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पीएम मोदी का वाराणसी दौरा, काशी विशवनाथ कॉरिडोर का करेंगे भूमि पूजन

8 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी दौरे पर रहेंगे. पीएम 400 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट का शिलान्यास कर भूमि पूजन करेंगे.

काशी विशवनाथ कॉरिडोर
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Published : Mar 7, 2019, 11:40 PM IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री का यह दौरा बेहद खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि काशी में वह 400 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले और लगभग 800 मीटर लंबे विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास कर भूमि पूजन करेंगे. पीएम मोदी विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प करने के लिए काशी पहुंच रहे हैं.

पीएम का यह दौरा आचार संहिता लागू होने से पहले आखिरी दौरा माना जा रहा है. प्रधानमंत्री 8 मार्च को लगभग 3 घंटे अपने संसदीय क्षेत्र में मौजूद रहेंगे. यहां से वह सीधे कानपुर के लिए रवाना होंगे. प्रधानमंत्री का यह दौरा इसलिए बेहद खास है क्योंकि 5 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का सपना देखा था, उसे अपने कार्यकाल के अंतिम वक्त में पूरा करने के लिए वह वाराणसी आ रहे हैं. लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाले विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर को बनने में अभी 2 साल का वक्त लगेगा. लेकिन लगभग 5 साल पहले शुरू है इसकी प्लानिंग के बाद इस बात की खुशी हर किसी को है कि विश्वनाथ मंदिर लगभग 240 सालों के बाद अपने नए रूप में सामने आ रहा है.

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देखें रिपोर्ट.

अधिकारियों का कहना है कि विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के काम के शुरू होने के बाद इसका सबसे ज्यादा लाभ वाराणसी आने वाले श्रद्धालुओं को मिलेगा. क्योंकि जिस वक्त अहिल्याबाई होल्कर ने इस मंदिर का जीणोद्वार करवाया था उस वक्त भीड़ ज्यादा नहीं थी. गंभीर और कम जगह में इस मंदिर को भव्यता के साथ बनाया गया था लेकिन अब जरूरत है इसे और भी भव्य रूप देने की. यही वजह है कि विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की भव्यता को देखते हुए इसका नाम भी विश्वनाथ धाम रखने की तैयारी कर ली गई है.

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निश्चित तौर पर जिस तरह से पीएम मोदी 240 साल बाद विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प करने के लिए 8 मार्च को काशी पहुंच रहे हैं वह पल ऐतिहासिक होगा और इस ऐतिहासिक दिन के बाद काशी को अब एक नए रूप में जाना जाएगा. सरकार ने इस कॉरिडोर के काम में तेजी लाते हुए 300 से ज्यादा मकानों की खरीद-फरोख्त करते हुए इसके ध्वस्तीकरण का काम भी करवा दिया है. अधिकारियों का कहना है कि विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण ललिता घाट से लेकर विश्वनाथ मंदिर यानी, 800 मीटर के दायरे में होना लगभग 7 लाख स्क्वायर फीट में बनने वाले इस कॉरिडोर में 400 करोड़ रुपए खर्च होने हैं. जिसमें अब तक इस कॉरिडोर के रास्ते में पड़ने वाले 300 मकानों को गिराने की कार्रवाई की जा चुकी है.

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री का यह दौरा बेहद खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि काशी में वह 400 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले और लगभग 800 मीटर लंबे विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास कर भूमि पूजन करेंगे. पीएम मोदी विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प करने के लिए काशी पहुंच रहे हैं.

पीएम का यह दौरा आचार संहिता लागू होने से पहले आखिरी दौरा माना जा रहा है. प्रधानमंत्री 8 मार्च को लगभग 3 घंटे अपने संसदीय क्षेत्र में मौजूद रहेंगे. यहां से वह सीधे कानपुर के लिए रवाना होंगे. प्रधानमंत्री का यह दौरा इसलिए बेहद खास है क्योंकि 5 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का सपना देखा था, उसे अपने कार्यकाल के अंतिम वक्त में पूरा करने के लिए वह वाराणसी आ रहे हैं. लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाले विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर को बनने में अभी 2 साल का वक्त लगेगा. लेकिन लगभग 5 साल पहले शुरू है इसकी प्लानिंग के बाद इस बात की खुशी हर किसी को है कि विश्वनाथ मंदिर लगभग 240 सालों के बाद अपने नए रूप में सामने आ रहा है.

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देखें रिपोर्ट.

अधिकारियों का कहना है कि विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के काम के शुरू होने के बाद इसका सबसे ज्यादा लाभ वाराणसी आने वाले श्रद्धालुओं को मिलेगा. क्योंकि जिस वक्त अहिल्याबाई होल्कर ने इस मंदिर का जीणोद्वार करवाया था उस वक्त भीड़ ज्यादा नहीं थी. गंभीर और कम जगह में इस मंदिर को भव्यता के साथ बनाया गया था लेकिन अब जरूरत है इसे और भी भव्य रूप देने की. यही वजह है कि विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की भव्यता को देखते हुए इसका नाम भी विश्वनाथ धाम रखने की तैयारी कर ली गई है.

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निश्चित तौर पर जिस तरह से पीएम मोदी 240 साल बाद विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प करने के लिए 8 मार्च को काशी पहुंच रहे हैं वह पल ऐतिहासिक होगा और इस ऐतिहासिक दिन के बाद काशी को अब एक नए रूप में जाना जाएगा. सरकार ने इस कॉरिडोर के काम में तेजी लाते हुए 300 से ज्यादा मकानों की खरीद-फरोख्त करते हुए इसके ध्वस्तीकरण का काम भी करवा दिया है. अधिकारियों का कहना है कि विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण ललिता घाट से लेकर विश्वनाथ मंदिर यानी, 800 मीटर के दायरे में होना लगभग 7 लाख स्क्वायर फीट में बनने वाले इस कॉरिडोर में 400 करोड़ रुपए खर्च होने हैं. जिसमें अब तक इस कॉरिडोर के रास्ते में पड़ने वाले 300 मकानों को गिराने की कार्रवाई की जा चुकी है.

Intro:स्पेशल स्टोरी-

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी जहां पर हर किसी की तकलीफ और दुख दर्द को दूर करने के लिए बैठे हैं स्वयं भोलेनाथ, काशी को भगवान शंकर की नगरी कहा जाता है अनादि काल से यह शहर वैसा ही है जैसा हुआ करता था. आज भी यहां पर आने वाला हर शख्स अपने आप को सौभाग्यशाली मानता है. सौभाग्यशाली इसलिए भी क्योंकि यहां पर द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल महादेव श्री काशी विश्वनाथ मौजूद है. जिनके दर्शन मात्र से ही सारी कठिनाइयां और दुख दर्द का निवारण हो जाता है. जिसकी वजह से लोग अपनी श्रद्धा अनुसार बाबा की सेवा करते हैं और इसी सेवा के क्रम में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में बाबा विश्वनाथ के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था जो वर्तमान स्वरूप में आज तक मौजूद है, अनादि काल से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना है और दिन पर दिन यहां पर भीड़ बढ़ती ही जा रही है. यही वजह है कि समय के साथ अब मंदिर के स्वरूप को भी भव्य बनाने की जरूरत थी. जिस की प्लानिंग लगभग 240 साल बाद किसी शासक ने एक बार फिर से की है और यह शासक नरेंद्र मोदी हैं. यानी इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प करने के लिए 8 मार्च को वाराणसी पहुंच रहे हैं. जहां पर वह लगभग 800 मीटर लंबे 400 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास कर भूमि पूजन करेंगे और शुरू हो जाएगा विश्वनाथ मंदिर के कायाकल्प का काम जो होगा 240 सालों के बाद.


Body:वीओ-01 8 मार्च को पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंच रहे हैं पीएम का यह दौरा आचार संहिता लागू होने से पहले आखिरी दौरा माना जा रहा है लगभग 3 घंटे प्रधानमंत्री 8 मार्च को अपने संसदीय क्षेत्र में मौजूद रहेंगे ओके यहां से सीधे कानपुर के लिए रवाना हो जाएंगे. प्रधानमंत्री का यह दौरा इसलिए बेहद खास है क्योंकि 5 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो सपना देखा था विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का उसे हुआ अपने कार्यकाल के अंतिम वक्त में पूरा करने के लिए वाराणसी आ रहे हैं. लगभग 400 करोड रुपए की लागत से तैयार होने वाले विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर को बनने में अभी 2 साल का वक्त लगेगा, लेकिन लगभग 5 साल पहले शुरू है इसकी प्लानिंग के बाद इस बात की खुशी हर किसी को है कि विश्वनाथ मंदिर लगभग 240 सालों के बाद अपने नए रूप में सामने आ रहा है. खुद वाराणसी के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल का कहना है कि 240 साल पहले इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का काम करवाया था उस वक्त जगह कम थी और भीड़ भी नहीं थी जिसकी वजह से जो मंदिर का काम हुआ वह अभी वर्तमान रूप में स्थापित है लेकिन समय के साथ चीजों को बदलना जरूरी है और यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का सपना देखा जिसे पूरा करने में प्रदेश सरकार भी जुड़ गई और डेढ़ साल के कार्यकाल में प्रदेश सरकार ने इस कॉरिडोर के काम में तेजी लाते हुए 300 से ज्यादा मकानों की खरीद-फरोख्त करते हुए इसके ध्वस्तीकरण का काम भी करवा दिया. अधिकारियों का कहना है कि विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण ललिता घाट से लेकर विश्वनाथ मंदिर यानी 800 मीटर के दायरे में होना लगभग 7 लाख स्क्वायर फीट में बनने वाले इस कॉरिडोर में 400 करोड़ रुपए खर्च होने हैं. जिसमें अब तक इस कॉरिडोर के रास्ते में पड़ने वाले 300 मकानों को गिराने की कार्यवाही की जा चुकी है और बड़ा एरिया विश्वनाथ मंदिर के पास आ चुका है जहां पर कॉल इंदौर के निर्माण का काम 8 मार्च यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से शिलान्यास करते ही शुरू हो जाएगा.

बाईट- दीपक अग्रवाल, कमिश्नर, वाराणसी मंडल


Conclusion:वीओ-02 अधिकारियों का कहना है कि विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के काम के शुरू होने के बाद इसका सबसे बड़ा लाभ वाराणसी आने वाले श्रद्धालुओं को मिलेगा क्योंकि जिस वक्त अहिल्याबाई होल्कर ने इस मंदिर का जीणोद्वार करवाया था. उस वक्त भीड़ ज्यादा नहीं थी गंभीर और कम जगह में इस मंदिर को भव्यता के साथ बनाया गया था लेकिन अब जरूरत है इसे और भी भव्य रूप देने की यही वजह है कि विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की भव्यता को देखते हुए इसका नाम भी विश्वनाथ धाम रखने की तैयारी कर ली गई है निश्चित तौर पर जिस तरह से पीएम मोदी 240 साल बाद विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प करने के लिए 8 मार्च को काशी पहुंच रहे हैं वह पल ऐतिहासिक होगा और इस ऐतिहासिक दिन के बाद काशी को अब एक नए रूप में जाना जाएगा.

पीटीसी- गोपाल मिश्र

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