ड को पूर्वांचल और बाघ एक्सप्रेस चलाने के लिए तीन बार प्रस्ताव भेज चुका है, लेकिन बोर्ड और राज्य सरकार से अनुमति न मिलने के कारण ट्रेन का संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है. एक जून से पूरे देश में स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं. गोरखपुर से 13 जोड़ी स्पेशल ट्रेन चल रही हैं. इसके अलावा बिहार से दिल्ली रूट की 12 सामान्य स्पेशल और क्लोन ट्रेन चलाई जा रही हैं, लेकिन कोलकाता और गोरखपुर रूट अभी भी बाधित है.

कोलकाता को छोड़कर गोरखपुर से देश के सभी प्रमुख शहर जुड़ गए हैं. दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसी जगहों के लिए ट्रेनें दौड़ रही हैं, लेकिन कोलकाता ही इससे अछूता है. उम्मीद की जा रही है कि नवरात्र के अवसर पर रेलवे बोर्ड ट्रेन चलाने में शायद सफल हो जाए, लेकिन सब कुछ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निर्भर करता है. उनकी स्वीकृति मिलने के बाद ही पूर्वोत्तर रेलवे के बोर्ड को भेजा गया प्रस्ताव स्वीकृत माना जाएगा. इसके बाद इस रूट पर भी ट्रेनें फर्राटे से दौड़ने लगेंगी और लोगों की उम्मीदें भी परवान चढ़ सकेंगी.

गोरखपुर: देश का हर कोना कोरोना की इस महामारी में अनलॉक के दौरान ट्रेन सुविधा से जुड़ गया है, लेकिन गोरखपुर और कोलकाता के बीच अभी भी ट्रेनों का संचालन शुरू नहीं हो सका है. उम्मीद जताई जा रही थी कि नवरात्र के पर्व तक बंगाल की सरकार इस रूट पर ट्रेनों के संचालन की अनुमति दे देगी, लेकिन रेलवे बोर्ड और पूर्वोत्तर रेलवे को इस मामले में न उम्मीदी ही हाथ लगी है. रेलवे और रेल यात्रियों की राह में पश्चिम बंगाल सरकार पिछले चार माह से रोड़ा बनी हुई है. इसकी वजह से हावड़ा तक जाने वाली पूर्वांचल और शालीमार एक्सप्रेस का संचालन अभी नहीं हो सका है. इससे यहां रोजगार के लिए जाने-आने वाले गोरखपुर और आसपास के इलाकों के लोग काफी मायूस हैं.

पश्चिम बंगाल सरकार की अनुमति का इंतजार

दशहरा, दीपावली और छठ पर्व को देखते हुए कोलकाता रूट पर यात्रियों का दबाव बढ़ता जा रहा है. त्योहारों को लेकर लोगों की चिंता भी बढ़ रही है. पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह की मानें तो रेलवे तमाम रूटों पर पूजा स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा कर रहा है, लेकिन गोरखपुर-कोलकाता रूट को चलाने में वह पश्चिम बंगाल सरकार की उदासीनता और हठधर्मिता के आगे बेबस नजर आ रहा है. पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन आमजन की परेशानियों को देखते हुए रेलवे बोर्ड को पूर्वांचल और बाघ एक्सप्रेस चलाने के लिए तीन बार प्रस्ताव भेज चुका है, लेकिन बोर्ड और राज्य सरकार से अनुमति न मिलने के कारण ट्रेन का संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है. एक जून से पूरे देश में स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं. गोरखपुर से 13 जोड़ी स्पेशल ट्रेन चल रही हैं. इसके अलावा बिहार से दिल्ली रूट की 12 सामान्य स्पेशल और क्लोन ट्रेन चलाई जा रही हैं, लेकिन कोलकाता और गोरखपुर रूट अभी भी बाधित है.

कोलकाता को छोड़कर गोरखपुर से देश के सभी प्रमुख शहर जुड़ गए हैं. दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसी जगहों के लिए ट्रेनें दौड़ रही हैं, लेकिन कोलकाता ही इससे अछूता है. उम्मीद की जा रही है कि नवरात्र के अवसर पर रेलवे बोर्ड ट्रेन चलाने में शायद सफल हो जाए, लेकिन सब कुछ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निर्भर करता है. उनकी स्वीकृति मिलने के बाद ही पूर्वोत्तर रेलवे के बोर्ड को भेजा गया प्रस्ताव स्वीकृत माना जाएगा. इसके बाद इस रूट पर भी ट्रेनें फर्राटे से दौड़ने लगेंगी और लोगों की उम्मीदें भी परवान चढ़ सकेंगी.

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