लखनऊ: राजधानी की जिला जेल में सुरक्षा में चूक का बड़ा मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि जिला जेल के जेलर का राइटर मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा था. उसके पास से मोबाइल चार्जर मिला है. मोबाइल बरामद होने पर जेल प्रशासन ने उसे हाई सिक्योरिटी में डाल दिया है. वहीं मोबाइल की तलाश में बैरकों की तलाशी ली जा रही है. जानकारी के अनुसार, जेल प्रशासन ने बंदी अंकित मिश्रा के पास से चार्जर बरामद कर लिया है. अंकित हत्या के मामले में करीब तीन साल से जेल में बंद है.
सूत्रों की मानें तो जेल प्रशासन ने पूरे मामले को ही दबाए रखा, ताकि अधिकारियों को जानकारी न हो सके. इस मामले की अधिकारियों तक को सूचना नहीं दी गई. जेल में बंदी के पास मोबाइल मिलने की जानकारी होने के बाद भी जेल प्रशासन ने मामले को दबाए रखा. सूत्र बताते हैं कि वह अपराधियों की मोबाइल से बात कराता था.
वहीं जेल सूत्रों के मुताबिक, मामला खुलने पर जेल अधिकारियों ने आरोपी अंकित को पकड़ लिया और उसकी परेड शुरू कर दी. इस दौरान अंकित ने बताया कि उसने किन-किन बंदियों की कहां-कहां और किस-किस से बात कराई है. इसको लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है और आगे की जानकारी हासिल करने के लिए निर्देशित किया गया है. बताया जा रहा है कि रिश्वत के आरोप में हटे जेलर ने बंदी को राइटर बनाया था. बता दें कि जेलर दफ्तर के कार्यों की लिखा-पढ़ी के लिए जेल बन्दियों को लम्बरदार और राइटर बनाया जाता है.
जेलर अरुण कुमार का काफी करीबी था अंकित
जानकारी के अनुसार, सितंबर में किसानों से रिश्वत लेने के मामले में जेल से हटाए गए जेलर अरुण कुमार मिश्रा ने बंदी अंकित मिश्रा को जेलर दफ्तर का राइटर बनाया था. बंदी अंकित, जेलर अरुण कुमार का काफी करीबी था. उनके इशारे पर ही सारे काम करता था और कहा जाता है कि मुखबरी भी करता था. उस पर वसूली का भी आरोप लगा था. किसानों से अवैध वसूली के आरोप में जेलर को हटा दिया गया था, लेकिन उनका रसूख यहां अब भी काम करता है. ऐसा सूत्रों का कहना है. हालांकि इस मामले में जेल अधीक्षक ने कुछ भी नहीं बताया.
बंदी अंकित मिश्रा जेलर दफ्तर का राइटर है. उसके पास ड्यूटी के दौरान मोबाइल का चार्जर मिला था, जबकि उसके पास मोबाइल नहीं था. इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है. मोबाइल की बरामदगी के लिए जेल की बैरकों में तलाशी जारी है. वहीं बंदी अंकित को हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है और जेल की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
आशीष तिवारी, अधीक्षक, जिला जेल