सहारनपुर : पश्चमी यूपी के सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के मुख्य आरोपी भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की बढ़ती लोकप्रियता से जहां सियासीदलों में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं भीम आर्मी के कार्यकर्ताओ में जोश देखा जा रहा है. जिसके चलते दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी ताकत दिखाने के लिए शुक्रवार को भीम आर्मी की हुंकार रैली की जा रही है. यहां उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों से एक लाख से ज्यादा लोगों के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.
रैली के माध्यम से भीम आर्मी न सिर्फ दलित एवं पिछले समाज को एक मंच पर लाने की कोशिश करेगी बल्कि अगड़ों पिछडों के हक की भी आवाज उठाएगी. फिरोज ने बताया कि उन्हें दलित जाति का कहकर उनका उत्पीड़न किया जाता था. जिससे तंग आकर चन्द्रशेखर ने भीम आर्मी संगठन की स्थापना कर दलित एवं पिछड़ों कोउत्पीड़न से छुटकारा दिलाने का बीड़ा उठाया. यही वजह रही कि 2017 में जनपद में ठाकुरों और दलितों में जातीय संघर्ष हुआ और इसके आरोप में चन्द्रशेखर को रासुका के तहत 11 महीने जेल में बिताने पड़े.
ईटीवी से बात करते हुए फिरोज ने बताया कि चंद्रशेखर शुरू से ही एक जोशीले युवा थे. कॉलेज लाइफ से ही वे सामाजिक कार्यो पर ध्यान देते थे. अगर कॉलेज में कोई घटना हो जाती थी, तो युवाओं के साथ मिलकर संघर्ष करते थे. कॉलेज में किसी दलित या गरीब छात्र के ऊपर जुल्म या ज्यादती होती तो चन्द्रशेखर उसका विरोध करते थे.
भीम आर्मी संगठन सहारनपुर से बाहर देश भर के कई राज्यों में बढ़ता चला गया. संस्थापक चन्द्रशेखर की पहचान दलित हीरो के नाम से बन गई. हिंसा भड़काने के आरोप में जेल से रिहाई कराने के लिए दिल्ली तक कई आंदोलन हुए. जिससे चन्द्रशेखर की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि लोकसभा चुनाव में हर राजनीतिक दल भीम आर्मी को अपने साथ जोड़ना चाहता है. इसका एक उदाहरण बुधवार को उस वक्त मिला जब कांग्रेस महासचिव समेत कई कांग्रेस नेता मेरठ के अस्पताल में भर्ती चन्द्रशेखर से मिलने पहुंचे.