लखनऊ: आधुनिकता के इस दौर में जहां एक तरफ सब कुछ कंप्यूटराइज हो रहा है. अभी भी कुछ ऐसे कर्मचारी हैं, जो कागजों पर ही काम कर रहे हैं. काफी समय से इस तरह से काम करते हुए वह आधुनिक जरूरतों में पीछे रह गए हैं. वहीं दूसरी ओर प्रशासन बिना किसी तैयारी और ट्रेनिंग के इनसे कंप्यूटर दक्षता की उम्मीद रखता है.
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारी इसी प्रकार से असमंजस में फंसे हुए हैं, क्योंकि वर्षो से कोई काम कर रहे थे और अब उनसे औचक तरीके से टाइपिंग टेस्ट के लिए कहा जा रहा है जिसके लिए वह बिल्कुल भी प्रशिक्षित नहीं है.
लखनऊ विश्वविद्यालय में तृतीय श्रेणी कर्मचारी जो प्रशासनिक स्तर पर विभिन्न कार्यों को करते हैं. वह करीब पिछले 20 साल से कलम पर काम रहे थे. लेकिन प्रशासन की जरूरतों को मद्देनजर रखते हुए विभिन्न विभाग में कामकाज कंप्यूटराइज्ड हो रहा है. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन चाहता है कि सभी कर्मचारी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए टाइपिंग और कंप्यूटर के कार्य में दक्ष हो. इसके लिए उन्हें टाइप टेस्ट के लिए कहा गया है.
कर्मचारियों का कहना है कि इतने सालों से काम करते हुए उन्होंने कभी भी कंप्यूटर के उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया है. ऐसे में एकदम से उनसे टाइपिंग टेस्ट के लिए कहना अपने आप में सही नहीं है. टाइपिंग टेस्ट से पहले विश्वविद्यालय को सभी कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण उपलब्ध कराना चाहिए. साथ ही इसके लिए उन्हें समय भी देना चाहिए.
कर्मचारियों का यह भी कहना है की वह अपने सभी कार्यों का सही तरीके से निर्वहन कर रहे हैं. ऐसे कंप्यूटर की दक्षता के बहाने कर्मचारियों की छटनी करना विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य है. सभी विषयों पर कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को अवगत करा कर ज्ञापन सौंपा है कि टाइपिंग दक्षता के लिए उन्हें प्रशिक्षण के साथ थोड़ा समय भी उपलब्ध कराया जाए.