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उन्नाव: दुष्कर्म मामले में थानाध्यक्ष को मिली जमानत

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने माखी थाने के थानेदार अशोक कुमार सिंह भदौरिया को उन्नाव रेप केस में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. थानेदार पर इस मामले में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मदद करने का आरोप था.

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Published : Mar 11, 2019, 11:54 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उन्नाव रेप केस में माखी थाने के तत्कालीन थानेदार अशोक कुमार सिंह भदौरिया को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. थानाध्यक्ष पर उन्नाव कांड की पीड़िता के पिता को झूठे मुकदमे में जेल भेजने और दुष्कर्म मामले में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मदद करने का आरोप था.

यह आदेश न्यायमूर्ति रंग नाथ पांडेय की एकल सदस्यीय पीठ ने भदौरिया की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए पारित किया. याची की ओर से दलील दी गयी थी कि वह निर्देाष है और उसे गलत फंसाया गया है. यह भी दलील दी गई कि उस पर लगाई गई सभी धाराएं जमानतीय हैं.


इस मामले में सीबीआई चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. लिहाजा जमानत पर बाहर रहने के दौरान, जांच प्रभावित करने का प्रश्न ही नहीं उठता. न्यायालय ने जमानत पर रिहा करने के अपने आदेश में भदौरिया को चेतावनी भी दी कि वह रिहाई के बाद जमानत का दुरूपयोग नहीं करेगा. साथ ही वह प्रत्येक तारीख पर विचारण अदालत के समक्ष हाजिर होगा. न्यायालय ने विचारण अदालत को भी आदेश दिया है कि वह मामले की सुनवाई त्वरित गति से करते हुए, 6 महीने में विचारण पूरा कर ले.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उन्नाव रेप केस में माखी थाने के तत्कालीन थानेदार अशोक कुमार सिंह भदौरिया को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. थानाध्यक्ष पर उन्नाव कांड की पीड़िता के पिता को झूठे मुकदमे में जेल भेजने और दुष्कर्म मामले में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मदद करने का आरोप था.

यह आदेश न्यायमूर्ति रंग नाथ पांडेय की एकल सदस्यीय पीठ ने भदौरिया की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए पारित किया. याची की ओर से दलील दी गयी थी कि वह निर्देाष है और उसे गलत फंसाया गया है. यह भी दलील दी गई कि उस पर लगाई गई सभी धाराएं जमानतीय हैं.


इस मामले में सीबीआई चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. लिहाजा जमानत पर बाहर रहने के दौरान, जांच प्रभावित करने का प्रश्न ही नहीं उठता. न्यायालय ने जमानत पर रिहा करने के अपने आदेश में भदौरिया को चेतावनी भी दी कि वह रिहाई के बाद जमानत का दुरूपयोग नहीं करेगा. साथ ही वह प्रत्येक तारीख पर विचारण अदालत के समक्ष हाजिर होगा. न्यायालय ने विचारण अदालत को भी आदेश दिया है कि वह मामले की सुनवाई त्वरित गति से करते हुए, 6 महीने में विचारण पूरा कर ले.

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