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संसाधनों के अभाव के चलते खुद आग का शिकार हो रहे अग्निशमन विभाग के कर्मचारी

अग्निशमन विभाग इन दिनों संसाधनों के अभाव के चलते सुचारु रूप से कार्य नहीं कर पा रहा है. दरअसल सरकार विभाग को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दे रही है. यही वजह है कि आकस्मिक घटनाओं पर पूरी तरह से नियंत्रण पाने में अग्निशमन विभाग असफल नजर आ रहा है.

संसाधनों की कमी झेल रहे अग्निशमन विभाग के कर्मचारी
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Published : May 11, 2019, 9:40 AM IST

Updated : May 11, 2019, 11:55 PM IST

लखनऊ : राजधानी लखनऊ स्थित अग्निशमन विभाग कर्मियों की संख्या और संसाधनों की कमी झेल रहा है. भीषण गर्मी के चलते राजधानी में पिछले दिनों कई क्षेत्रों में आग की घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें प्रयासों के बावजूद भी विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाने में कामयाब नहीं दिख है.

संसाधनों की कमी झेल रहे अग्निशमन विभाग के कर्मचारी
  • राजधानी लखनऊ में अग्निशमन कर्मचारियों के 306 पद स्वीकृत हैं. जिसमें से 179 पदों पर ही कर्मचारी मौजूद हैं, जबकि 127 पद रिक्त हैं.
  • 16 पद अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के रिक्त हैं. महत्वपूर्ण पदों पर पर्याप्त मात्रा में मैन पावर न होने से भी विभाग समय पर आग पर काबू पाने में नाकामयाब नजर आता है.
  • मानकों के अनुसार 50 हजार की जनसंख्या पर एक यूनिट (आग बुझाने का ग्रुप) होनी चाहिए.
  • राजधानी की आबादी 42 लाख से भी अधिक है. जिसके लिए 84 यूनिट की आवश्यकता है. वहीं लखनऊ के अग्निशमन स्टेशनों के पास 28 यूनिट हैं.
  • लखनऊ में स्थित अग्निशमन स्टेशनों के बीच की दूरी भी मानक के अनुरूप नहीं है. कई स्टेशनों के बीच में तो दूरी 7 किलोमीटर से भी अधिक है.
  • मलिहाबाद विधानसभा में तो एक भी अग्निशमन स्टेशन नहीं है. यह ग्रामीण इलाका है. जहां पर बड़ी संख्या में फसलें लगाई जाती हैं.

कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो

  • लखनऊ में तैनात अग्निशमन मैन को अग्निशमन सेफ्टी कॉस्टयूम तक उपलब्ध नहीं है. सामान्य वर्दी में ही कर्मचारियों को आग बुझाने का कार्य करना पड़ रहा है.
  • कर्मचारियों के पास हेलमेट डोंगरी, अग्निशमन बूट जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है.
  • कई बार तो संसाधनों के अभाव में कर्मचारियों को गीला चादर ओढ़कर आग में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना पड़ता है, जो कि जान जोखिम में डालने के बराबर है.
  • संसाधनों के अभाव की ही देन है कि पिछले दिनों मोहनलालगंज क्षेत्र में लगी आग के दौरान द्वारिका प्रसाद चौहान नाम के एक कर्मचारी का हाथ जल गया था.

चीफ अग्निशमन ऑफिसर विजय कुमार सिंह ने बताया कि


विभाग में मैन पावर और संसाधनों का अभाव है, लेकिन अभाव के बावजूद भी हम पूरी क्षमता और सक्रियता के साथ आंख की घटनाओं पर काबू पाने की पूरी कोशिश करते हैं. हमारे कर्मचारी पूरी मेहनत और ईमानदारी से लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे हैं. कर्मचारियों को हर समय अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं.

लखनऊ : राजधानी लखनऊ स्थित अग्निशमन विभाग कर्मियों की संख्या और संसाधनों की कमी झेल रहा है. भीषण गर्मी के चलते राजधानी में पिछले दिनों कई क्षेत्रों में आग की घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें प्रयासों के बावजूद भी विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाने में कामयाब नहीं दिख है.

संसाधनों की कमी झेल रहे अग्निशमन विभाग के कर्मचारी
  • राजधानी लखनऊ में अग्निशमन कर्मचारियों के 306 पद स्वीकृत हैं. जिसमें से 179 पदों पर ही कर्मचारी मौजूद हैं, जबकि 127 पद रिक्त हैं.
  • 16 पद अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के रिक्त हैं. महत्वपूर्ण पदों पर पर्याप्त मात्रा में मैन पावर न होने से भी विभाग समय पर आग पर काबू पाने में नाकामयाब नजर आता है.
  • मानकों के अनुसार 50 हजार की जनसंख्या पर एक यूनिट (आग बुझाने का ग्रुप) होनी चाहिए.
  • राजधानी की आबादी 42 लाख से भी अधिक है. जिसके लिए 84 यूनिट की आवश्यकता है. वहीं लखनऊ के अग्निशमन स्टेशनों के पास 28 यूनिट हैं.
  • लखनऊ में स्थित अग्निशमन स्टेशनों के बीच की दूरी भी मानक के अनुरूप नहीं है. कई स्टेशनों के बीच में तो दूरी 7 किलोमीटर से भी अधिक है.
  • मलिहाबाद विधानसभा में तो एक भी अग्निशमन स्टेशन नहीं है. यह ग्रामीण इलाका है. जहां पर बड़ी संख्या में फसलें लगाई जाती हैं.

कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो

  • लखनऊ में तैनात अग्निशमन मैन को अग्निशमन सेफ्टी कॉस्टयूम तक उपलब्ध नहीं है. सामान्य वर्दी में ही कर्मचारियों को आग बुझाने का कार्य करना पड़ रहा है.
  • कर्मचारियों के पास हेलमेट डोंगरी, अग्निशमन बूट जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है.
  • कई बार तो संसाधनों के अभाव में कर्मचारियों को गीला चादर ओढ़कर आग में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना पड़ता है, जो कि जान जोखिम में डालने के बराबर है.
  • संसाधनों के अभाव की ही देन है कि पिछले दिनों मोहनलालगंज क्षेत्र में लगी आग के दौरान द्वारिका प्रसाद चौहान नाम के एक कर्मचारी का हाथ जल गया था.

चीफ अग्निशमन ऑफिसर विजय कुमार सिंह ने बताया कि


विभाग में मैन पावर और संसाधनों का अभाव है, लेकिन अभाव के बावजूद भी हम पूरी क्षमता और सक्रियता के साथ आंख की घटनाओं पर काबू पाने की पूरी कोशिश करते हैं. हमारे कर्मचारी पूरी मेहनत और ईमानदारी से लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे हैं. कर्मचारियों को हर समय अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं.

Intro:एंकर लखनऊ। राजधानी लखनऊ स्थित फायर विभाग मैन पावर की कमी व संसाधनों के अभाव की मार झेल रहा है भीषण गर्मी के चलते राजधानी लखनऊ में पिछले दिनों कई क्षेत्रों में आग की घटनाएं सामने आई। तमाम प्रयासों के बावजूद विभाग समय पर पहुंचकर आग पर काबू पाने में कामयाब नहीं रहा। फायर विभाग को आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। समय पर कार्यवाही न कर पाने के पीछे विभाग में मैन पावर व संसाधनों की कमी भी एक बड़ा कारण है राजधानी लखनऊ का फायर विभाग मैन पावर की भारी कमी व संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है।


Body:वियो नियमित फायर विभाग का काम न होने के चलते सरकार विभाग पर ध्यान नहीं देती है। जिसके चलते विभाग का अपडेशन नहीं हो पाता है। जिसके चलते विभाग आग जैसी आकस्मिक घटनाओं पर पूरी तरीके से नियंत्रण पाने में असफल नजर आता है। आंकड़ों की बात करें तो राजधानी लखनऊ में फायरमैन के 306 पद स्वीकृत है जिसमें से 179 पदों पर ही कर्मचारी मौजूद है 127 पद फायरमैन के रिक्त है। बताते चलें आग लगने की स्थिति में आग बुझाने की जिम्मेदारी इन्हीं फायरमैन के कंधों पर होती है। 16 पद अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के रिक्त हैं। महत्वपूर्ण पदों पर पर्याप्त मात्रा में मैन पावर न होने से भी विभाग समय पर आग पर काबू पाने में नाकामयाब नजर आता है हालांकि इस मैन पावर की कमी के बावजूद भी लखनऊ फायर विभाग में तैनात अधिकारी अपना 100% देने का पूरा प्रयास करते हैं। संसाधनों की बात करें तो मानकों के अनुसार 50000 की जनसंख्या पर एक युनिट (आग बुझाने का ग्रुप) होनी चाहिए। राजधानी लखनऊ की 4200000 से भी अधिक है जिसके अनुसार 84 यूनिट की आवश्यकता लखनऊ को है लेकिन लखनऊ के फायर स्टेशनों के पास 28 यूनिट है। लखनऊ में स्थित फायर स्टेशनों के बीच की दूरी भी मानक के अनुरूप नहीं है कई स्टेशनों के बीच में तो दूरी 7 किलोमीटर से भी अधिक है राजधानी लखनऊ के मलिहाबाद विधानसभा में तो एक भी फायर स्टेशन नहीं है मलिहाबाद ग्रामीण इलाका है जहां पर बड़ी संख्या में फसलें लगाई जाती हैं गर्मी के मौसम में फसलों में आग लगने की तमाम घटनाएं सामने आती है ऐसे में अगर मलिहाबाद में आग की घटना सामने आती है तो उस पर काबू पाना कितना कठिन होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो राजधानी लखनऊ में तैनात फायर मैन को फायर सेफ्टी कॉस्टयूम तक उपलब्ध नहीं है सामान्य वर्दी में ही इन कर्मचारियों को आग बुझाने का काम करना पड़ता है। ऐसे में आग बुझाते समय इन्हें अपनी वर्दी खराब होने का डर सताता रहता है कर्मचारियों के पास हेलमेट डोंगरी, फायर बूट जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है। कई बार तो संसाधनों के अभाव में कर्मचारियों को गीला चादर ओढ़ कर आग में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना पड़ता है जो कि जान जोखिम में डालने के बराबर है। संसाधनों के अभाव की ही देन है कि पिछले दिनों मोहनलालगंज क्षेत्र में लगी आग के दौरान द्वारिका प्रसाद चौहान नाम के एक कर्मचारी का हाथ जल गया।


Conclusion:बाइट राजधानी लखनऊ में तैनात चीफ फायर ऑफिसर विजय कुमार सिंह ने भी विभाग में मैन पावर व संसाधनों के अभाव की बात तो स्वीकारी लेकिन उन्होंने कहा कि अभाव के बावजूद भी हम पूरी क्षमता व सक्रियता के साथ आंख की घटनाओं पर काबू पाने की पूरी कोशिश करते हैं हमारे कर्मचारी पूरी मेहनत और ईमानदारी से लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे हैं राजधानी लखनऊ में लग रही लगातार आ की घटनाओं के लिए एडवाइजरी जारी की है और कर्मचारियों को हर समय अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं वहीं फायर स्टेशन भी बनाए गए हैं जिससे समय पर घटना पर पहुंचा जा सके।
Last Updated : May 11, 2019, 11:55 PM IST
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