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ओडीएफ के नाम पर खानापूर्ति, ग्रामीण खुले में शौच को मजबूर

बाराबंकी जिले के मामापुर गांव को कागजों में ओडीएफ घोषित कर दिया गया है, लेकिन ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.

खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण.
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Published : Feb 28, 2019, 11:28 AM IST

बाराबंकी : कागजों में जिले के मामापुर गांव को ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है. जबकि ग्रामीणों को पता ही नहीं कि अधिकारी कब आए और ओडीएफ का बोर्ड लगा गए. अब इसे अधिकारियों की लापरवाही कहें या शासन के डर से अपनी गर्दन बचाने की कोशिश.

खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण.

पूरा मामला देवां ब्लॉक का मामापुर गांव का है, इस गांव में जगह-जगह खुले में शौच मुक्त और शौचालयों का प्रयोग करने के स्लोगन लिखे हैं, लेकिन शौचालय न बनने की वजह से ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि पृर्व ग्राम प्रधान ने कुछ शौचालय बनवाये थे. कुछ ग्रामीणों ने अपने पैसों से भी शौचालय बनवाए हैं. लोगों ने बताया कि शौचालय के लिए कई बार प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं ग्राम प्रधान ने बताया कि गांव में 340 शौचालयों की मांग की गई थी, जबकि अभी तक मात्र 40 शौचालय ही बन पाई है. प्रधान ने बताया कि 12 शौचालय उसने अपने पैसों से बनवाया है.

अधिकारियों की लापरवाही पर गांव की महिलाओं में खासा रोष है. उन्होंने बताया कि शौच के लिए उन्हें अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है. रात में तमाम खतरा भी रहता है, लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं. वहीं मुख्य विकास अधिकारी इसे मामले को गम्भीर प्रकरण बताते हुए जांच कराने की बात कही है.

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बाराबंकी : कागजों में जिले के मामापुर गांव को ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है. जबकि ग्रामीणों को पता ही नहीं कि अधिकारी कब आए और ओडीएफ का बोर्ड लगा गए. अब इसे अधिकारियों की लापरवाही कहें या शासन के डर से अपनी गर्दन बचाने की कोशिश.

खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण.

पूरा मामला देवां ब्लॉक का मामापुर गांव का है, इस गांव में जगह-जगह खुले में शौच मुक्त और शौचालयों का प्रयोग करने के स्लोगन लिखे हैं, लेकिन शौचालय न बनने की वजह से ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि पृर्व ग्राम प्रधान ने कुछ शौचालय बनवाये थे. कुछ ग्रामीणों ने अपने पैसों से भी शौचालय बनवाए हैं. लोगों ने बताया कि शौचालय के लिए कई बार प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं ग्राम प्रधान ने बताया कि गांव में 340 शौचालयों की मांग की गई थी, जबकि अभी तक मात्र 40 शौचालय ही बन पाई है. प्रधान ने बताया कि 12 शौचालय उसने अपने पैसों से बनवाया है.

अधिकारियों की लापरवाही पर गांव की महिलाओं में खासा रोष है. उन्होंने बताया कि शौच के लिए उन्हें अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है. रात में तमाम खतरा भी रहता है, लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं. वहीं मुख्य विकास अधिकारी इसे मामले को गम्भीर प्रकरण बताते हुए जांच कराने की बात कही है.

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Intro:बाराबंकी , 27 फरवरी । अब इसे अधिकारियों की लापरवाही कहें या शासन के डर से अपनी गर्दन बचाने की कोशिश कि एक गांव के लोग आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं जबकि कागजों में इसे ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त गांव घोषित कर दिया गया । ग्रामीणों को पता ही नही कि अधिकारी कब आये और ओडीएफ का बोर्ड लगा गए । पेश है ओडीएफ गांव की हकीकत दिखाती बाराबंकी से अलीम शेख की ये विशेष रिपोर्ट...


Body:वीओ -ये है देवां ब्लॉक का मामापुर गांव । इस गांव के अंतर्गत छोटे मोटे दर्जन भर पुरवे हैं । गांव की आबादी तकरीबन तीन हजार है । गांव में 700 के करीब परिवार निवास करते है । गांव में जब हम पहुंचे तो बाहर ही खुले में शौचमुक्त का बोर्ड लगा मिला । अंदर बढ़े तो कुछ महिलाओं को शौच के लिए जाता देख हम चौंक गए । गांव में जगह जगह खुले में शौच मुक्त और शौचालयों का प्रयोग करने के स्लोगन लिखे मिले । ग्रामीणों से जब हमने खुले में शौच जाने की वजह पूछी तो कुछ लोग भड़क गए । बोले जब शौचालय नही तो कहाँ जाय ।
बाईट- ग्रामीण महिलाएं
बाईट- ग्रामीण महिला

वीओ- गांव में कुछ शौचालय भी बने दिखे ।ग्रामीणों की मानें तो पिछले ग्राम प्रधान ने कुछ शौचालय बनवाये थे । कुछ ग्रामीणों ने अपने पैसों से भी शौचालय बनवाये थे । ग्रामीणों ने बताया कि मौजूदा ग्राम प्रधान ने भी करीब 50 शौचालय बनवाये हैं जबकि करीब तीन सौ शौचालयों की आवश्यकता है । ग्रामीणों से हमने पूछा कि जब पूरे शौचालय बने ही नही तो फिर ओडीएफ कैसे घोषित हो गया इस पर ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें पता ही नही कि गांव ओडीएफ हो चुका है । ग्राम प्रधान इस्माइल को भी इस बाबत जानकारी नही । उसने बताया कि 340 शौचालयों की मांग की गई थी जबकि बने केवल 40 शौचालय । प्रधान ने बताया कि 12 शौचालय उसने अपने पैसों से बनवाया है । ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय के लिए कई बार प्रार्थना पत्र दिया लेकिन कुछ नही हुआ । अधिकारियों की लापरवाही पर गांव की महिलाओं में खासा रोष है । उन्होंने बताया कि शौच के लिए उन्हें अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है । रात में तमाम खतरा भी रहता है लेकिन करें भी तो क्या ।
बाईट - ग्रामीण महिला
बाईट- ग्रामीण

वीओ- उधर जब हमने इस लापरवाही की बाबत मुख्य विकास अधिकारी से बात की तो वे भी हैरान रह गई । उन्होंने इसे गम्भीर प्रकरण बताते हुए जांच कराने की बात कही ।
बाईट- मेधा रूपम , सीडीओ बाराबंकी


Conclusion:रिपोर्ट-अलीम शेख बाराबंकी
9839421515
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