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बनारस का ये बैंक है बेहद खास, यहां भूखों को मिलता है भरपेट खाना

वाराणसी में एक युवा ने गरीब भूखे लोगों के लिए एक सराहनीय पहल की शुरुआत की है. किशोर नाम के इस युवा ने कोचिंग में आने वाले बच्चों और अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर रोटी बैंक की शुरुआत की. यह सभी लोग डोर टू डोर जाकर रोटियां इकठ्ठा कर भूखे लोगों के पेट भरते हैं.

किशोर रोटी बैंक चलाने वाले
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Published : Mar 24, 2019, 6:04 AM IST

वाराणसी: बैंक शब्द का नाम सुनते ही आपके जेहन में लेन-देन, ब्याज की बातें आने लगती हैं, लेकिन वाराणसी के इस बैंक का काम गरीबों को खाना खिलाना है. जी हां बनारस का ये रोटी बैंक गलियों में भूखे पेट सोने वालों का पेट भरता है. 29 जून 2017 को वाराणसी में इस रोटी बैंक की शुरुआत हुई. इसके संचालक किशोर बताते हैं कि कोचिंग में आने वाले बच्चों और अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने रोटी बैंक की शुरुआत की.

किशोर ने शुरू की भूखे लोगों के लिए रोटी बैंक

किशोर बताते हैं कि रोटी बैंक की शुरुआत करने में उन्हें काफी दिक्कतें आई तो उन्होंने अपने काम को फेसबुक पर लाइव करना शुरू किया. इसके बाद देखते ही देखते 4 महीने में 30 हजार से ज्यादा लोग जुड़ गए. यही नहीं देश-विदेश से भी उनको रिस्पांस मिलने लगा और लोगों ने मदद के तौर पर पुरानी कार और स्कूटी दी ताकि वह कभी भी खाना बांट सकें.

रोज रात में बहुत से लोग अपने घर का बचा हुआ खाना प्लास्टिक में बांध के गेट पर टांग देते हैं और किशोर या उनके साथी पहुंचकर इस खाने को गरीबों तक पहुंचाते हैं. इस काम में भुल्लापुर 34 वीं वाहिनी पीएसी का बड़ा योगदान है. रात के वक्त यहां पर जवानों के लिए बनाए जाने वाले खाना अगर बचता है तो वो गरीबों को दे दिया जाता है.

फिलहाल रोटी बैंक चलाने वाले किशोर की तरफ से किया जा रहा है ये काम उन युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो आज के दौर में सिर्फ अपने लिए जिंदगी जीते हैं.

वाराणसी: बैंक शब्द का नाम सुनते ही आपके जेहन में लेन-देन, ब्याज की बातें आने लगती हैं, लेकिन वाराणसी के इस बैंक का काम गरीबों को खाना खिलाना है. जी हां बनारस का ये रोटी बैंक गलियों में भूखे पेट सोने वालों का पेट भरता है. 29 जून 2017 को वाराणसी में इस रोटी बैंक की शुरुआत हुई. इसके संचालक किशोर बताते हैं कि कोचिंग में आने वाले बच्चों और अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने रोटी बैंक की शुरुआत की.

किशोर ने शुरू की भूखे लोगों के लिए रोटी बैंक

किशोर बताते हैं कि रोटी बैंक की शुरुआत करने में उन्हें काफी दिक्कतें आई तो उन्होंने अपने काम को फेसबुक पर लाइव करना शुरू किया. इसके बाद देखते ही देखते 4 महीने में 30 हजार से ज्यादा लोग जुड़ गए. यही नहीं देश-विदेश से भी उनको रिस्पांस मिलने लगा और लोगों ने मदद के तौर पर पुरानी कार और स्कूटी दी ताकि वह कभी भी खाना बांट सकें.

रोज रात में बहुत से लोग अपने घर का बचा हुआ खाना प्लास्टिक में बांध के गेट पर टांग देते हैं और किशोर या उनके साथी पहुंचकर इस खाने को गरीबों तक पहुंचाते हैं. इस काम में भुल्लापुर 34 वीं वाहिनी पीएसी का बड़ा योगदान है. रात के वक्त यहां पर जवानों के लिए बनाए जाने वाले खाना अगर बचता है तो वो गरीबों को दे दिया जाता है.

फिलहाल रोटी बैंक चलाने वाले किशोर की तरफ से किया जा रहा है ये काम उन युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो आज के दौर में सिर्फ अपने लिए जिंदगी जीते हैं.

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