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मिर्ज़ापुर: नवरात्र के तीसरे दिन भी मां विंध्यवासिनी के दर्शन पाने के लिए लगा भक्तों का तांता - mirjapur news

चैत्र नवरात्र शुरु होते ही मिर्जापुर के आदि शक्ति जगत जननी मां विंध्यवासनी धाम में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है. मान्यता है कि यहां नवरात्र में मां के दर्शन मात्र से ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मां का दर्शन पाने के लिए लोग आधी रात से ही कतारों में हाथ में नारियल, चुनरी लेकर खड़े रहते हैं. मंदिर की ओर जाने वाली सातों गलियों में दर्शनार्थी लाइन लगाकर दर्शन कर रहे हैं घंटा-घड़ियाल की गूंज से मंदिर में भक्त मां की भक्ति में लीन दिखे. इस बीच मां के जयकारे मंदिर में गूंजते रहते हैं.

मां दुर्गा की नौ शक्तियों की तीसरी स्वरूपा भगवती चंद्रघंटा की पूजा करते श्रद्धालु
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Published : Apr 8, 2019, 8:49 AM IST

मिर्जापुर: विंध्याचल धाम में विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी का दर्शन पाने के लिए तीसरे दिन भी भक्तों का तांता लगा हुआ है. नवरात्र के तीसरे दिन मां विंध्यवासिनी के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की गई. मां की मंगला आरती के बाद भक्तों को मां का दर्शन मिलना शुरू हो गया है.

मां विंध्यवासिनी के दर्शन पाने के लिए भक्तों का लगा तांता
मां दुर्गा की नौ शक्तियों की तीसरी स्वरूपा भगवती चंद्रघंटा की पूजा नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है. माता के माथे पर घंटे आकार का अर्धचंद्र है जिस कारण उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. इनका रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है. माता का वाहन सिंह है और इनके 10 हाथ हैं जो विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र को सुशोभित रहते हैं. सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का स्वरूप युद्ध के लिए उद्धत दिखता है. भगवती चंद्रघंटा के घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर भयभीत रहते हैं.
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मां दुर्गा की नौ शक्तियों की तीसरी स्वरूपा भगवती चंद्रघंटा की पूजा करते श्रद्धालु

भगवती चंद्रघंटा की उपासना करने से उपासक अध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करता है और जो श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक दुर्गा सप्तमी का पाठ करता है. वह संसार में यश कीर्ती एवं सम्मान को प्राप्त करता है. माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना से मां भक्तों को सभी जन्मों के कष्ट और पापों से मुक्त कर इस लोक और परलोक में कल्याण प्रदान करती हैं.

मां भगवती अपने दोनों हाथों से साधकों को चिरायु, सुख-संपदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं. मनुष्य को निरंतर माता चंद्रघंटा का पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना करनी चाहिए. इस दिन महिलाओं को घर पर बुलाकर आदर सम्मानपूर्वक उन्हें भोजन कराना चाहिए. और उन्हें कलश या मंदिर की घंटी भेंट स्वरूप प्रदान करना चाहिए. इससे भक्तों पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है.

मिर्जापुर: विंध्याचल धाम में विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी का दर्शन पाने के लिए तीसरे दिन भी भक्तों का तांता लगा हुआ है. नवरात्र के तीसरे दिन मां विंध्यवासिनी के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की गई. मां की मंगला आरती के बाद भक्तों को मां का दर्शन मिलना शुरू हो गया है.

मां विंध्यवासिनी के दर्शन पाने के लिए भक्तों का लगा तांता
मां दुर्गा की नौ शक्तियों की तीसरी स्वरूपा भगवती चंद्रघंटा की पूजा नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है. माता के माथे पर घंटे आकार का अर्धचंद्र है जिस कारण उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. इनका रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है. माता का वाहन सिंह है और इनके 10 हाथ हैं जो विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र को सुशोभित रहते हैं. सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का स्वरूप युद्ध के लिए उद्धत दिखता है. भगवती चंद्रघंटा के घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर भयभीत रहते हैं.
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मां दुर्गा की नौ शक्तियों की तीसरी स्वरूपा भगवती चंद्रघंटा की पूजा करते श्रद्धालु

भगवती चंद्रघंटा की उपासना करने से उपासक अध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करता है और जो श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक दुर्गा सप्तमी का पाठ करता है. वह संसार में यश कीर्ती एवं सम्मान को प्राप्त करता है. माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना से मां भक्तों को सभी जन्मों के कष्ट और पापों से मुक्त कर इस लोक और परलोक में कल्याण प्रदान करती हैं.

मां भगवती अपने दोनों हाथों से साधकों को चिरायु, सुख-संपदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं. मनुष्य को निरंतर माता चंद्रघंटा का पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना करनी चाहिए. इस दिन महिलाओं को घर पर बुलाकर आदर सम्मानपूर्वक उन्हें भोजन कराना चाहिए. और उन्हें कलश या मंदिर की घंटी भेंट स्वरूप प्रदान करना चाहिए. इससे भक्तों पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है.

Intro:मिर्जापुर विंध्याचल धाम में विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी का दर्शन पाने के लिए तीसरे दिन भी भक्तों का ताता लगा हुआ है नवरात्र के तीसरे दिन मां विंध्यवासिनी के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की गई मां की मंगला आरती के बाद भक्तों को मां का दर्शन मिलना शुरू हो गया।


Body:मां दुर्गा की नौ शक्तियों की तीसरी स्वरूपा भगवती चंद्रघंटा की पूजा नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है माता के माथे पर घंटे आकार का अर्धचंद्र है जिस कारण उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है इनका रूप परम शांति दायक और कल्याणकारी है माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है इनका वाहन सिंह है और इनके 10 हाथ हैं जो विभिन्न प्रकार के अस्त्र शस्त्र को सुशोभित रहते हैं सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का स्वरूप युद्ध के लिए उद्धत दिखता है और उनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुरो राक्षस भयभीत रहते है। भागवती चंद्रघंटा की उपासना करने से उपासक अध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करता है और जो श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक दुर्गा सप्तमी का पाठ करता है वह संसार में यश कृति एवं सम्मान को प्राप्त करता है माता चंद्रघंटा पूजा अर्चना भक्तों के सभी जन्मो के कष्ट और पापों को मुक्त कर इस लोक और परलोक के कल्याण प्रदान करती हैं।

Bite-श्रद्धालु


Conclusion:मां भगवती अपने दोनों हाथों से साधकों को चिरायु सुख संपदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं मनुष्य को निरंतर माता चंद्रघंटा का पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की और अग्रसर होने का प्रयास करना चाहिए और इस दिन महिलाओं को घर पर बुलाकर आदर सम्मान पूर्वक उन्हें भोजन कराना चाहिए और कलश या मंदिर की घंटी उन्हें भेंट स्वरूप प्रदान करना चाहिए इससे भक्तों पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है।


Bite- मिट्ठू मिश्रा तीर्थ पुरोहित

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630
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