मेरठ: एक ओर जहां उत्तर प्रदेश सरकार कोविड मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे कर रही है, वहीं कोरोना महामारी में प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी न सिर्फ मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही है, बल्कि ये अस्पतला मरीजों की मौत के बाद परिजनों से अवैध वसूली कर रहे हैं. ताजा मामला पश्चमी उत्तर प्रदेश के मेरठ का है.
एक प्राइवेट अस्पताल ने शव परिजनों को देने से इनकार कर दिया. साथ ही अस्पताल के डॉक्टरों ने शव देने के एवज में 3 लाख रुपये की मांग की. इस पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने इलाज का बिल बढ़ाने के लिए मरीज की मौत के बाद भी उसे वेंटिलेटर पर रखा हुआ था. जब परिजनों ने मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए कहा तो डॉक्टरों ने 3 लाख रुपये जमा करने के साथ ही मरीज को तुरंत मृत घोषित कर बॉडी बैग लाने को बोल दिया.
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आईसीयू के नाम पर बनाया गया लाखों का बिल
पांडव नगर इलाके से 55 वर्षीय व्यापारी राजेश भाटिया को 9 मई को कोरोना संक्रमित होने पर मेरठ के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उसकी हालत बिगड़ने पर आईसीयू में शिफ्ट कर वेंटिलेटर पर रखा गया. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने इलाज के नाम पर बिल बनाने के लिए मरीज की मौत के बाद वेंटिलेटर पर रखा. अस्पताल ने बाहर की एक केमिस्ट से खरीदी गई दवाओं का 1.05 लाख रुपये का बिल अलग से बना दिया.
परिजनों ने अस्पताल पर लगाए गंभीर आरोप
परिजनों के मुताबिक डॉक्टर और अस्पताल स्टॉफ शव देने के लिए तैयार नहीं था. अस्पताल ने मरीज को वेंटिलेटर पर रखकर लाखों रुपये का बिल बना दिया. जब हमने उनसे कहा कि हम अस्पताल की सेवाओं का खर्च उठा नहीं सकते और मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाना चाहते हैं तो अस्पताल ने मरीज की मौत होना बताकर बॉडी बैग लाने के लिए कहा. साथ ही शव देने से पहले 3 लाख रुपये जमा करने को कहा.
बिलों की हुई जांच
मृतक व्यापारी की भतीजी स्वाति भाटिया ने बताया कि अस्पताल की करतूत के साथ-साथ परिजनों की पीड़ा को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया. इसके बाद गृह मंत्रालय के अंतर राज्य परिषद सचिवालय के सचिव संजीव गुप्ता ने मामले का संज्ञान लेकर जिला प्रशासन को जांच उपरांत कार्रवाई के निर्देश दिए. आनन-फानन में डिप्टी सीएमओ और एसडीएम ने अस्पताल पहुंच कर बिलों की जांच की. बिल में गलत तरीके से शामिल सभी दवाओं की लागत को हटाया और आवश्यकता से ज्यादा बिल को भी कम किया. स्वाति भाटिया ने बताया कि अब इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है.
डीएम ने जांच के दिए आदेश
जिला प्रशासन ने परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच शुरू कर दी है. मेरठ जिलाधिकारी के. बालाजी का कहना है कि उन्होंने एक अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट और सहायक मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मामले की जांच करने के बाद रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.