लखनऊ : राजधानी लखनऊ स्थित अग्निशमन विभाग कर्मियों की संख्या और संसाधनों की कमी झेल रहा है. भीषण गर्मी के चलते राजधानी में पिछले दिनों कई क्षेत्रों में आग की घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें प्रयासों के बावजूद भी विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाने में कामयाब नहीं दिख है.
- राजधानी लखनऊ में अग्निशमन कर्मचारियों के 306 पद स्वीकृत हैं. जिसमें से 179 पदों पर ही कर्मचारी मौजूद हैं, जबकि 127 पद रिक्त हैं.
- 16 पद अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के रिक्त हैं. महत्वपूर्ण पदों पर पर्याप्त मात्रा में मैन पावर न होने से भी विभाग समय पर आग पर काबू पाने में नाकामयाब नजर आता है.
- मानकों के अनुसार 50 हजार की जनसंख्या पर एक यूनिट (आग बुझाने का ग्रुप) होनी चाहिए.
- राजधानी की आबादी 42 लाख से भी अधिक है. जिसके लिए 84 यूनिट की आवश्यकता है. वहीं लखनऊ के अग्निशमन स्टेशनों के पास 28 यूनिट हैं.
- लखनऊ में स्थित अग्निशमन स्टेशनों के बीच की दूरी भी मानक के अनुरूप नहीं है. कई स्टेशनों के बीच में तो दूरी 7 किलोमीटर से भी अधिक है.
- मलिहाबाद विधानसभा में तो एक भी अग्निशमन स्टेशन नहीं है. यह ग्रामीण इलाका है. जहां पर बड़ी संख्या में फसलें लगाई जाती हैं.
कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो
- लखनऊ में तैनात अग्निशमन मैन को अग्निशमन सेफ्टी कॉस्टयूम तक उपलब्ध नहीं है. सामान्य वर्दी में ही कर्मचारियों को आग बुझाने का कार्य करना पड़ रहा है.
- कर्मचारियों के पास हेलमेट डोंगरी, अग्निशमन बूट जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है.
- कई बार तो संसाधनों के अभाव में कर्मचारियों को गीला चादर ओढ़कर आग में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना पड़ता है, जो कि जान जोखिम में डालने के बराबर है.
- संसाधनों के अभाव की ही देन है कि पिछले दिनों मोहनलालगंज क्षेत्र में लगी आग के दौरान द्वारिका प्रसाद चौहान नाम के एक कर्मचारी का हाथ जल गया था.
चीफ अग्निशमन ऑफिसर विजय कुमार सिंह ने बताया कि
विभाग में मैन पावर और संसाधनों का अभाव है, लेकिन अभाव के बावजूद भी हम पूरी क्षमता और सक्रियता के साथ आंख की घटनाओं पर काबू पाने की पूरी कोशिश करते हैं. हमारे कर्मचारी पूरी मेहनत और ईमानदारी से लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे हैं. कर्मचारियों को हर समय अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं.