ETV Bharat / briefs

कॉलेज लाइफ से ही गरीबों और दलितों के हितों के लिए संघर्ष कर रहे हैं भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर, जानें - bhim army

भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की बढ़ती लोकप्रियता से जहां सियासी दलों में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं भीम आर्मी के कार्यकर्ताओ में जोश देखा जा रहा है. वहीं दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी ताकत दिखाने के लिए शुक्रवार को भीम आर्मी की हुंकार रैली की जा रही है.

चंद्रशेखर आजाद (फाइल फोटो)
author img

By

Published : Mar 15, 2019, 12:30 PM IST

सहारनपुर : पश्चमी यूपी के सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के मुख्य आरोपी भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की बढ़ती लोकप्रियता से जहां सियासीदलों में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं भीम आर्मी के कार्यकर्ताओ में जोश देखा जा रहा है. जिसके चलते दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी ताकत दिखाने के लिए शुक्रवार को भीम आर्मी की हुंकार रैली की जा रही है. यहां उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों से एक लाख से ज्यादा लोगों के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.

रैली के माध्यम से भीम आर्मी न सिर्फ दलित एवं पिछले समाज को एक मंच पर लाने की कोशिश करेगी बल्कि अगड़ों पिछडों के हक की भी आवाज उठाएगी. फिरोज ने बताया कि उन्हें दलित जाति का कहकर उनका उत्पीड़न किया जाता था. जिससे तंग आकर चन्द्रशेखर ने भीम आर्मी संगठन की स्थापना कर दलित एवं पिछड़ों कोउत्पीड़न से छुटकारा दिलाने का बीड़ा उठाया. यही वजह रही कि 2017 में जनपद में ठाकुरों और दलितों में जातीय संघर्ष हुआ और इसके आरोप में चन्द्रशेखर को रासुका के तहत 11 महीने जेल में बिताने पड़े.

चंद्रशेखर शुरू से ही हैं जोशीले युवा

ईटीवी से बात करते हुए फिरोज ने बताया कि चंद्रशेखर शुरू से ही एक जोशीले युवा थे. कॉलेज लाइफ से ही वे सामाजिक कार्यो पर ध्यान देते थे. अगर कॉलेज में कोई घटना हो जाती थी, तो युवाओं के साथ मिलकर संघर्ष करते थे. कॉलेज में किसी दलित या गरीब छात्र के ऊपर जुल्म या ज्यादती होती तो चन्द्रशेखर उसका विरोध करते थे.

भीम आर्मी संगठन सहारनपुर से बाहर देश भर के कई राज्यों में बढ़ता चला गया. संस्थापक चन्द्रशेखर की पहचान दलित हीरो के नाम से बन गई. हिंसा भड़काने के आरोप में जेल से रिहाई कराने के लिए दिल्ली तक कई आंदोलन हुए. जिससे चन्द्रशेखर की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि लोकसभा चुनाव में हर राजनीतिक दल भीम आर्मी को अपने साथ जोड़ना चाहता है. इसका एक उदाहरण बुधवार को उस वक्त मिला जब कांग्रेस महासचिव समेत कई कांग्रेस नेता मेरठ के अस्पताल में भर्ती चन्द्रशेखर से मिलने पहुंचे.

सहारनपुर : पश्चमी यूपी के सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के मुख्य आरोपी भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की बढ़ती लोकप्रियता से जहां सियासीदलों में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं भीम आर्मी के कार्यकर्ताओ में जोश देखा जा रहा है. जिसके चलते दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी ताकत दिखाने के लिए शुक्रवार को भीम आर्मी की हुंकार रैली की जा रही है. यहां उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों से एक लाख से ज्यादा लोगों के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.

रैली के माध्यम से भीम आर्मी न सिर्फ दलित एवं पिछले समाज को एक मंच पर लाने की कोशिश करेगी बल्कि अगड़ों पिछडों के हक की भी आवाज उठाएगी. फिरोज ने बताया कि उन्हें दलित जाति का कहकर उनका उत्पीड़न किया जाता था. जिससे तंग आकर चन्द्रशेखर ने भीम आर्मी संगठन की स्थापना कर दलित एवं पिछड़ों कोउत्पीड़न से छुटकारा दिलाने का बीड़ा उठाया. यही वजह रही कि 2017 में जनपद में ठाकुरों और दलितों में जातीय संघर्ष हुआ और इसके आरोप में चन्द्रशेखर को रासुका के तहत 11 महीने जेल में बिताने पड़े.

चंद्रशेखर शुरू से ही हैं जोशीले युवा

ईटीवी से बात करते हुए फिरोज ने बताया कि चंद्रशेखर शुरू से ही एक जोशीले युवा थे. कॉलेज लाइफ से ही वे सामाजिक कार्यो पर ध्यान देते थे. अगर कॉलेज में कोई घटना हो जाती थी, तो युवाओं के साथ मिलकर संघर्ष करते थे. कॉलेज में किसी दलित या गरीब छात्र के ऊपर जुल्म या ज्यादती होती तो चन्द्रशेखर उसका विरोध करते थे.

भीम आर्मी संगठन सहारनपुर से बाहर देश भर के कई राज्यों में बढ़ता चला गया. संस्थापक चन्द्रशेखर की पहचान दलित हीरो के नाम से बन गई. हिंसा भड़काने के आरोप में जेल से रिहाई कराने के लिए दिल्ली तक कई आंदोलन हुए. जिससे चन्द्रशेखर की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि लोकसभा चुनाव में हर राजनीतिक दल भीम आर्मी को अपने साथ जोड़ना चाहता है. इसका एक उदाहरण बुधवार को उस वक्त मिला जब कांग्रेस महासचिव समेत कई कांग्रेस नेता मेरठ के अस्पताल में भर्ती चन्द्रशेखर से मिलने पहुंचे.

Intro:सहारनपुर : पश्चमी युपी के सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के मुख्य आरोपी भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की बढ़ती लोकप्रियता से जहां सियाशी दलों में हड़कंप मचा हुआ है वहीं भीम आर्मी कार्यकर्ताओ में जोश देखा जा रहा है। जिसके चलते दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी ताकत दिखाने के लिए आज भीम आर्मी की हुंकार रैली की जा रही है। जहां उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यो से एक लाख से ज्यादा लोगो के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। रैली के माध्यम से भीम आर्मी न सिर्फ दलित एवं पिछले समाज को एक मंच पर लाने की कोशिश करेगी बल्कि अगड़ों पिछडो के हक की आवाज उठाएगी। ईटीवी ने भीम आर्मी संगठन की स्थापना के बारे में ग्राउंड जीरो पर जाकर तफ्तीश की तो भीम आर्मी की कहानी किसी फिल्म से कम नही थी। फिल्मों की तरह चंद्रशेखर ने ठाकुर समाज के उत्पीड़न से तंग आकर भीम आर्मी की स्थापना की थी। चंद्रशेखर के मित्र फ़िरोज़ ने बताया कि ग़ांव के कॉलेज में पढ़ते वक्त ठाकुर समाज के युवक दलित, मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ दुर्व्यवहार करते थे। उन्हें नीची जाति का कहकर उनका उत्पीड़न कियाया जाता था। जिससे तंग आकर चन्द्रशेखर ने भीम आर्मी संगठन की स्थापना कर दलित एवं पिछडो को ठाकुरों के उत्पीडन से छुटकारा दिलाने का बीड़ा उठाया। यही वजह रही कि 2017 में जनपद में ठाकुरों और दलितों में जातीय संघर्ष हुआ और इसके आरोप में चन्द्रशेखर को रासुका के तहत 11 महीने जेल में बिताने पड़े।


Body:VO 1 - भीम आर्मी संस्थापक चन्द्रशेखर आजाद की कहानी अमरीशपुरी की किसी फिल्म से कम नही है। जैसे फिल्मों में ठाकुर की भूमिका निभा अमरीशपुरी दलितों एवं किसानों का उत्पीड़न करते है और किसान का कोई बेटा अनिल कपूर या फिर मिथुन चक्रवर्ती ठाकुर के उत्पीड़न एवं अत्याचार का विरोध करनते है। चन्द्रशेखर की कहानी में ठाकुर समाज के युवक अमरीशपुरी के रोल में आये। ईटीवी की टीम ने चंद्रशेखर के ग़ांव छुटमलपुर पहुंचकर जीरो ग्राउंड पर भीम आर्मी संगठन की स्थापना के बारे में जानना चाह तो हकीकत सामने आई है। हमने चन्द्रशेखर के घर को देखा तो पूरा घर नीले रंग में रंगा मिला। बताया जा रहा है नीला रंग डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा दलितो के लिए शुभ रंग माना गया है। चन्द्रशेखर के ड्रॉइंगरूम में डॉ भीम राव अम्बेडकर से लेकर मायावती तक दर्जनों समाज सुधारकों के चित्र लगे मिले। चंद्रशेखर के पारिवारिक मित्र फ़िरोज़ ने हाने बताया कि वे बचपन से चंद्रशेखर को जानते हैं और बेक साथ एक ही स्कूल में पढ़े और खेले है। ईटीवी को फ़िरोज़ ने बताया कि चंद्रशेखर शुरू से ही एक जोशीले युवा थे। कॉलेज लाइफ से ही वे सामाजिक कार्यो पर ध्यान देते थे। अगर कॉलेज में कोई घटना हो जाती थी तो युवाओ के साथ मिलकर संघर्ष करते थे। कॉलेज में किसी दलित या गरीब छात्र के ऊपर जुल्म या ज्याददती होती तो चन्द्रशेखर उसका विरोध करते थे। छुटमलपुर ग़ांव में ASP इंटर कॉलेज है जहां ठाकुर समाज के युवाओ का होल्ड रहता था। ठाकुर बाहुल्य होने के चलते ठाकुर समाज के युवक दलित, मुस्लिम और पिछड़े छात्रो के साथ मारपीट , दुर्व्यवहार और उनका उत्पीड़न करते रहते थे। ठाकुर युवकों के बढ़ते उत्पीड़न को देख कर चंद्रशेखर ने भीम आर्मी संगठन की स्थापना करने का फैसला लिया। जिससे दलित और पिछड़ा वर्ग एक साथ होकर ठाकुर समाज के उत्पीड़न का विरोध कर सके। भीम आर्मी की स्थापना 2015 में की गई। 2017 में जातीय हिंसा के बाद सुर्खियों में आई तो भीम आर्मी संगठन सहारनपुर से बाहर देश भर के कई राज्यो में बढ़ता चला गया। संस्थापक चन्द्रशेखर की पहचान दलित हीरो के नाम से बन गई। हिंसा भड़काने के आरोप में जेल से रिहाई कराने के लिए दिल्ली तक कई आंदोलन हुए।जिससे चन्द्रशेखर की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि लोकसभा चुनाव में हर राजनीतिक दल भीम आर्मी को अपने साथ जोड़ना चाहता है। इसका एक उदाहरण बुधवार को उस वक्त मिला जब कांग्रेस महासचिव समेत कई कांग्रेस नेता मेरठ के अस्पताल में भर्ती चन्द्रशेखर से मिलने पहुंचे। चन्द्रशेखर का कद इतना बढ़ गया कि चन्द्रशेखर ने पीएम मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर डाली जिससे सियाशी दलों की धड़कने बढ़ी हुई है।

बाईट - फ़िरोज़ खान ( चन्द्रशेखर का पारिवारिक मित्र )


Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.