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गोरखपुर: नवजात की मौत पर परिजनों ने किया हंगामा - medical college gorakhpur

जिले के शाहपुर थाना अंतर्गत निजी अस्पताल की लापरवाही की वजह से एक नवजात बच्ची की मौत हो गई. इससे गुस्साए परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया. मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को शांत कराया.

इलाज के दौरान नवजात की मौत पर परिजनों ने का हंगामा
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Published : Jun 21, 2019, 5:54 PM IST

गोरखपुर: जनपद के निजी अस्पताल के टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर में दुधमुंही बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई. घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही और धनउगाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. परिजनों ने मामले की सूचना पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को संभाला.

मृतक बच्चे के पिता और डॉक्टर ने की मीडिया से बात.

जानिए क्या है पूरा मामला

  • जनपद के तुर्कपट्टी थाना क्षेत्र के सरैया महन्थ पट्टी निवासी विवेक कुशवाहा की पत्नी पुष्पा देवी को बुधवार को शहर के एक निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन द्वारा बच्ची पैदा हुई थी.
  • नवजात की हालत देख डॉक्टरों ने बच्ची को वेंटिलेटर पर रखने की सलाह दी.
  • नर्सिंग होम में वेंटिलेटर खाली न होने पर बच्चे को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया.
  • मेडिकल कॉलेज में भी वेंटिलेटर खाली न होने से तीमारदारों ने बच्ची को दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया.
  • दूसरे दिन गुरुवार को जब मेडिकल कॉलेज में बेड खाली होने का पता चला तो परिजन ले जाने की तैयारी करने लगे.
  • नवजात के पिता ने अस्पताल के मैनेजर से डिस्चार्ज करने की बात कही तो वह भड़क उठे.
  • आरोप है कि मैनेजर ने एक पेपर पर सुपुर्द नामा लिख कर दस्तखत करा लिया और बीस हजार रुपये की मांग करने लगे.
  • तीमारदार के विरोध करने पर मैनेजर अभ्रदता करने लगे और काफी समय के बाद बच्ची को सौंप दिया.
  • बच्ची को लेकर परिजन चले ही थे कि बच्ची का शरीर ढीला पड़ गया और शरीर फूलने लगा.
  • तीमारदारों का आरोप है कि स्टाप की लापरवाही से बच्ची जान चली गई.

जिस दिन बच्ची आई थी, उस दिन बहुत तेज सांसे चल रहीं थीं. हम लोगों ने एडमिट किया और बता दिया था कि अगले 24 से 48 घंटों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. पहले छोटी मशीन पर रखा. दोबारा जब और हालत बिगड़ी तो हम लोगों ने उसे वेन्टीलेटर पर रखा. डिस्चार्ज करने का जो प्रोसीजर है कि पहले बिलिंग होती है फिर तीमारदार बिल दिखाते है. उसके बाद सिस्टर बच्चों को भेजती है. ये लोग वहां पहुंचे और मैनेजर से आग्रह किया कि हमारा बच्चा हमें तुरंत दे दीजिए. सिस्टर ने फौरन इनको बच्चा दिया और आक्सीजन पर बाहर भेजा. इसे लापरवाही नहीं कहेंगे, क्योंकि बच्चा पहले से ही गंभीर था. बच्चे को एडमिट करने से पहले उनको बता दिया था कि कभी भी आप के बच्चे की मृत हो सकती है.

-डॉ. असद

गोरखपुर: जनपद के निजी अस्पताल के टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर में दुधमुंही बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई. घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही और धनउगाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. परिजनों ने मामले की सूचना पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को संभाला.

मृतक बच्चे के पिता और डॉक्टर ने की मीडिया से बात.

जानिए क्या है पूरा मामला

  • जनपद के तुर्कपट्टी थाना क्षेत्र के सरैया महन्थ पट्टी निवासी विवेक कुशवाहा की पत्नी पुष्पा देवी को बुधवार को शहर के एक निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन द्वारा बच्ची पैदा हुई थी.
  • नवजात की हालत देख डॉक्टरों ने बच्ची को वेंटिलेटर पर रखने की सलाह दी.
  • नर्सिंग होम में वेंटिलेटर खाली न होने पर बच्चे को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया.
  • मेडिकल कॉलेज में भी वेंटिलेटर खाली न होने से तीमारदारों ने बच्ची को दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया.
  • दूसरे दिन गुरुवार को जब मेडिकल कॉलेज में बेड खाली होने का पता चला तो परिजन ले जाने की तैयारी करने लगे.
  • नवजात के पिता ने अस्पताल के मैनेजर से डिस्चार्ज करने की बात कही तो वह भड़क उठे.
  • आरोप है कि मैनेजर ने एक पेपर पर सुपुर्द नामा लिख कर दस्तखत करा लिया और बीस हजार रुपये की मांग करने लगे.
  • तीमारदार के विरोध करने पर मैनेजर अभ्रदता करने लगे और काफी समय के बाद बच्ची को सौंप दिया.
  • बच्ची को लेकर परिजन चले ही थे कि बच्ची का शरीर ढीला पड़ गया और शरीर फूलने लगा.
  • तीमारदारों का आरोप है कि स्टाप की लापरवाही से बच्ची जान चली गई.

जिस दिन बच्ची आई थी, उस दिन बहुत तेज सांसे चल रहीं थीं. हम लोगों ने एडमिट किया और बता दिया था कि अगले 24 से 48 घंटों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. पहले छोटी मशीन पर रखा. दोबारा जब और हालत बिगड़ी तो हम लोगों ने उसे वेन्टीलेटर पर रखा. डिस्चार्ज करने का जो प्रोसीजर है कि पहले बिलिंग होती है फिर तीमारदार बिल दिखाते है. उसके बाद सिस्टर बच्चों को भेजती है. ये लोग वहां पहुंचे और मैनेजर से आग्रह किया कि हमारा बच्चा हमें तुरंत दे दीजिए. सिस्टर ने फौरन इनको बच्चा दिया और आक्सीजन पर बाहर भेजा. इसे लापरवाही नहीं कहेंगे, क्योंकि बच्चा पहले से ही गंभीर था. बच्चे को एडमिट करने से पहले उनको बता दिया था कि कभी भी आप के बच्चे की मृत हो सकती है.

-डॉ. असद

Intro:जिले के एक प्राईवेट लिमिटेड हास्पिटल एव टेस्ट ट्यूब बेबी सेन्ट में दो दिन की दूधमुंही बच्ची की इलाज के दौरान मौत होने का मामला प्राकश में आया है. परीजनों ने डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस बुला लिया. पुलिस जांच में जुटी हुई है.

गोरखपुर पिपराइचः जनपद के शाहपुर थाना अंतर्गत करीम नगर स्थित राणा हास्पिटल प्राईवेट लिमिटेड एवं टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर में दुधमुंहे बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने हॉस्पिटल पर लापरवाही और धनउगाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया और पुलिस को सूचना दिया. मौके पर स्थानीय व पीआरबी पुलिस पहूंच कर स्थिति को संभाला. शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. डॉक्टर और तीमारदारों के आरोप प्रत्यारोप का ब्यान दर्ज किया.Body:कुशीनगर जनपद के तुर्कपट्टी थाना क्षेत्र के सरैया महन्थ पट्टी निवासी विवेक कुशवाहा पुत्र सुरेंद्र प्रसाद कुशवाहा की पत्नी पुष्प देबी को बुधवार एक बजे शहर के एक निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन द्वारा बच्ची पैदा हुई थी. नवजात की हालत देख वहाँ के डॉक्टरों ने बच्ची को बेंटिलेटर पर रखने की सलाह दिया और नर्सिंगहोम में वेंटिलेटर खाली न होने पर मेडिकल कालेज रेफर कर दिया. मेडिकल कालेज में भी वेंटिलेटर खाली न होने के कारण नवजात के तीमारदार बच्ची को राणा हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया. दूसरे दिन गुरुवार को जब मेडिकल कालेज में बेड खाली होने का पता चला तो परिजन मेडिकल ले जाने की तैयारी करने लगे. नवजात के पिता ने वहां के स्टाप मैनेजर से डिस्चार्ज करने की बात कहा तो वह भड़क उठा. पिता के आग्रह करने पर, आरोप है कि , स्टाप मैनेजर ने एक सादा पेपर पर सुपुर्द नामा लिख कर दस्तखत करा लिया और बीस हजार रुपये की मांग करने लगा. तीमारदार के विरोध करने पर उसने से अभ्रदता करने लगा. फिलहाल बच्ची परीजनों को सौंप दिया. बच्ची को लेकर परीजन कुछ ही कदम आगे लिफ्ट के पास पहूंचे ही थे कि इतने में बच्ची का शरीर ढीला पड़ गया और नवजात का शरीर फूलने लगा. तीमारदारों का आरोप है कि स्टाप की घोर लापरवाही से बच्ची जान चली गई.

Conclusion:
&क्या कहते है चिकित्सक&

डाक्टर असद का कहना है कि जिस दिन बच्ची आई थी उस दिन बहुत तेज सांसे चल रही थी. हम लोगों ने एडमिट किया और बता दिया था कि अगले 24 से 48 घंटों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. पहले छोटी मशीन पर रखा. दूबारा जब और गंभीर हो गया सिचुएशन मेंटेन नही करने लगा तो हम लोगों ने उसे वेन्टीलेटर पर रखा. डिस्चार्ज करने का जो प्रोसीजर है कि पहले बिलिंग होता और प्रापरवे में मरीज वहां जाकर बिल दिखाते है. उसके बाद सिस्टर जिस तरह से रेगुलरली बच्चों भेजती है उस तरह से भेजती है. ये लोग वहां पहूंचे है. मैनेजर से उन्होंने आग्रह किया कि हमारा बच्चा हमें तुरंत दे दीजिए. सिस्टर ने फौरन इनको बच्चा दिया और आक्सिजन पर बाहर भेजा. लापरवाही तो आलमोस्ट तो नही है. इसे लापरवाही नही कहेंगे क्योकि बच्चा पहले से ही गंभीर था. बच्चे को एडमिट करने से पहले उनका बता दिया था कि कभीभी आप के बच्चे की मृत हो सकती है.

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