गोरखपुर: जनपद के निजी अस्पताल के टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर में दुधमुंही बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई. घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही और धनउगाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. परिजनों ने मामले की सूचना पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को संभाला.
जानिए क्या है पूरा मामला
- जनपद के तुर्कपट्टी थाना क्षेत्र के सरैया महन्थ पट्टी निवासी विवेक कुशवाहा की पत्नी पुष्पा देवी को बुधवार को शहर के एक निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन द्वारा बच्ची पैदा हुई थी.
- नवजात की हालत देख डॉक्टरों ने बच्ची को वेंटिलेटर पर रखने की सलाह दी.
- नर्सिंग होम में वेंटिलेटर खाली न होने पर बच्चे को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया.
- मेडिकल कॉलेज में भी वेंटिलेटर खाली न होने से तीमारदारों ने बच्ची को दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया.
- दूसरे दिन गुरुवार को जब मेडिकल कॉलेज में बेड खाली होने का पता चला तो परिजन ले जाने की तैयारी करने लगे.
- नवजात के पिता ने अस्पताल के मैनेजर से डिस्चार्ज करने की बात कही तो वह भड़क उठे.
- आरोप है कि मैनेजर ने एक पेपर पर सुपुर्द नामा लिख कर दस्तखत करा लिया और बीस हजार रुपये की मांग करने लगे.
- तीमारदार के विरोध करने पर मैनेजर अभ्रदता करने लगे और काफी समय के बाद बच्ची को सौंप दिया.
- बच्ची को लेकर परिजन चले ही थे कि बच्ची का शरीर ढीला पड़ गया और शरीर फूलने लगा.
- तीमारदारों का आरोप है कि स्टाप की लापरवाही से बच्ची जान चली गई.
जिस दिन बच्ची आई थी, उस दिन बहुत तेज सांसे चल रहीं थीं. हम लोगों ने एडमिट किया और बता दिया था कि अगले 24 से 48 घंटों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. पहले छोटी मशीन पर रखा. दोबारा जब और हालत बिगड़ी तो हम लोगों ने उसे वेन्टीलेटर पर रखा. डिस्चार्ज करने का जो प्रोसीजर है कि पहले बिलिंग होती है फिर तीमारदार बिल दिखाते है. उसके बाद सिस्टर बच्चों को भेजती है. ये लोग वहां पहुंचे और मैनेजर से आग्रह किया कि हमारा बच्चा हमें तुरंत दे दीजिए. सिस्टर ने फौरन इनको बच्चा दिया और आक्सीजन पर बाहर भेजा. इसे लापरवाही नहीं कहेंगे, क्योंकि बच्चा पहले से ही गंभीर था. बच्चे को एडमिट करने से पहले उनको बता दिया था कि कभी भी आप के बच्चे की मृत हो सकती है.
-डॉ. असद