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गिनीज बुक में दर्ज होने के बावजूद भी नहीं मनाया गया रोडवेज का स्थापना दिवस - up news

चालकों और परिचालकों की 47 साल की कड़ी मेहनत से 1972 में स्थापित परिवहन निगम आज सफलता के शिखर पर पहुंच गया. इस साल परिवहन निगम जहां गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ, वहीं यह प्रदेश का एक मात्र ऐसा निगम बन गया जो घाटे के बजाय फायदे के रोड पर तेजी से दौड़ रहा है.

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम
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Published : Jun 1, 2019, 10:47 PM IST

लखनऊ: 1972 से चल रहा उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम आज करोड़ के फायदे में है. जिसमें सबसे बड़ा योगदान ड्राइवर और कंडक्टरों का है, लेकिन निगम के पास चालक- परिचालकों को देने के लिए कुछ भी नहीं है. उत्तर प्रदेश में 2017 से भाजपा की सरकार बनी है. तब से रोडवेज का स्थापना दिवस तक नहीं मनाया गया. 2019 में 1 जून को भी रोडवेज का स्थापना दिवस पिछले 2 सालों की तरह नहीं मनाया गया, जिससे ड्राइवर और कंडक्टरों के सम्मान मिलने की उम्मीद फिर धूमिल हो गई.

पिछले 2 सालों की तरह नहीं मनाया गया है स्थापना दिवस.

2017 से पहले मनाया जाता था स्थापना दिवस

  • 2017 से पहले लगातार उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का स्थापना दिवस मनाया जाता रहा है.
  • स्थापना दिवस मनाने का उद्देश्य चालकों और परिचालकों को सम्मानित कर उन्हें प्रोत्साहन देना होता है, जिससे वह और मेहनत कर रोडवेज को बुलंदी तक पहुंचाएं.
  • सम्मान का असर भी खूब देखने को मिला. प्रतिस्पर्धा की भावना से चालकों और परिचालकों ने काम किया और रोडवेज को खूब कमाई कराई.
  • लेकिन 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और स्वतंत्र देव सिंह ने परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला तबसे एक बार भी रोडवेज का स्थापना दिवस ही नहीं मनाया गया.
  • इससे चालकों और परिचालकों को सम्मान मिलना भी खत्म हो गया.
  • सम्मान के नाम पर मिलने वाली धनराशि भी रोडवेज के खाते में ही रह गई.
  • अब चालक परिचालक मांग कर रहे हैं कि जब रोडवेज गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है. घाटे पर चल रहा रोडवेज अब 122 करोड़ के शुद्ध फायदे में भी है तो कम से कम स्थापना दिवस मनाया जाए.

पिछले 3 सालों से रोडवेज का स्थापना दिवस नहीं मना है. पता नहीं इसका क्या कारण है, लेकिन स्थापना दिवस मनता था तो चालक परिचालकों में प्रतिस्पर्धा पैदा होती थी. एक सम्मान पाता था तो अगले साल मेहनत कर दूसरा भी सम्मान पाने की कोशिश करता था, जिससे रोडवेज को फायदा होता था. हमारी मांग है कि जल्द से जल्द स्थापना दिवस मनाया जाए.
रजनीश मिश्रा, शाखा अध्यक्ष, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद.

लखनऊ: 1972 से चल रहा उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम आज करोड़ के फायदे में है. जिसमें सबसे बड़ा योगदान ड्राइवर और कंडक्टरों का है, लेकिन निगम के पास चालक- परिचालकों को देने के लिए कुछ भी नहीं है. उत्तर प्रदेश में 2017 से भाजपा की सरकार बनी है. तब से रोडवेज का स्थापना दिवस तक नहीं मनाया गया. 2019 में 1 जून को भी रोडवेज का स्थापना दिवस पिछले 2 सालों की तरह नहीं मनाया गया, जिससे ड्राइवर और कंडक्टरों के सम्मान मिलने की उम्मीद फिर धूमिल हो गई.

पिछले 2 सालों की तरह नहीं मनाया गया है स्थापना दिवस.

2017 से पहले मनाया जाता था स्थापना दिवस

  • 2017 से पहले लगातार उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का स्थापना दिवस मनाया जाता रहा है.
  • स्थापना दिवस मनाने का उद्देश्य चालकों और परिचालकों को सम्मानित कर उन्हें प्रोत्साहन देना होता है, जिससे वह और मेहनत कर रोडवेज को बुलंदी तक पहुंचाएं.
  • सम्मान का असर भी खूब देखने को मिला. प्रतिस्पर्धा की भावना से चालकों और परिचालकों ने काम किया और रोडवेज को खूब कमाई कराई.
  • लेकिन 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और स्वतंत्र देव सिंह ने परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला तबसे एक बार भी रोडवेज का स्थापना दिवस ही नहीं मनाया गया.
  • इससे चालकों और परिचालकों को सम्मान मिलना भी खत्म हो गया.
  • सम्मान के नाम पर मिलने वाली धनराशि भी रोडवेज के खाते में ही रह गई.
  • अब चालक परिचालक मांग कर रहे हैं कि जब रोडवेज गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है. घाटे पर चल रहा रोडवेज अब 122 करोड़ के शुद्ध फायदे में भी है तो कम से कम स्थापना दिवस मनाया जाए.

पिछले 3 सालों से रोडवेज का स्थापना दिवस नहीं मना है. पता नहीं इसका क्या कारण है, लेकिन स्थापना दिवस मनता था तो चालक परिचालकों में प्रतिस्पर्धा पैदा होती थी. एक सम्मान पाता था तो अगले साल मेहनत कर दूसरा भी सम्मान पाने की कोशिश करता था, जिससे रोडवेज को फायदा होता था. हमारी मांग है कि जल्द से जल्द स्थापना दिवस मनाया जाए.
रजनीश मिश्रा, शाखा अध्यक्ष, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद.

Intro:चालक-परिचालकों ने रोडवेज को गिनीज बुक में दर्ज कराया, सरकार ने स्थापना दिवस तक नहीं मनाया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम आज 47 साल का हो गया। आज रोडवेज ने अपने स्थापना दिवस के 47 साल पूरे कर लिये। इतने सालों में रोडवेज ने तमाम उतार-चढ़ाव देखे। साल 2019 आते-आते निगम के चालकों और परिचालकों की 47 साल की कड़ी मेहनत रंग लाई और 1972 में स्थापित परिवहन निगम आज सफलता के शिखर पर पहुंच गया। इस साल परिवहन निगम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया, साथ ही प्रदेश का ऐसा एक मात्र निगम बन गया जो घाटे के बजाय फायदे के रोड पर तेजी से दौड़ रहा है। अगर आज परिवहन निगम सैकड़ों करोड़ के फायदे में है तो इसमें सबसे बड़ा योगदान ड्राइवर और कंडक्टरों का है, लेकिन सैकड़ों करोड़ के फायदे वाले निगम के पास चालक- परिचालकों को देने के लिए कुछ भी नहीं है। उत्तर प्रदेश में 2017 से भाजपा की सरकार बनी है तब से रोडवेज का स्थापना दिवस तक नहीं मनाया गया। 2019 में भी 1जून को रोडवेज का स्थापना दिवस पिछले 2 सालों की तरह नहीं मनाया गया जिससे ड्राइवर और कंडक्टरों के सम्मान मिलने की उम्मीद फिर धूमिल हो गई।


Body:2017 से पहले लगातार उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का स्थापना दिवस मनाया जाता रहा है। स्थापना दिवस मनाने का उद्देश्य चालकों और परिचालकों को सम्मानित कर उन्हें प्रोत्साहन देना होता है जिससे वे और मेहनत कर रोडवेज को बुलंदी तक पहुंचाएं। सम्मान का असर भी खूब देखने को मिला। प्रतिस्पर्धा की भावना से चालक परिचालकों ने काम किया और रोडवेज को खूब कमाई कराई । लेकिन 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और स्वतंत्र देव सिंह ने परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला तबसे एक बार भी रोडवेज का स्थापना दिवस ही नहीं मना। इससे चालकों और परिचालकों को सम्मान भी खत्म हो गया। सम्मान के नाम पर मिलने वाली धनराशि भी रोडवेज के खाते में ही रह गई। अब चालक परिचालक मांग कर रहे हैं कि अब जब रोडवेज गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। इतना ही नहीं घाटे पर चल रहा रोडवेज अब 122 करोड़ के शुद्ध फायदे में भी है। अब तो कम से कम स्थापना दिवस मनाया जाए। चालकों परिचालकों का कुछ तो सम्मान भी हो जाए।


Conclusion:बाइट: रजनीश मिश्रा: शाखा अध्यक्ष, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद

पिछले 3 सालों से रोडवेज का स्थापना दिवस नहीं मना है। पता नहीं इसका क्या कारण है, लेकिन स्थापना दिवस मनता था तो चालक परिचालकों में प्रतिस्पर्धा पैदा होती थी। एक सम्मान पाता था तो अगले साल मेहनत कर दूसरा भी सम्मान पाने की कोशिश करता था, जिससे रोडवेज को फायदा होता था। तीन साल से स्थापना दिवस ही नहीं मना जबकि इस साल तो कुंभ में चालक परिचालकों ने इतनी मेहनत की कि रोडवेज गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। हमारी मांग है कि जल्द से जल्द स्थापना दिवस मनाया जाए।

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