मुरादाबाद: प्रदेश सरकार भले ही प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहीहो लेकिन इसकी जमानी हकीकत कुछ और ही है. मुरादाबाद मण्डल का जिला अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के चलते जहां मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है,वहीं संसाधनों के अभाव में मरीजों को मामूली जांच के लिए भी निजी लैब के चक्कर काटने पड़ते हैं. हालत यह है कि अभी तक मुरादाबाद के किसी भी सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. अधिकारी दावा कर रहेहैंकि डॉक्टरों की मांग को लेकर कई बार शासन को पत्र लिखा गया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
दरअसल अस्पताल की बदहाली की दास्तां खुद यहां के अधिकारी बयां कर रहे हैं. जिले के सीएमएस ने कहाअस्पताल में डॉक्टरों के 42 पद स्वीकृत हैं लेकिन यहां केवल 28 डॉक्टर ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं. लेकिन सीएमएस इन सब हालातों के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रही हैं.उन्होंने कहा अस्पताल में तीन फिजिशियन के स्थान पर महज एक फिजिशियन तैनात है. कार्डियोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी में कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है. जिसकी वजह से मरीज को रेफर करना हमारी मजबूरी है. सीएमएस के मुताबिक शासन को कई बार पत्र भेजकर स्टाफ की कमी से अवगत कराया गया है लेकिन अभी तक किसी डॉक्टर को तैनात नहीं किया गया है. स्टाफ की कमी से स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के दावे को सीएमएस भी स्वीकार करती हैं.
सूबे के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के राज्यमंत्री और मुरादाबाद के जिला प्रभारी मंत्री महेंद्र सिंह से जब इस बारे में सवाल किया गया तो राज्यमंत्री ने स्वीकार किया कि सूबे के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. जिसको दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. महेंद्र सिंह ने यह भी स्वीकार किया कि मेडिकल कॉलेज के लिए पहले उन जनपदों को वरीयता दी गयी है जहां कोई निजी मेडिकल कॉलेज भी नहीं है. ऐसे में मुरादाबाद में मेडिकल कॉलेज खोलने में थोड़ा वक्त और लगेगा.