लखनऊ: संसद और देश की सभी विधानसभाओं के सदनों की कार्यवाही को व्यवधान रहित संचालित करने के लिए गठित की गई समिति की बैठक हुई. कोरोना की विषम परिस्थिति उत्पन्न होने के बाद यूपी में पहली बार विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की अध्यक्षता में वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से यह बैठक संपन्न हुई. यह समिति लोकसभा अध्यक्ष ने गठित की थी. साथ ही इस समिति का अध्यक्ष यूपी विधानसभा के अध्यक्ष को, सदस्य के रूप में गुजरात, पंजाब, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के विधानसभा अध्यक्षों को मनोनीत किया गया था.
यूपी समेत कई विधानसभा अध्यक्षों ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग से की बात विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने बैठक में कहा कि विगत दो माह से कोरोना की विषम परिस्थिति के कारण बैठक संपन्न नहीं हो सकी. कोविड-19 के कारण विधायिका के समक्ष एक नई चुनौती है. ऐसे माहौल में जिन सदनों में छह माह की अवधि व्यतीत हो रही है, उनकी बैठक संवैधानिक अपरिहार्यता के कारण बुलाई जानी है. साथ ही उन सदनों की बैठकें किस प्रकार आहूत की जाएं, यह विचारणीय प्रश्न है.
'कई देशों ने संसद की बैठक आहूत की है'विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसदीय व्यवस्था से जुड़े कुछ देशों जैसे यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जापान और आस्ट्रेलिया ने वर्तमान माहौल में भी संसद की बैठक आहूत की हैं. साथ ही वहां पर इसको वर्चुअल पार्लियामेंट की संज्ञा दी गई है. वहीं भारत जैसे विशाल आबादी और आकार की दृष्टि से बड़े राष्ट्र होने के कारण संवैधानिक अपरिहार्यता के बावजूद सदनों की बैठक बुलाए जाने में कठिनाई है. उन्होंने इस संभावना पर विचार किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया.
वीडियो कॉफ्रेंसिंग में छह सदस्य हुए शामिलहृदय नारायण दीक्षित ने सदन को व्यवधान रहित सुचारू रूप से चलाए जाने के बारे में समिति के सभी विधानसभाओं के अध्यक्षों से भी अपने-अपने विचार व्यक्त करने का अनुरोध किया. साथ ही वीडियो कॉफ्रेंसिंग में समिति में मनोनीत सात सदस्यों में से छह सदस्य शामिल हुए. गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी, मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष जगदीश देवड़ा, पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष राणा केपी सिंह, तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष थीरू पी धनपाल, त्रिपुरा के विधानसभा अध्यक्ष रेवती मोहनदास ने भाग लिया और अपने अपने विचार रखे. वहीं छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत अपरिहार्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सके।
सदस्यों ने दिए सुझावसमिति के सभी सदस्यों ने यह विचार व्यक्त किया कि सदन की बैठकों के दिनों की संख्या कम होने के कारण नए सदस्यों को सदन में अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिल पाता. जिसके लिए सदन के दिनों की संख्या बढ़ाई जाए. साथ ही सदन में इस प्रकार की व्यवस्था बनाई जाए, जिससे अधिकांश विधायकों को अपनी बात कहने का अवसर मिल सके. वहीं शून्य काल में महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए पर्याप्त समय की जरूरत पर बल दिया गया. साथ ही नियमों में जरूरी संशोधन के सुझाव भी दिए गए. वहीं सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के बीच सामंजस्य बनाए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया.
पिछली बैठक नवंबर 2019 में हुई थी
इस समिति की एक बैठक नवंबर 2019 को लोकसभा में संपन्न हुई थी. इस बैठक में समिति के सदस्य के रूप में मनोनीत विभिन्न विधानसभाओं के अध्यक्षों के साथ विचार विमर्श के आधार पर यह निर्णय लिया गया था कि सभी अध्यक्ष अपने-अपने सुझाव अगली बैठक में देंगे.