ETV Bharat / briefs

मनरेगा के मामले में यूपी के 10 सबसे खराब जिलों में गोंडा भी शामिल - जियो टैगिंग

केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करने के मामले में जिले का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. मनरेगा के मोर्चे पर स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही है. श्रमिकों के भुगतान के मामले में भी जिला फेल हुआ है.

मनरेगा के मामले में पिछड़ा गोंडा.
author img

By

Published : Jun 21, 2019, 10:13 PM IST

गोंडा: केंद्र की महत्वाकांक्षी योजनाओं की सूची में जिले का नाम एक बार फिर से 10 सबसे खराब जनपदों में शामिल हो गया है. जनपद पिछली बार गंदगी के मानक पर फेल हुआ था तो इस बार मनरेगा के चलते प्रदर्शन गिर गया. अब इस मामले पर प्रशासन की ओर से सफाई दी जा रही है.

मनरेगा के मामले में पिछड़ा गोंडा.
मनरेगा की मॉनीटरिंग में फेल
  • गांव से मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए गांव में ही 100 दिन का रोजगार देने के लिए केंद्र सरकार ने मनरेगा की शुरुआत की थी.
  • इसके पीछ उद्देश्य था कि इस योजना से जहां गांवों का विकास होगा वहीं श्रमिकों को गांवों में ही रोजगार मिलेगा, लेकिन जिले में इस महत्वाकांक्षी योजना की हवा निकल गई.
  • आलम यह है कि शासन स्तर पर मनरेगा योजना की हुई मॉनिटरिंग में जिले का नाम प्रदेश के 10 सबसे खराब जनपदों में शामिल हो गया.

क्या कहते हैं आंकड़े

  • आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017-18 में जिले के 1054 ग्राम पंचायतों में 2783 परियोजनाओं को शुरू किया गया था, जो 2 वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो सकीं.
  • इसके अलावा 11 तहसीलों में 500 कार्य अब भी अधूरे पड़े हैं.
  • मनरेगा के मामले में जिले की 165 ग्राम पंचायतों का प्रदर्शन बहुत ही लचर रहा है. इन पंचायतों में एक भी मानव दिवस का सृजन नहीं हुआ.

जियो टैगिंग में भी निराशाजनक प्रदर्शन

  • वर्ष 2019-20 तक सृजित कुल परिसंपत्तियों के सापेक्ष जियो टैगिंग में भी जनपद 10 सबसे खराब जनपद की श्रेणी में पहुंच गया है.
  • श्रमिकों को धन राशि भुगतान के मामले में जिले भर में 34.13 प्रतिशत मजदूरों को देरी से भुगतान किया गया.
  • काम के महीनों बाद भी लंबित ट्रांजैक्शन से जियो टैगिंग में जिले का प्रदर्शन गिरा है.

समीक्षा बैठक में जियो टैगिंग के लिए निर्देशित किया जा रहा है. परिसंपत्तियों के मामले में भी सुधार हुआ है. जहां तक मानव दिवस के सृजन का मामला है तो यहां हमने लक्ष्य से अधिक सफलता हासिल की है. इसके इतर जो भुगतान लंबित हैं, उन्हें शीघ्र पूरे कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं. अब तक ट्रांजैक्शन इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि मजदूरों के खाते आधार से लिंक न होने के कारण और कुछ गलत फीडिंग होने के कारण अब तक ट्रांजेक्शन नहीं हो सका है. जल्द ही इसमें सुधार करा दिया जाएगा.

-आशीष कुमार, सीडीओ

गोंडा: केंद्र की महत्वाकांक्षी योजनाओं की सूची में जिले का नाम एक बार फिर से 10 सबसे खराब जनपदों में शामिल हो गया है. जनपद पिछली बार गंदगी के मानक पर फेल हुआ था तो इस बार मनरेगा के चलते प्रदर्शन गिर गया. अब इस मामले पर प्रशासन की ओर से सफाई दी जा रही है.

मनरेगा के मामले में पिछड़ा गोंडा.
मनरेगा की मॉनीटरिंग में फेल
  • गांव से मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए गांव में ही 100 दिन का रोजगार देने के लिए केंद्र सरकार ने मनरेगा की शुरुआत की थी.
  • इसके पीछ उद्देश्य था कि इस योजना से जहां गांवों का विकास होगा वहीं श्रमिकों को गांवों में ही रोजगार मिलेगा, लेकिन जिले में इस महत्वाकांक्षी योजना की हवा निकल गई.
  • आलम यह है कि शासन स्तर पर मनरेगा योजना की हुई मॉनिटरिंग में जिले का नाम प्रदेश के 10 सबसे खराब जनपदों में शामिल हो गया.

क्या कहते हैं आंकड़े

  • आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017-18 में जिले के 1054 ग्राम पंचायतों में 2783 परियोजनाओं को शुरू किया गया था, जो 2 वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो सकीं.
  • इसके अलावा 11 तहसीलों में 500 कार्य अब भी अधूरे पड़े हैं.
  • मनरेगा के मामले में जिले की 165 ग्राम पंचायतों का प्रदर्शन बहुत ही लचर रहा है. इन पंचायतों में एक भी मानव दिवस का सृजन नहीं हुआ.

जियो टैगिंग में भी निराशाजनक प्रदर्शन

  • वर्ष 2019-20 तक सृजित कुल परिसंपत्तियों के सापेक्ष जियो टैगिंग में भी जनपद 10 सबसे खराब जनपद की श्रेणी में पहुंच गया है.
  • श्रमिकों को धन राशि भुगतान के मामले में जिले भर में 34.13 प्रतिशत मजदूरों को देरी से भुगतान किया गया.
  • काम के महीनों बाद भी लंबित ट्रांजैक्शन से जियो टैगिंग में जिले का प्रदर्शन गिरा है.

समीक्षा बैठक में जियो टैगिंग के लिए निर्देशित किया जा रहा है. परिसंपत्तियों के मामले में भी सुधार हुआ है. जहां तक मानव दिवस के सृजन का मामला है तो यहां हमने लक्ष्य से अधिक सफलता हासिल की है. इसके इतर जो भुगतान लंबित हैं, उन्हें शीघ्र पूरे कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं. अब तक ट्रांजैक्शन इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि मजदूरों के खाते आधार से लिंक न होने के कारण और कुछ गलत फीडिंग होने के कारण अब तक ट्रांजेक्शन नहीं हो सका है. जल्द ही इसमें सुधार करा दिया जाएगा.

-आशीष कुमार, सीडीओ

Intro:जिले को गंदे शहर के दाग से मुक्ति मिल गई तो इस बार मनरेगा ने मनरेगा ने ने बंटाधार कर दिया। जनपद एक बार फिर केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना के मामले में 10 सबसे खराब जनपदों में शुमार हो गया है।




Body:केंद्र सरकार द्वारा गांव से मजदूरों के पलायन को रोकने व प्रत्येक श्रमिकों को गांव में ही 100 दिन का रोजगार देने के लिए बाकायदा अधिनियम बनाकर मनरेगा योजना की शुरुआत की गई। उद्देश्य था कि इस योजना से जहां गांवों का विकास होगा वहीं श्रमिकों को गांवों में ही रोजगार मिलेगा। लेकिन यहां पर इस महत्वाकांक्षी योजना की हवा निकल गई हालात यह है कि शासन स्तर पर मनरेगा योजना की हुई मॉनिटरिंग में प्रदेशभर में 10 सबसे खराब जनपदों में गोंडा शामिल हो गया। आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2017-18 में जिले के 1054 ग्राम पंचायतों में 2783 परियोजनाओं को शुरू किया गया था। जो 2 वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो सकी। वही 11 ब्लॉकों में 500 कार्य अब भी अधूरे पड़े है। यही नहीं जनपद के कुल ग्राम पंचायतों के सापेक्ष 165 ग्राम पंचायत पूरी तरह से नकारा साबित हुई है। यहां पर एक भी मानव दिवस का सृजन नहीं हुआ वर्ष 2019 20 तक सृजित कुल परिसंपत्तियों के सापेक्ष जियो टैगिंग में भी जनपद 10 सबसे खराब जनपद की श्रेणी में पहुंच गया है। श्रमिकों को धन राशि भुगतान के मामले में 34.13 प्रतिशत भुगतान विलंब से किया गया। लंबित ट्रांजैक्शन ने भी गोण्डा दसवें स्थान पर धकेल दिया है।


Conclusion:इस मामले पर सीडीओ आशीष कुमार ने बताया कि समीक्षा बैठक में जियो टैगिंग के लिए निर्देशित किया जा रहा है। परिसंपत्तियों के मामले में भी सुधार हुआ है। वही मानव दिवस के सृजन पर सीडीओ ने बताया कि यह लक्ष्य से अधिक मानव दिवस का सृजन हुआ है। भुगतान के मामलों में उन्होंने स्वीकार किया के भुगतान लंबित है उन्हें शीघ्र किए जाने के निर्देश दिए गए हैं ट्रांजैक्शन की बात पर उन्होंने पर उन्होंने बताया ट्रांजैक्शन इसलिए फेल हो गए हैं कि मजदूरों के खाते आधार से लिंक ना होने के कारण वह कुछ गलत फीडिंग होने के कारण ऐसा हुआ है उनमें सुधार करवाया जा रहा है।

बाईट- आशीष कुमार(सीडीओ)

प्रांजल पांडेय
8604534148
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.