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इस शिव मंदिर में पांडव ने की थी पूजा, दर्शन के लिए लगता है भक्तों का तांता - shiv temple

बुलंदशहर के आहार कस्बे में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है. जहां आने वाले श्रद्धालुओं की भगवान सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

भगवान शिव का प्रचीन मंदिर.
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Published : Mar 3, 2019, 4:13 PM IST

बुलंदशहर: जिले में गंगा किनारे बसे छोटे से कस्बे आहार में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदीर है. जहां दर्शन करने आने वाले सभी श्रद्धालुओं की भगवान भोले हर मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता है इस त्रंबकेश्वर मंदिर में कभी पांडवों ने भी भगवान शिव की पूजा की थी और माता रुक्मणी भी इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने आया करती थीं.

भगवान शिव का प्रचीन मंदिर.

इस त्रंबकेश्वर मंदिर में उज्जैन की तर्ज पर भगवान भोलेनाथ का भी श्रृंगार किया जाता है. मंदिर में प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भी देखी जाती है. देश विदेश से हर दिन सैकड़ों की संख्या में भक्त भगवान भोले के दर्शन के लिए आते हैं और शिव लिंग पर जलाभिषेक करते हैं.

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आहार में स्थित यह मंदिर सतयुग काल से अपने आप में कई किस्से समेटे हुए है. जहां प्राचीन काल में एक कथा के अनुसार भीम को छल से जहर देकर दुर्योधन ने मारने की कोशिश की थी और खीर खिलाने के बाद उसे गंगा नदी में फेंक दिया था. तैरते हुए भीम आहार पहुंचे थे. उस समय आहार पर शासन करने वाले नागवंशी शासकों ने भीम को नदी से निकालकर उनका उपचार किया था. इसके बाद भीम ठीक होकर हस्तिनापुर लौट गए थे. अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इसी प्राचीन शिव मंदिर में विशेष तौर पर पूजा-अर्चना की थी.

महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां जबरदस्त मेला लगता है और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. सुबह से देर रात तक मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए अपने नंबर का इंतजार करते देखे जा सकते हैं.

बुलंदशहर: जिले में गंगा किनारे बसे छोटे से कस्बे आहार में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदीर है. जहां दर्शन करने आने वाले सभी श्रद्धालुओं की भगवान भोले हर मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता है इस त्रंबकेश्वर मंदिर में कभी पांडवों ने भी भगवान शिव की पूजा की थी और माता रुक्मणी भी इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने आया करती थीं.

भगवान शिव का प्रचीन मंदिर.

इस त्रंबकेश्वर मंदिर में उज्जैन की तर्ज पर भगवान भोलेनाथ का भी श्रृंगार किया जाता है. मंदिर में प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भी देखी जाती है. देश विदेश से हर दिन सैकड़ों की संख्या में भक्त भगवान भोले के दर्शन के लिए आते हैं और शिव लिंग पर जलाभिषेक करते हैं.

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आहार में स्थित यह मंदिर सतयुग काल से अपने आप में कई किस्से समेटे हुए है. जहां प्राचीन काल में एक कथा के अनुसार भीम को छल से जहर देकर दुर्योधन ने मारने की कोशिश की थी और खीर खिलाने के बाद उसे गंगा नदी में फेंक दिया था. तैरते हुए भीम आहार पहुंचे थे. उस समय आहार पर शासन करने वाले नागवंशी शासकों ने भीम को नदी से निकालकर उनका उपचार किया था. इसके बाद भीम ठीक होकर हस्तिनापुर लौट गए थे. अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इसी प्राचीन शिव मंदिर में विशेष तौर पर पूजा-अर्चना की थी.

महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां जबरदस्त मेला लगता है और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. सुबह से देर रात तक मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए अपने नंबर का इंतजार करते देखे जा सकते हैं.

Intro:बुलंदशहर के गंगा के किनारे स्थित आहार में त्रंबकेश्वर मंदिर में कभी पांडवों ने भी भगवान शिव की पूजा की थी तो वहीं माता रुक्मणी ने भी इस मंदिर में अक्सर पूजा करने आया करती थीं, विशेष तौर पर फागुन मास में महाशिवरात्रि पर यहां मेला लगा करता है ,और शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं ,जो कि हरिद्वार और हर की पैड़ी से जल लेकर यहां आते हैं ।पेश है सतयुग के जमाने के भगवान भोलेनाथ स्वयम्भू मन्दिर से जुड़ी विशेष खबर। कृपया निवेदन करना है कि एफटीपी से पैकेज फॉर्मेट में खबर के विसुअल बाइट फर्स्ट ptc और ending पीटीसी प्रेषित है... satyug ka shiv dham03-03-19


Body:बुलंदशहर जिले के गंगा नदी के किनारे बसा एक छोटा सा शहर है आहार यहां भगवान भोलेनाथ का मंदिर है जो कि सतयुग काल से अपनर आप आप में कई किस्से समेटे हुए है,,इतना ही नहीं गंगा नदी के समीप बने इस मंदिर पर फाल्गुन मास में जहां शिवभक्त हर की पैड़ी और हरिद्वार से जल लाकेट जलाभिषेक किया करते हैं वहीं विशेष तौर पर यहां प्रत्येक दिन उज्जैन की तर्ज पर ही यहां भी भगवान भोलेनाथ का भी श्रंगार होता है,इस प्राचीन शिव के धाम का अपना अलग ही पौराणिक महत्व बताया जाता है,भगवान भोलेनाथ के इस त्र्यम्बकेश्वर स्वयम्भू शिव मंदिर पर यूं तो हर दिन सेंकडों श्रध्दालु देशभर से आते हैं लेकिन विशेष तौर पर यहां पूर्णिमा और अमावश्या के मौके पर श्रध्दालु आते हैं ,यहां आने वाले भक्तों को भगवान खाली हाथ नहीं भेजते ,या यूं कहिये की यहां के बारे में प्रचलित है कि इस मंदिर में जो एक बार आ गया उसके कष्ट मिट जाते हैं,आमतौर पर लोग यहां आकर पहले मोक्षदायिनी गंगा नदी में स्नान करते हैं उसके बाद ही भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना करते हैं,यहां आने वाले भक्त अपनी इच्छानुसार यहां प्रसाद और भंडारे का आयोजन भी करते हैं,तो वहीं जलाभिषेक के लिए आने वाले भक्तों का तो तांता लगा तहत है,महाशिवरात्रि पर यहां मेला लगता है और सुबह तड़के से देर रात रात तक भक्त अपने नम्बर का इंतजार करते देखे जा सकते हैं,जिले के आहार का भी अपना पौराणिक महत्व है,आहार के अवन्तिकहा देवी मंदिर से भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मणि जी का हरण किया था ,तो वहीं पांडवों ने भी अज्ञात वास के दौरान यहां स्वंयम्भू मन्दिर में विशेष तौर पर भगवान शिव की आराधना की थी।यह पूरे साल श्रद्धालु आते हैं और खास तौर पर यहां शिवरात्रि पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है।मन्दिर में पूजा के लिए ग्रेटर नोएडा से आई मीनू शर्मा का कहना है कि वो और उनके परिजन हमेशा पूर्णिमा और अमावस्या के दौरान पूजा के लिए आते हैं,तो वहीं राजेश जो कि अमरोहा जिले के अंधेरीपुर से भगवान भोलेनाथ के दर पर आए थे का कहना है कि यहां ईश्वर से जो भी मांग व्व मुराद पूरी हुई। बाइट....महंत विक्रम गिरी, मीनू शर्मा, श्रदालु, राकेश कुमार,


Conclusion:अगर आहार के इतिहास की बात की जाए तो प्राचीन काल में एक कथा के अनुसार भीम को छल से जहर देकर दुर्योधन ने मारने की कोशिश की थी और खीर खिलाने के बाद उसे नदी में गंगा नदी में फेंक दिया था, जिस में तैरते हुए भीम आहार में पहुंचे थे उस समय आहार पर शासन करने वाले नागवंशी शासकों ने बताते हैं उन्हें नदी से निकाला था और उन्हें उपचार दिया था,और ठीक हो गए थे, जिसके बाद भीम पुनः हस्तिनापुर लौट गए थे, बाद में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यह के प्राचीन शिव मंदिर में विशेष तौर पर पूजा अर्चना की थी तो वहीं खिन्नी नाम के फल के कुछ बीज भी यहां डाले थे जो कि अब वटवृक्ष के तरह दिखाई देते हैं, और आज भी यहां वह पेड़ मौजूद है फिलहाल भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर का काफी महत्व है और यहां शिव भक्त अपनी मुराद मांग के जाते हैं और पूरी होने पर यहां आ कर ना सिर्फ मंदिर में सेवा करते हैं बल्कि धार्मिक अनुष्ठान भी यहां अक्सर आयोजित किए जाते हैं। ending ptc श्रीपाल तेवतिया, बुलन्दशहर ।
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