बुलंदशहर: जिले में गंगा किनारे बसे छोटे से कस्बे आहार में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदीर है. जहां दर्शन करने आने वाले सभी श्रद्धालुओं की भगवान भोले हर मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता है इस त्रंबकेश्वर मंदिर में कभी पांडवों ने भी भगवान शिव की पूजा की थी और माता रुक्मणी भी इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने आया करती थीं.
इस त्रंबकेश्वर मंदिर में उज्जैन की तर्ज पर भगवान भोलेनाथ का भी श्रृंगार किया जाता है. मंदिर में प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भी देखी जाती है. देश विदेश से हर दिन सैकड़ों की संख्या में भक्त भगवान भोले के दर्शन के लिए आते हैं और शिव लिंग पर जलाभिषेक करते हैं.
आहार में स्थित यह मंदिर सतयुग काल से अपने आप में कई किस्से समेटे हुए है. जहां प्राचीन काल में एक कथा के अनुसार भीम को छल से जहर देकर दुर्योधन ने मारने की कोशिश की थी और खीर खिलाने के बाद उसे गंगा नदी में फेंक दिया था. तैरते हुए भीम आहार पहुंचे थे. उस समय आहार पर शासन करने वाले नागवंशी शासकों ने भीम को नदी से निकालकर उनका उपचार किया था. इसके बाद भीम ठीक होकर हस्तिनापुर लौट गए थे. अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इसी प्राचीन शिव मंदिर में विशेष तौर पर पूजा-अर्चना की थी.
महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां जबरदस्त मेला लगता है और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. सुबह से देर रात तक मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए अपने नंबर का इंतजार करते देखे जा सकते हैं.