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मुरादाबाद: जिले के अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल - moradabad district hospital

मुरादाबाद मण्डल का जिला अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के चलते जहां मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा हैं, वहीं संसाधनों के अभाव में मरीजों को मामूली जांच के लिए भी निजी लैब के चक्कर काटने पड़ते हैं.

जिले के अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल
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Published : Feb 25, 2019, 6:40 PM IST

मुरादाबाद: प्रदेश सरकार भले ही प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहीहो लेकिन इसकी जमानी हकीकत कुछ और ही है. मुरादाबाद मण्डल का जिला अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के चलते जहां मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है,वहीं संसाधनों के अभाव में मरीजों को मामूली जांच के लिए भी निजी लैब के चक्कर काटने पड़ते हैं. हालत यह है कि अभी तक मुरादाबाद के किसी भी सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. अधिकारी दावा कर रहेहैंकि डॉक्टरों की मांग को लेकर कई बार शासन को पत्र लिखा गया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

दरअसल अस्पताल की बदहाली की दास्तां खुद यहां के अधिकारी बयां कर रहे हैं. जिले के सीएमएस ने कहाअस्पताल में डॉक्टरों के 42 पद स्वीकृत हैं लेकिन यहां केवल 28 डॉक्टर ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं. लेकिन सीएमएस इन सब हालातों के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रही हैं.उन्होंने कहा अस्पताल में तीन फिजिशियन के स्थान पर महज एक फिजिशियन तैनात है. कार्डियोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी में कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है. जिसकी वजह से मरीज को रेफर करना हमारी मजबूरी है. सीएमएस के मुताबिक शासन को कई बार पत्र भेजकर स्टाफ की कमी से अवगत कराया गया है लेकिन अभी तक किसी डॉक्टर को तैनात नहीं किया गया है. स्टाफ की कमी से स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के दावे को सीएमएस भी स्वीकार करती हैं.

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जिले के अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल

सूबे के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के राज्यमंत्री और मुरादाबाद के जिला प्रभारी मंत्री महेंद्र सिंह से जब इस बारे में सवाल किया गया तो राज्यमंत्री ने स्वीकार किया कि सूबे के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. जिसको दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. महेंद्र सिंह ने यह भी स्वीकार किया कि मेडिकल कॉलेज के लिए पहले उन जनपदों को वरीयता दी गयी है जहां कोई निजी मेडिकल कॉलेज भी नहीं है. ऐसे में मुरादाबाद में मेडिकल कॉलेज खोलने में थोड़ा वक्त और लगेगा.

मुरादाबाद: प्रदेश सरकार भले ही प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहीहो लेकिन इसकी जमानी हकीकत कुछ और ही है. मुरादाबाद मण्डल का जिला अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के चलते जहां मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है,वहीं संसाधनों के अभाव में मरीजों को मामूली जांच के लिए भी निजी लैब के चक्कर काटने पड़ते हैं. हालत यह है कि अभी तक मुरादाबाद के किसी भी सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. अधिकारी दावा कर रहेहैंकि डॉक्टरों की मांग को लेकर कई बार शासन को पत्र लिखा गया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

दरअसल अस्पताल की बदहाली की दास्तां खुद यहां के अधिकारी बयां कर रहे हैं. जिले के सीएमएस ने कहाअस्पताल में डॉक्टरों के 42 पद स्वीकृत हैं लेकिन यहां केवल 28 डॉक्टर ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं. लेकिन सीएमएस इन सब हालातों के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रही हैं.उन्होंने कहा अस्पताल में तीन फिजिशियन के स्थान पर महज एक फिजिशियन तैनात है. कार्डियोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी में कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है. जिसकी वजह से मरीज को रेफर करना हमारी मजबूरी है. सीएमएस के मुताबिक शासन को कई बार पत्र भेजकर स्टाफ की कमी से अवगत कराया गया है लेकिन अभी तक किसी डॉक्टर को तैनात नहीं किया गया है. स्टाफ की कमी से स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के दावे को सीएमएस भी स्वीकार करती हैं.

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जिले के अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल

सूबे के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के राज्यमंत्री और मुरादाबाद के जिला प्रभारी मंत्री महेंद्र सिंह से जब इस बारे में सवाल किया गया तो राज्यमंत्री ने स्वीकार किया कि सूबे के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. जिसको दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. महेंद्र सिंह ने यह भी स्वीकार किया कि मेडिकल कॉलेज के लिए पहले उन जनपदों को वरीयता दी गयी है जहां कोई निजी मेडिकल कॉलेज भी नहीं है. ऐसे में मुरादाबाद में मेडिकल कॉलेज खोलने में थोड़ा वक्त और लगेगा.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: प्रदेश सरकार भले ही प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहीं हो लेकिन जमीनी हकीकत इसके एकदम उलट नजर आती है. मुरादाबाद मण्डल के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार जिला अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अस्पताल में स्टाफ और डॉक्टरों की कमी के चलते जहां मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा वहीं संसाधनों के अभाव में मरीजों को मामूली जांच के लिए भी निजी लैब के चक्कर काटने पड़ते है. हालत यह है कि अभी तक मुरादाबाद के किसी भी सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है.अधिकारी दावा कर रहें है कि डॉक्टरों की मांग को लेकर कई बार शासन को पत्र लिखा गया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कि गई.


Body:वीओ वन: मुरादाबाद मण्डल के पांच जनपदों में सबसे बड़े अस्पताल का तमगा जिला अस्पताल मुरादाबाद के पास है. हर रोज डेढ़ से दो हजार मरीजों को ओपीडी के जरिये इलाज किया जाता है. लोगों के इलाज के लिए सबसे बड़े अस्पताल की बदहाली की दास्तां खुद यहां के अधिकारी बयां कर रहें है. जिला अस्पताल में डॉक्टरों के स्वीकृत 42 पदों के सापेक्ष महज 28 डॉक्टर है. जबकि अस्पताल के अन्य स्टाफ की कमी कहीं ज्यादा है. हालत यह है कि अस्पताल में अभी तक मरीजों के लिए वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है और न ही एमआरआई और सिटी स्कैन नियमित रूप से होता है. गम्भीर मरीज अस्पताल तक आते है लेकिन सिर्फ इसलिए कि सरकारी पर्चे पर उनको रेफर किया जाय ताकि वह मेरठ और दिल्ली में इलाज करा सकें.
बाइट: अनिल: मरीज के परिजन
बाइट: अंशुल: परिजन
वीओ टू: गम्भीर मरीजों की जांच के लिए जिला अस्पताल में पैथोलॉजी की सुविधा निजी लैब को दी गयी है जिसकी जांच में कई शिकायतें मिलने के बाद मरीज अब निजी लैबों के भरोशे है. अस्पताल में आईसीयू यूनिट में कोई डॉक्टर और स्टाफ नहीं है जिसके चलते यह यूनिट नाम मात्र के लिए चल रहीं है. सीएमएस के मुताबिक अस्पताल में तीन फिजिशियन के स्थान पर महज एक फिजिशियन तैनात है. कार्डियोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी में कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है जिसकी वजह से मरीज को रेफर करना मजबूरी है. सीएमएस के मुताबिक शाशन को कई बार पत्र भेजकर स्टाफ की कमी से अवगत कराया गया है लेकिन अभी तक किसी डॉक्टर को तैनात नहीं किया गया है. स्टाफ की कमी से स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के दावे को सीएमएस भी स्वीकार करती है.
बाइट: ज्योत्स्ना पन्त: सीएमएस
वीओ तीन: जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी और संसाधनों के अभाव की जानकारी जब ईटीवी भारत द्वारा सूबे के चिकित्सा एंव स्वास्थ्य विभाग के राज्य मंत्री और मुरादाबाद के जिला प्रभारी मंत्री महेंद्र सिंह को देकर सवाल किया गया तो राज्य मंत्री ने स्वीकार किया कि सूबे के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है जिसको दूर करने का प्रयाश किया जा रहा है. महेंद्र सिंह ने यह भी स्वीकार किया कि मेडिकल कालेज के लिए पहले उन जनपदों को वरीयता दी गयी है जहां कोई निजी मेडिकल कालेज भी नहीं है. ऐसे में मुरादाबाद में मेडकिल कालेज खोलने में थोड़ा वक्त लग रहा है.
बाइट: महेंद्र सिंह: राज्य मंत्री यूपी सरकार


Conclusion:वीओ चार: मुरादाबाद जनपद में पटरी से उतर चुकी स्वास्थ्य सेवाओं का हाल ग्रामीण क्षेत्रों में और भी बदतर है. कई स्वास्थ्य केंद्र स्टाफ के अभाव में बंद पड़े है जबकि कई जगह डॉक्टर तैनात नहीं है. मामूली बीमारी में निजी डॉक्टर और गम्भीर बीमारी मे हायर सेंटर रेफर होना मरीजों की मजबूरी है. सरकार के दावों के उलट लगभग सूबे के सभी जनपदों में यहीं हाल है. डॉक्टरों की कमी के चलते हर जगह मरीजों को इलाज के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ती है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
9634544417
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