वाराणसी: आज से हिंदू नव वर्ष यानी नव संवत्सर की शुरुआत हो रही है. चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से भारतीय कैलेंडर की गणना के मुताबिक नव- संवत्सर माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि आज ही के दिन सृष्टि की रचना हुई थी और इस वजह से वासंतिक नवरात्र के प्रथम दिन ही नव संवत्सर मनाया जाता है. फिलहाल विक्रम संवत 2076 और शक संवत 1941 अब नियमित पूजन-पाठ संकल्प इत्यादि में इस्तेमाल किया जाएगा. इतना ही नहीं परंपराओं के अनुरूप इस नव संवत्सर का जो नाम होगा, वह परिधावी होगा लेकिन सवाल यह उठता है कि ग्रहों की चाल के हिसाब से यह नव-संवत्सर कैसा होने वाला है.
हिंदू नव वर्ष के इस पूरे एक साल में क्या परिस्थितियां होंगी. राजनीतिक सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से क्या भारत मजबूत होगा या फिर राजनीतिक उथल-पुथल के साथ 2019 लोकसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन देखने को मिलेगा. यह सब जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि नव- संवत्सर के साथ ही ग्रह मंडल में कई ग्रह अपना स्थान बदलते हैं. राजा और मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नवग्रह आसन होते हैं. इस बार राजा शनि और मंत्री सूर्य के रूप में विराजमान होंगे जिससे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ जहां सूर्य और शनि पिता पुत्र की भूमिका में है लेकिन परस्पर शत्रु हैं.
नव- संवत्सर और इस पूरे एक साल में होने वाले परिवर्तन को लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडे ने बताया कि परीधावी संवत्सर कुसुम संवत्सर माना जा रहा है क्योंकि इसका नाम ही बहुत उत्तम है लेकिन इसका जो मंत्रिमंडल का गठन हो रहा है. उसके मुताबिक चीजें अच्छी और बुरी दोनों होंगे. ऐसा सिर्फ इसलिए कि इस मंत्रिमंडल का राजा शनि होगा और मंत्री सूर्य होगा क्योंकि शनि को न्याय का देवता कहा जाता है. इसलिए अपने राजा होने के बाद सनी कुछ ऐसे फैसले लेंगे जो मंत्री होते हुए सूर्य कुछ सही नहीं लगेंगे लेकिन शनि के कड़े फैसलों की वजह से समाज में बहुत सी अच्छी चीजें भी होंगी और खराब भी.
सबसे बड़ी बात यह है की रिश्ते में यह दोनों पिता-पुत्र हैं लेकिन इनकी दुश्मनी सभी को पता है जिसकी वजह से इन दोनों में जरा भी नहीं पटती है. इन दोनों के मंत्रिमंडल के दो महत्वपूर्ण पदों पर बैठने की वजह से टकराव की स्थिति लगातार बनी रहेगी. सबसे बड़ी बात यह है की 2019 लोकसभा चुनाव के होने के बाद यह कहा जा सकता है कि पिछली सत्ता एक बार फिर से सरकार चलाएगी लेकिन इस बात बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे. बहुत से मंत्रियों के मंत्रिमंडल उनसे जीने जाएंगे और नए मंत्रियों को मौका मिलेगा. बतौर प्रधानमंत्री जो भी व्यक्ति सत्ता संभालेगा. वह भी राजा शनि की तरह कई कड़े फैसले लेगा जो जनता के हित में होंगे लेकिन इन फैसलों से बहुत से लोग नाखुश भी होंगे.
पंडित विनय कुमार पांडे का कहना है कि शनी के राजा होने की वजह से सबसे बड़ी समस्या सत्ता पक्ष में ही देखने को मिलेगी. इसमें राजनेताओं के बीच असंतोष की स्थिति उत्पन्न होगी. आरोप-प्रत्यारोप बढ़ेंगे और राजनीतिक दृष्टि से काफी उथल-पुथल वाला साल यह रहने वाला है.वहीं सूर्य के मंत्री होने की वजह से सरकार के फैसले कड़े होंगे.
आर्थिक रूप से देश में काफी अनियमितता देखने को मिलेगी. पेट्रोल-डीजल से लेकर आने जरूरत की सभी वस्तुओं की कीमतें बढ़ती जाएगी. इसके साथ ही राजा के रूप में शनि के विराजमान होने का सबसे बड़ा असर सुरक्षा की दृष्टि से भी देखने को मिलेगा. देश इस बार काफी सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ेगा और सेना और पुलिस की कठोर कार्रवाई की वजह से अपराधियों और आतंकवादियों पर लगाम लगेगी. वहीं बेरोजगारों को रोजगार मिलने की भी प्रबल संभावनाएं हैं. पठन-पाठन के दृष्टि से भी यह साल बहुत अच्छा रहने वाला है. कुल मिलाकर देश मजबूत होगा लेकिन महंगाई की वजह से पब्लिक को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. राजनेताओं का आपस में मनमुटाव होगा. मंत्रिमंडल में काफी बड़ा बदलाव होने के साथ ही पुरानी सत्ता के फिर से वापस आने के योग इस साल बन रहे हैं.