लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2019 में देश में कांग्रेस एक ऐसी पार्टी के रूप में सामने आई है, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को यूपी में हार का मुंह देखना पड़ा. दोनों अध्यक्ष इस चुनाव में 'मोदी सुनामी' के आगे उत्तर प्रदेश में गुमनामी में चले गए हैं. हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष दो जगह से लड़े, लिहाज़ा संसद में पहुंचने में सफल हो गए, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष सड़क पर आ गए. देश और प्रदेश में दोनों ही अध्यक्षों के सामने कांग्रेस को बेहतर करने के चक्कर में संकट की स्थिति पैदा हो गई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी में बीजेपी की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी के सामने नहीं टिक पाए.
मुश्किल के दौर में कांग्रेस
- यूपी में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर भी हारे.
- प्रियंका गांधी भी नहीं कर पाईं कुछ करिश्मा, मोदी की सुनामी पड़ी भारी.
- प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने राहुल गांधी को भेजा अपना इस्तीफा.
- 2014 से ज्यादा खराब स्थिति में पहुंची कांग्रेस.
अमेठी से हारे राहुल गांधी को केरल के वायनाड में शरण मिली, लिहाजा वे संसद के मंदिर में पहुंचने में कामयाब हुए, लेकिन यूपी की जिस अमेठी सीट को कांग्रेस अपनी बपौती मानकर चल रही थी, वह कांग्रेस के हाथ से छिटक गई और यूपी में राहुल का जादू खत्म सा हो गया है. दूसरी तरफ बात अगर कांग्रेस के यूपी प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर की करें तो पहले कांग्रेस ने उन्हें मुरादाबाद से अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन राज बब्बर ने फतेहपुर सीकरी को सेफ सीट मानते हुए आलाकमान पर दबाव बनाकर अपनी सीट फतेहपुर सीकरी करा ली, लेकिन यहां पर भी अभिनेता से नेता बने राज बब्बर की कोई भी एक्टिंग जनता के सामने नहीं चली और इस चुनाव में वे फतेहपुर सीकरी से मैदान में औंधे मुंह गिरे.
राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के चुनाव हारने से इन दोनों नेताओं की तो इज्जत मिट्टी में मिल ही गई, कांग्रेस का हाथ का पंजा भी यूपी में पूरी तरह कमजोर पड़ गया. सिर्फ यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को ही जनता के हाथ का साथ मिला. यूपी से एकमात्र कांग्रेसी सांसद के रूप में वही संसद की गरिमा बढ़ा पाएंगी.