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हरदोई: कोच के अभाव से जूझ रहे स्टेडियम को विकास का इंतजार, जानें पूरा मामला - हरदोई न्यूज

हरदोई जिले का स्पोर्ट्स स्टेडियम आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. यहां से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों ने जिले का नाम रोशन किया है. वहीं आज भी हरदोई जिले में ऐसे प्रतिभाशील खिलाड़ी मौजूद हैं जो जिले का परचम राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लहरा सकते हैं, बावजूद इसके एक भी कोच की तैनाती यहां नहीं कराई जा सकी है.

हरदोई स्पोर्ट्स स्टेडियम
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Published : Mar 31, 2019, 11:53 AM IST

हरदोई: जिले के स्पोर्ट्स स्टेडियम में कोचों की बड़ी कमी है. यहां सिर्फ हॉकी की महिला कोच मौजूद हैं जो कि उप क्रीड़ा अधिकारी के पद पर तैनात हैं, लेकिन यहां हॉकी खेल के उतने खिलाड़ी नहीं हैं जितने कि क्रिकेट, वॉलीबॉल, एथलेटिक्स, पावर लिफ्टिंग, बैडमिंटन आर्म रेसलिंग और जूडो आदि के हैं.

इतना ही नहीं पूर्व में हरदोई के इस स्टेडियम से निकले खिलाड़ी नेशनल व इंटरनेशनल लेवल तक चमके हैं, लेकिन उस दौरान उन्हें एक बेहतर कोच से प्रशिक्षण प्राप्त हुआ था. जैसे-जैसे समय बीतता गया यहां की स्थिति दयनीय होती गई. आज आलम यह है कि करीब 15 से 16 कोच की आवश्यकता वाले इस स्टेडियम में महज एक कोच ही मौजूद है.

कोच के अभाव में जूझ रहा स्टेडियम.

इस संबंध में जिम्मेदारों ने तो कुछ भी बताना लाजमी नहीं समझा, लेकिन पूर्व में यहां पॉवर लिफ्टिंग की कोच रहीं मनीषा शुक्ला ने कहा कि यहां महिला हॉकी कोच के अलावा एक भी कोच नहीं है, जिसकी कमी के चलते खिलाड़ियों को प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है.

मनीषा ने कहा कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत इसी स्टेडियम से की थी. मनीषा ने पॉवर लिफ्टिंग में सन् 2000 से 2002 तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक प्रतिभाग किया था. इसमें उन्होंने नेशनल लेवल पर कई गोल्ड व सिल्वर मेडल हासिल किए थे. इसी के साथ उन्होंने जर्मनी वर्ल्डकप में भी हिस्सा लेकर चौथा स्थान प्राप्त किया था. मनीषा ने इस स्टेडियम में कोच बनने के लिए भी आवेदन किया, लेकिन उनका आरोप है कि ऊंचे रसूख वाले लोगों की मिलीभगत से वह ज्वॉइन नहीं कर सकीं. इसके बाद उन्होंने निशुल्क प्रशिक्षण देने की भी ठानी, लेकिन उन्हें स्टेडियम के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

वहीं पावर लिफ्टिंग फेडरेशन के सदस्य व राष्ट्रीय स्तर पर कई लिफ्टिंग की प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके अभिषेक ने आरोप लगाया कि इस दौरान स्टेडियम यहां के कुछ लोगों की जागीर बना हुआ है, जो अपने मनमुताबिक इसे संचालित कर रहे हैं. इसी का परिणाम है कि आज यहां आने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है और स्टेडियम कोच के अभाव से जूझ रहा है.

हरदोई: जिले के स्पोर्ट्स स्टेडियम में कोचों की बड़ी कमी है. यहां सिर्फ हॉकी की महिला कोच मौजूद हैं जो कि उप क्रीड़ा अधिकारी के पद पर तैनात हैं, लेकिन यहां हॉकी खेल के उतने खिलाड़ी नहीं हैं जितने कि क्रिकेट, वॉलीबॉल, एथलेटिक्स, पावर लिफ्टिंग, बैडमिंटन आर्म रेसलिंग और जूडो आदि के हैं.

इतना ही नहीं पूर्व में हरदोई के इस स्टेडियम से निकले खिलाड़ी नेशनल व इंटरनेशनल लेवल तक चमके हैं, लेकिन उस दौरान उन्हें एक बेहतर कोच से प्रशिक्षण प्राप्त हुआ था. जैसे-जैसे समय बीतता गया यहां की स्थिति दयनीय होती गई. आज आलम यह है कि करीब 15 से 16 कोच की आवश्यकता वाले इस स्टेडियम में महज एक कोच ही मौजूद है.

कोच के अभाव में जूझ रहा स्टेडियम.

इस संबंध में जिम्मेदारों ने तो कुछ भी बताना लाजमी नहीं समझा, लेकिन पूर्व में यहां पॉवर लिफ्टिंग की कोच रहीं मनीषा शुक्ला ने कहा कि यहां महिला हॉकी कोच के अलावा एक भी कोच नहीं है, जिसकी कमी के चलते खिलाड़ियों को प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है.

मनीषा ने कहा कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत इसी स्टेडियम से की थी. मनीषा ने पॉवर लिफ्टिंग में सन् 2000 से 2002 तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक प्रतिभाग किया था. इसमें उन्होंने नेशनल लेवल पर कई गोल्ड व सिल्वर मेडल हासिल किए थे. इसी के साथ उन्होंने जर्मनी वर्ल्डकप में भी हिस्सा लेकर चौथा स्थान प्राप्त किया था. मनीषा ने इस स्टेडियम में कोच बनने के लिए भी आवेदन किया, लेकिन उनका आरोप है कि ऊंचे रसूख वाले लोगों की मिलीभगत से वह ज्वॉइन नहीं कर सकीं. इसके बाद उन्होंने निशुल्क प्रशिक्षण देने की भी ठानी, लेकिन उन्हें स्टेडियम के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

वहीं पावर लिफ्टिंग फेडरेशन के सदस्य व राष्ट्रीय स्तर पर कई लिफ्टिंग की प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके अभिषेक ने आरोप लगाया कि इस दौरान स्टेडियम यहां के कुछ लोगों की जागीर बना हुआ है, जो अपने मनमुताबिक इसे संचालित कर रहे हैं. इसी का परिणाम है कि आज यहां आने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है और स्टेडियम कोच के अभाव से जूझ रहा है.

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर----हरदोई जिले का सपोर्ट स्टेडियम आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।यहां से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों ने निकल कर जिले का नाम भी रौशन किया है।आज भी हरदोई जिले में ऐसे प्रतिभाशील खिलाड़ी मौजूद हैं जो जिले का परचम राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लहर सकते हैं।लेकिन उन्हें इसके लिए एक बेहतर कोच की आवश्यकता है जो उन्हें प्रशिक्षण दे सके।क्योंकि पूर्व में अच्छे कोचों की बदौलत ही यहां से अच्छे खिलाड़ी निकले हैं।आज स्थिति ये है कि विगत लंबे समय से 15 से 16 कोचों की ये स्टेडियम मांग कर रहा है लेकिन एक भी कोच की तैनाती यहां नहीं कराई जा सकी है।यहां आने वाले खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को निखार नहीं पा रहे हैं और प्रशिक्षण के अभाव से जूझ रहे हैं।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले के स्पोर्ट स्टेडियम में इस दौरान कोई भी कोच मौजूद नही है।सिर्फ एक हॉकी की महिला कोच यहां पर मौजूद है जो उप क्रीड़ा अधिककरी के पद पर तैनात हैं।लेकिन यहां हॉकी के खेल के उतना खिलाड़ी नहीं है जितने की क्रिकेट, बॉलीबाल, एथलेटिक्स, पवार लिफ्टिंग, बैडमिंटन आर्म रेसलिंग व जुडो आदि के हैं।इतना ही नहीं पूर्व में हरदोई के इस स्टेडियम से निकले खिलाड़ी नेशनल व इंटरनेशनल स्तर तक चमके हैं।लेकिन उन्हें उस दकुरण एक बेहतर कोच का बेहतकर प्रशिक्षण प्राप्त हुआ था।जिनके मार्गदर्शन से जिले के खिलाड़ियों ने हरदोई का नाम रौशन किया था।समय बीतता गया और यहां की स्थिति दिन ब दी दयनीय होती गई।आज आलम ये है कि करीब 15 से 16 कोचों की आवश्यकता वाले इस स्टेडियम में महज एक कोच मौजूद है जिसके खेल के खिलाड़ी ही जिले में मौजूद नहीं हैं।पूर्व में यहां से जुडो, एथलेटिक्स व अन्य के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक खेला व हरदोई का परचम लहराया था।आज यहां पर खिलाड़ी तो भारी संख्या में देखने को मिलते हैं लेकिन उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए कोच व ट्रेनर मौजूद नहीं हैं।

विसुअल

वीओ--2--इस सम्बंध में जिम्मेदारों ने तो कुछ भी बताना लाज़मी नहीं समझा, लेकिन पूर्व में यहां पवार लिफ्टिंग की कोच रहीं मनीशा शुक्ला ने जानकारी दी, की इस दौरान यहां सिवाय महिला हॉकी की कोच के अलावा एक भी कोच नहीं है, जिससे खिलाड़ियों को प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है।वहीं संसाधनों के अभाव की बात भी मनीशा ने कही।इसके लिए उन्होंने शासन व जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।कहा कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत इसी स्टेडियकम से की है।मनीशा ने पावर लिफ्टिंग में सन 2000 से 2002 तक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक प्रतिभाग किया था।जिसमें उन्होंने नेशनल लेवल पर कई गोल्ड व सिल्वर मैडल हासिल किए थे।इसी के साथ उन्होंने जर्मनी वर्ल्डकप में भी प्रतिभाग चौथा स्थान प्राप्त किया था।मनीशा ने इस स्टेडियम में कोच बनने के लिए भी अप्लाई किया लेकिन उनका आरोप है कि ऊंचे रसूख वाले लोगों की मिलिभगत से वे जॉइन न कर सकीं।यहां तक उन्होंने निशुल्क प्रशिक्षण देने की भी ठानी लेकिन उन्हें स्टेडियम के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

बाईट--मनीशा शुक्ला--पूर्व में स्टेडियम के कोच पड़ पर थीं तैनात

वीओ--3--वहीं पवार लिफ्टिंग फेडरेशन के सदस्य व राष्ट्ररी स्तर पर पाकर लिफ्टिंग की प्रतियोगिताओंओं में प्रतिभाग कर चुके अभिषेक ने आरोप लगाया कि इस दौरान स्टेडियम यहां के कुछ लोगों की जागीर बना हुआ है।जो अपने मनमुताबिक इसे संचालित कर रहे हैं।उसी का परिणाम है कि आज यहां आने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है और स्टेडियम कोच के अभाव से जूझ रहा है।

बाईट--अभिषेक शुक्ला--पावर लिफ्टिंग फेडरेशन के सदस्य

पीटूसी


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