अलीगढ़ : अलीगढ़ के वार्ष्णेय मंदिर में लठमार होली का आयोजन किया गया. इस दौरान मंदिर परिसर रंगों से सराबोर हो गया. भक्ति मय व होली के संगीत पर लोग खूब थिरके. इस दौरान लोग रंग बिरंगे परिधान में नजर आए. हालांकि बरसाना की लट्ठमार होली प्रसिद्ध है .लेकिन अलीगढ़ में भी 21 सालों से वार्ष्णेय मंदिर में लट्ठमार होली खेली जा रही है. कहा जाता है कि मथुरा में भगवान श्री कृष्ण नंद गांव से बरसाना गोपियों से होली खेलने आते थे. लट्ठमार होली रंगों , फूलों व डंडे मार कर खेली जाती है. महिलाएं, पुरुषों को डंडे से मार कर होली खेलती है . जब हुरियारे मजाक करते हैं .तो गोपियां डंडे बरसाती हैं. ऐसा ही पूरा नजारा यहां देखने को मिला.
ऐसा कोई व्यक्ति नहीं दिखा जो रंगों में रंगा न हो ,जो भी मंदिर परिसर में आयारंगों से रंग गया. होली गीतों पर लोग झूम कर नाचे लट्ठमार औरहोली का लोग आंनद लेते रहे.
अलीगढ़ ब्रजभूमि में आता है और यहां भी उल्लास से होली खेली जाती है. रंग गुलाल उड़ते हैंतो वहीं इस बीच महिलाएं डंडे बरसाती हैऔर हुलियारे ढाल से खुद को बचाते हैं. लट्ठमार होली की परंपरा पांच हज़ार साल पुरानी है. भगवान श्री कृष्ण के जमाने से ही लठमार होली खेली जा रही है. वार्ष्णेय मंदिर में बड़े उल्लास, उमंग और उत्साह के बीच लठमार होली खेली गई, जिसे देखने के लिए लोग उमड़ पड़े.
सोमवार को श्री वार्ष्णेय मंदिर में लठामार होली का आयोजन किया गया.जिसमें लठामार व फूलों की होली खेली गयी. कार्यक्रम संयोजक पूर्व महापौर शकुंतला भारती सहित श्री वार्ष्णेय मंदिर के पदाधिकारियों ने एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुरुआत की.इसके बाद मथुरा व वृन्दावन के कलाकारों सहित स्थानीय बच्चों ने राधा कृष्ण की वेशभुषा में होली के गीतों पर कार्यक्रम प्रस्तुत कर ब्रज की होली की याद दिला दी.इसके बाद लठामार होली में ब्रज संस्कृति के रंग ऐसे बिखरे की मानों ब्रज में ही होली खेली जा रही थी.