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सुल्तानपुर: बिना डॉक्टर का चल रहा है जिला महिला अस्पताल का ICU - बिना डॉक्टर का आईसीयू

जिला महिला अस्पताल में लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां आखिरी चिकित्सक के स्थानांतरण बाद किसी भी डॉक्टर की गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में तैनाती नहीं की गई है. वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए जिले की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि इसके लिए शासन को पत्र लिखा गया है, जल्दी डॉ. की तैनाती की जाएगी.

यूनिट में अराजकता
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Published : May 27, 2019, 5:24 PM IST

सुल्तानपुर: जिला महिला अस्पताल का में लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है. जहां आखिरी चिकित्सक के स्थानांतरण बाद किसी भी डॉक्टर की आईसीयू में तैनाती नहीं की गई है और यहां नवजात शिशु का जीवन दांव पर लगा हुआ है. वहीं गरीब मरीजों के सामने ये चुनौती है कि वो नवजात शिशु को लेकर कहां जाएं.

एनएसयूआई की देख-भाल करने के लिए जिला अस्पताल में नहीं है डॉ.

लापरवाही का ये है आलम

  • जिला महिला अस्पताल में पहले सिक न्यू वार्न केयर यूनिट नहीं हुआ करती थी.
  • नवजात शिशु की हालत नाजुक होने के बाद तीमारदारों को निजी अस्पताल में लेकर जाना होता था.
  • निजी अस्पताल में प्रतिदिन के हिसाब से मोटी रकम अदा करनी पड़ती थी.
  • जिसकी वजह से अधिकांश शिशुओं की मौत हो जाती थी.
  • इसे देखते हुए शासन ने सुल्तानपुर जिला अस्पताल में एनएसयूआई यानी इंटेंसिव केयर यूनिट खोलने का आदेश दिया.
  • मशीन आई और केयर यूनिट संचालित कर दिया गया.
  • इसके बाद यहां डॉक्टरों की कमी हो गई.
  • सामान्य बाल रोग विशेषज्ञ के सहारे अति गहन चिकित्सा यूनिट का संचालन कराया जा रहा है.
  • वहीं अस्पताल प्रशासन पत्र लिखकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ ले रहा है.


आखिरी डॉक्टर जाने के बाद आठ- आठ घंटे की तीन शिफ्ट में नियमित निगरानी नहीं हो पा रही है. इसके लिए शासन को पत्र लिखा गया है. बाल रोग चिकित्सक के सहारे यूनिट का संचालन कराया जा रहा है.

उर्मिला चौधरी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

सुल्तानपुर: जिला महिला अस्पताल का में लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है. जहां आखिरी चिकित्सक के स्थानांतरण बाद किसी भी डॉक्टर की आईसीयू में तैनाती नहीं की गई है और यहां नवजात शिशु का जीवन दांव पर लगा हुआ है. वहीं गरीब मरीजों के सामने ये चुनौती है कि वो नवजात शिशु को लेकर कहां जाएं.

एनएसयूआई की देख-भाल करने के लिए जिला अस्पताल में नहीं है डॉ.

लापरवाही का ये है आलम

  • जिला महिला अस्पताल में पहले सिक न्यू वार्न केयर यूनिट नहीं हुआ करती थी.
  • नवजात शिशु की हालत नाजुक होने के बाद तीमारदारों को निजी अस्पताल में लेकर जाना होता था.
  • निजी अस्पताल में प्रतिदिन के हिसाब से मोटी रकम अदा करनी पड़ती थी.
  • जिसकी वजह से अधिकांश शिशुओं की मौत हो जाती थी.
  • इसे देखते हुए शासन ने सुल्तानपुर जिला अस्पताल में एनएसयूआई यानी इंटेंसिव केयर यूनिट खोलने का आदेश दिया.
  • मशीन आई और केयर यूनिट संचालित कर दिया गया.
  • इसके बाद यहां डॉक्टरों की कमी हो गई.
  • सामान्य बाल रोग विशेषज्ञ के सहारे अति गहन चिकित्सा यूनिट का संचालन कराया जा रहा है.
  • वहीं अस्पताल प्रशासन पत्र लिखकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ ले रहा है.


आखिरी डॉक्टर जाने के बाद आठ- आठ घंटे की तीन शिफ्ट में नियमित निगरानी नहीं हो पा रही है. इसके लिए शासन को पत्र लिखा गया है. बाल रोग चिकित्सक के सहारे यूनिट का संचालन कराया जा रहा है.

उर्मिला चौधरी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

Intro:शीर्षक : सुल्तानपुर के सिक न्यू वार्न केयर यूनिट में नवजात शिशुओं का जीवन दांव पर।


ये अपनी पीड़ा बयां नहीं कर सकते हैं। अपना दर्द नहीं बता सकते हैं । इन की बीमारी सामान्य चिकित्सक या अनुभवी नहीं जान सकते हैं। इसके लिए सिक न्यू वार्न केयर यूनिट शासन की पहल पर तैयार की गई। लेकिन जो आखिरी चिकित्सक का स्थानांतरण हुआ, उसके बाद कोई डॉक्टर गहन चिकित्सा कक्ष में तैनाती के लिए उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। जिला महिला अस्पताल के अफसरों की नाकामी सामने आई है। यहां नवजात शिशु का जीवन यह दांव पर लगा होता है। लेकिन गरीब नागरिक पैसे से लाचार, नवजात शिशु को लेकर जाएं तो जाएं कहां।


Body:सुलतानपुर : जिला महिला अस्पताल में पहले सिक न्यू वार्न केयर यूनिट नहीं हुआ करती थी। नवजात शिशु की हालत नाजुक होने के बाद तीमारदारों को निजी अस्पताल में लेकर जाना होता था । निजी अस्पताल में प्रतिदिन के हिसाब से मोटी रकम अदा करनी पड़ती थी। जिसकी वजह से अधिकांश शिशुओं की मौत हो जाती थी। इसे देखते हुए शासन ने सुल्तानपुर जिला अस्पताल में एनएसयूआई यानी इंटेंसिव केयर यूनिट खोलने का आदेश दिया। मशीन आई और केयर यूनिट संचालित कर दिया गया। इसके बाद यहां डॉक्टरों का टोटा हो गया है। सामान्य बाल रोग विशेषज्ञ के सहारे अति गहन चिकित्सा यूनिट का संचालन कराया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन पत्र लिखकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ ले रहा है।


Conclusion:बाइट : जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक उर्मिला चौधरी कहती हैं कि आखिरी डॉक्टर जाने के बाद आठ आठ घंटे की 3 शिफ्ट में नियमित निगरानी नहीं हो पा रही है। इसके लिए शासन को पत्र लिखा गया है। बाल रोग चिकित्सक के सहारे यूनिट का संचालन कराया जा रहा है।


वॉइस ओवर : अति सघन चिकित्सा कक्ष जो बाल रोग के लिए बना हुआ है। यह आठ 8 घंटे में तीन चिकित्सकों की तैनाती की जाती है । जिससे इन चिकित्सकों की लगातार एवं सतत निगरानी रखी जा सके । उनके लक्षण के आधार पर उनका इलाज किया जा सके और उनका जीवन बचाया जा सके । हालांकि नियमित निगरानी व्यवस्था फेल हो चुकी है।


आशुतोष मिश्रा , सुल्तानपुर, 94 15049 256
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