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हुस्न-ए-कारीगिरी-ए-अवध की थीम पर हुआ 'महिंद्रा सनतकदा फेस्टिवल' का आगाज

लखनऊ में हुस्न-ए-कारीगिरी-ए-अवध की थीम पर महिंद्रा सनतकदा फेस्टिवल का आयोजन किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को अवध की उन तमाम विधाओं की जानकारी देना है जो धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं.

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Published : Feb 6, 2019, 2:36 PM IST

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लखनऊ: हर साल लगने वाले सनतकदा फेस्टिवल में कुछ न कुछ नया होता है. इस वर्ष इस फेस्टिवल की थीम हुस्न-ए-कारीगिरी-ए-अवध रखा गया है. इसके तहत अवध की उन तमाम विधाओं की प्रदर्शनी लगाई गई है. जो धीरे-धीरे हमारे बीच से लुप्त होती जा रही हैं. कारीगिरी के अलावा इस फेस्टिवल में देश के तमाम प्रदेशों की विधाओं और प्रसिद्ध सामानों के स्टाल्स भी लगाए गए हैं.

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महिंद्रा सनतकदा फेस्टिवल
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नवाबों की नगरी लखनऊ और अवध की कारीगिरी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इसके बावजूद तमाम ऐसी भी विधाएं हैं जिनके बारे में लोगों को पता नहीं है. उन कारीगिरी और विधाओं को जानने के लिए महिंद्रा सनतकदा फेस्टिवल का आयोजन किया गया था.

'महिंद्रा सनतकदा फेस्टिवल'.
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इस फेस्टिवल में भागलपुर की साड़ियां, राजस्थान के दुपट्टे, लाख की चूड़ियां, हेयर बिडिंग, ब्रेसलेट और एंकलेट्स, झुमके, खादी, रामपुर की पतंग, बोन कार्विंग से बने सामान समेत तमाम चीजें मौजूद हैं. इन स्टाल्स के अलावा यहां अवध के मशहूर जायकों के स्टॉल्स भी लगाए हैं. जहां काफी भीड़ देखने को मिल रही है. यहां नहारी कुलचे से लेकर कुल्हड़ की चाय और केसर मक्खन तक मौजूद है जिसका लुफ्त लोग उठाते दिखे.

लखनऊ: हर साल लगने वाले सनतकदा फेस्टिवल में कुछ न कुछ नया होता है. इस वर्ष इस फेस्टिवल की थीम हुस्न-ए-कारीगिरी-ए-अवध रखा गया है. इसके तहत अवध की उन तमाम विधाओं की प्रदर्शनी लगाई गई है. जो धीरे-धीरे हमारे बीच से लुप्त होती जा रही हैं. कारीगिरी के अलावा इस फेस्टिवल में देश के तमाम प्रदेशों की विधाओं और प्रसिद्ध सामानों के स्टाल्स भी लगाए गए हैं.

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महिंद्रा सनतकदा फेस्टिवल
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नवाबों की नगरी लखनऊ और अवध की कारीगिरी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इसके बावजूद तमाम ऐसी भी विधाएं हैं जिनके बारे में लोगों को पता नहीं है. उन कारीगिरी और विधाओं को जानने के लिए महिंद्रा सनतकदा फेस्टिवल का आयोजन किया गया था.

'महिंद्रा सनतकदा फेस्टिवल'.
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इस फेस्टिवल में भागलपुर की साड़ियां, राजस्थान के दुपट्टे, लाख की चूड़ियां, हेयर बिडिंग, ब्रेसलेट और एंकलेट्स, झुमके, खादी, रामपुर की पतंग, बोन कार्विंग से बने सामान समेत तमाम चीजें मौजूद हैं. इन स्टाल्स के अलावा यहां अवध के मशहूर जायकों के स्टॉल्स भी लगाए हैं. जहां काफी भीड़ देखने को मिल रही है. यहां नहारी कुलचे से लेकर कुल्हड़ की चाय और केसर मक्खन तक मौजूद है जिसका लुफ्त लोग उठाते दिखे.

Intro:लखनऊ। नवाबों की नगरी लखनऊ और अवध की कारीगिरी पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है। इसके बावजूद तमाम ऐसी भी विधाये हैं जिनके बारे में लोगों को पता नही है। उन कारीगिरी और विधाओं को जानने और पहचानने के मकसद को महिंद्रा सनतकदा फेस्टिवल इस वर्ष पूरा कर रहा है।


Body:वीओ1 पांच दिन लगने वाले सनतकदा फेस्टिवल में हर साल कुछ न कुछ नया होता है। इस वर्ष इस फेस्टिवल की थीम हुस्न-ए-कारीगिरी-ए-अवध रखा गया है। इसके तहत अवश्य की उन तमाम विधाओं की प्रदर्शनी लगाई गई है जो धीरे धीरे हमारे बीच से लुप्त होती जा रही है या फिर दिखना बंद हो रही है। कारीगिरी के अलावा इस फेस्टिवल में देश के तमाम प्रदेशों की विधाओं और प्रसिद्ध सामानों के स्टाल्स भी लगाए गए हैं। इनमें भागलपुर की साड़ियां, राजस्थान के दुपट्टे, लाख की चूड़ियां, हेयर बिडिंग, ब्रेसलेट और एंकलेट्स, झुमके, खादी, रामपुर की पतंग, बोन कार्विंग से बने सामान समेत तमाम चीजें मौजूद हैं। इन स्टाल्स के अलावा यहां अवध के मशहूर जायकों के स्टॉल्स भी लगाए हैं जहाँ काफी भीड़ देखने को मिल रही है। यहां नहारी कुलचे से लेकर कुल्हड़ की चाय और केसर मक्खन तक मौजूद है जिसका लुफ्त लोग उठाते दिखे।


Conclusion:विसुअल रामांशी मिश्रा
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