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गोरखपुर:'चमकी बुखार' जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने को तैयार जिला अस्पताल - CM City in up

जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को इंसेफेलाइटिस, जेई, एईएस जैसी गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए पूरी तरह मुस्तैद रहने के निर्देश दिए हैं. इंसेफेलाइटिस के लक्षण, कारण और बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही खराब काम करने वाले मेडिकल अफसरों को हटाने और हर 15 दिन पर कार्यों की समीक्षा करने के निर्देश भी जिला प्रशासन ने दिए.

चमकी बुखार से लड़ने को तैयार जिला अस्पताल
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Published : Jun 18, 2019, 7:45 PM IST


गोरखपुर: जेई, एईएस और इंसेफेलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी को लेकर प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है. कुछ दिन पहले ही प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश भर के सीएमओ, मेडिकल ऑफिसर, एसआईसी सहित अन्य अधिकारियों से इन गंभीर बीमारी के विषय में समीक्षा बैठक की थी. सभी को यह दिशा निर्देश दिया गया था कि इस बीमारी से पीड़ित किसी भी मरीज के साथ कोई कोताही न बरती जाए. अपने-अपने सीएससी, पीएससी और जिला मुख्यालयों पर इन बीमारियों से लड़ने के लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं.

चमकी बुखार से लड़ने को तैयार जिला अस्पताल

इंसेफेलाइटिस, जेई और एईएस से लड़ने को तैयार गोरखपुर

मुख्यमंत्री के आदेश को गंभीरता से लेते हुए जनपद का जिला अस्पताल पूरी तरह तैयार है, इन गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए एक अलग से विभाग बनाया गया है. जिसे पीआईसीयू नाम दिया गया है. जिला अस्पताल में आने वाले किसी भी बाल रोगी को पूर्ण रूप से जांच के बाद इन वार्डो में भेज कर उनका इलाज शुरू कर दिया जाता है.

  • जिला चिकित्सालय में 17 वार्ड का पीआईसीयू कार्यरत है.
  • पीआईसीयू वार्ड में 8 पीडियाट्रिशियन के साथ ही 20 स्टाफ नर्स और एक जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर तैनात हैं.
  • पीआईसीयू वार्ड में 17 नर्सों की ड्यूटी के साथ ही दर्जनभर डाक्टरों की ड्यूटी भी लगाई गई है. वही इस वार्ड में कुल 17 बेड आरक्षित हैं.
  • जिसमें वेंटीलेटर, इन्फ्यूजन पंप, सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई, सेंट्रल सत्संग, ऑक्सीजन सप्लाई इत्यादि आधुनिक उपकरणों से इन वार्डो को सुसज्जित किया गया है
  • साथ ही जिला अस्पताल में साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है.

जिला चिकित्सालय में 17 वार्ड का पीआईसीयू कार्यरत हैं. जिस में अत्याधुनिक उपकरणों के साथ ही साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है. 8 पीडियाट्रिशियन के साथ ही 20 स्टाफ नर्स, एक जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर भी तैनात हैं. पीआईसीयू संचारी रोग लखनऊ से जो निर्देश प्राप्त हैं, पीआईसीयू में जो भी उपकरण और दवाइयां होनी चाहिए, उन सभी की शत-प्रतिशत उपलब्धता हमारे पास है. अभी तक हमारे पास पीआईसीयू में 500 मरीज भर्ती हुए हैं लेकिन अभी तक उनमें से कोई भी मरीज जेई, एईएस का नहीं पाया गया है. भविष्य में तैयारियां ऐसी रहेंगी कि अगर मरीज आते हैं तो उनके पूरे इलाज की व्यवस्था की गई है, हमारे पास अच्छे चिकित्सक हैं. जिनसे उनका इलाज किया जाए, उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर करने की जरूरत ना पड़े.
डॉ. राजकुमार गुप्ता, मुख्य अधीक्षक, जिला चिकित्सालय

बच्चा पिछले 4 दिनों से बीमार था. सिद्धार्थनगर के डाक्टरों से इलाज कराने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ . हम सीधे जिला अस्पताल चले आए. यहां पर बच्चे को भर्ती किया गया और अभी बच्चा सही है, सारी दवाएं यहां पर उपलब्ध है.
सुनील, तीमारदार


गोरखपुर: जेई, एईएस और इंसेफेलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी को लेकर प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है. कुछ दिन पहले ही प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश भर के सीएमओ, मेडिकल ऑफिसर, एसआईसी सहित अन्य अधिकारियों से इन गंभीर बीमारी के विषय में समीक्षा बैठक की थी. सभी को यह दिशा निर्देश दिया गया था कि इस बीमारी से पीड़ित किसी भी मरीज के साथ कोई कोताही न बरती जाए. अपने-अपने सीएससी, पीएससी और जिला मुख्यालयों पर इन बीमारियों से लड़ने के लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं.

चमकी बुखार से लड़ने को तैयार जिला अस्पताल

इंसेफेलाइटिस, जेई और एईएस से लड़ने को तैयार गोरखपुर

मुख्यमंत्री के आदेश को गंभीरता से लेते हुए जनपद का जिला अस्पताल पूरी तरह तैयार है, इन गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए एक अलग से विभाग बनाया गया है. जिसे पीआईसीयू नाम दिया गया है. जिला अस्पताल में आने वाले किसी भी बाल रोगी को पूर्ण रूप से जांच के बाद इन वार्डो में भेज कर उनका इलाज शुरू कर दिया जाता है.

  • जिला चिकित्सालय में 17 वार्ड का पीआईसीयू कार्यरत है.
  • पीआईसीयू वार्ड में 8 पीडियाट्रिशियन के साथ ही 20 स्टाफ नर्स और एक जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर तैनात हैं.
  • पीआईसीयू वार्ड में 17 नर्सों की ड्यूटी के साथ ही दर्जनभर डाक्टरों की ड्यूटी भी लगाई गई है. वही इस वार्ड में कुल 17 बेड आरक्षित हैं.
  • जिसमें वेंटीलेटर, इन्फ्यूजन पंप, सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई, सेंट्रल सत्संग, ऑक्सीजन सप्लाई इत्यादि आधुनिक उपकरणों से इन वार्डो को सुसज्जित किया गया है
  • साथ ही जिला अस्पताल में साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है.

जिला चिकित्सालय में 17 वार्ड का पीआईसीयू कार्यरत हैं. जिस में अत्याधुनिक उपकरणों के साथ ही साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है. 8 पीडियाट्रिशियन के साथ ही 20 स्टाफ नर्स, एक जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर भी तैनात हैं. पीआईसीयू संचारी रोग लखनऊ से जो निर्देश प्राप्त हैं, पीआईसीयू में जो भी उपकरण और दवाइयां होनी चाहिए, उन सभी की शत-प्रतिशत उपलब्धता हमारे पास है. अभी तक हमारे पास पीआईसीयू में 500 मरीज भर्ती हुए हैं लेकिन अभी तक उनमें से कोई भी मरीज जेई, एईएस का नहीं पाया गया है. भविष्य में तैयारियां ऐसी रहेंगी कि अगर मरीज आते हैं तो उनके पूरे इलाज की व्यवस्था की गई है, हमारे पास अच्छे चिकित्सक हैं. जिनसे उनका इलाज किया जाए, उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर करने की जरूरत ना पड़े.
डॉ. राजकुमार गुप्ता, मुख्य अधीक्षक, जिला चिकित्सालय

बच्चा पिछले 4 दिनों से बीमार था. सिद्धार्थनगर के डाक्टरों से इलाज कराने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ . हम सीधे जिला अस्पताल चले आए. यहां पर बच्चे को भर्ती किया गया और अभी बच्चा सही है, सारी दवाएं यहां पर उपलब्ध है.
सुनील, तीमारदार

Intro:गोरखपुर। इंसेफेलाइटिस के लक्षण कारण और बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ खराब काम करने वाले मेडिकल अफसरों को हटाने और अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं हर 15 दिन पर कार्यों की समीक्षा करें। अगर कोई बच्चा बुखार के चलते 2 दिनों तक विद्यालय ना जाए, तो स्कूल के शिक्षक वहां की आशा कार्यकर्ताओं को इसकी सूचना दे। उस बच्चे की जांच कराने के साथ ही उस पर विशेष नजर रखी जाए, ऐसे कई निर्दोषों के साथ जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को इंसेफेलाइटिस, जेई, एईएस जैसी गंभीर बीमारी से निपटने के लिए पूरी तरह मुस्तैद रहने के निर्देश दिए हैं।


Body:जेई, एईएस व इंसेफेलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी को लेकर प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है, अभी कुछ दिन पहले ही प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश भर के सीएमओ, मेडिकल ऑफिसर, एसआईसी सहित अन्य अधिकारियों से इस गंभीर बीमारी को लेकर समीक्षा बैठक की थी।

सभी को यह दिशा निर्देश दिया गया था कि इस बीमारी से पीड़ित किसी भी मरीज के साथ कोई कोताही न बरती जाए, अपने-अपने सीएससी, पीएससी और जिला मुख्यालयों पर इन बीमारियों से लड़ने के लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। इस फरमान को गंभीरता से लेते हुए सीएम सिटी के जिला अस्पताल पूरी तरह मुस्तैद है, इन गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए एक अलग से विभाग बनाया गया है। जिसका नाम पीआईसीयू है, जिसमें 17 नर्सों की ड्यूटी के साथ ही दर्जनभर डाक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है।

जिला अस्पताल में आने वाले किसी भी बाल रोगी को पूर्ण रूप से जांच के बाद इन वार्डो में भेज कर उनका इलाज शुरू कर दिया जाता है, वही इस वार्ड में कुल 17 बेड आरक्षित हैं। जिसमें वेंटीलेटर, इन्फ्यूजन पंप, सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई, सेंट्रल सत्संग, ऑक्सीजन सप्लाई इत्यादि आधुनिक उपकरणों से इन वार्डो को सुसज्जित किया गया है साथ ही साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा गया है।


Conclusion:इस संबंध में जिला अस्पताल के मुख्य अधीक्षक डॉ.राजकुमार गुप्ता ने बताया कि हमारे जिला चिकित्सालय में 17 वार्ड का पीआईसीयू कार्यरत है। जिस में अत्याधुनिक उपकरणों के साथ ही साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है 8 पीडियाट्रिशियन इस में तैनात किए गए हैं, साथ ही 20 स्टाफ नर्स, एक जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर तैनात हैं।

पीआईसीयू संचारी रोग लखनऊ से जो निर्देश प्राप्त है, पीआईसीयू में जो भी उपकरण होने चाहिए, जो भी दवाइयां होनी चाहिए। उन सभी की शत-प्रतिशत उपलब्धता हमारे पास है, सारे एंटीबायोटिक उपलब्ध हैं। अभी तक हमारे पास पीआईसीयू में 500 मरीज भर्ती हुए हैं लेकिन अभी तक उनमें से कोई भी मरीज जेई, एईएस का नहीं पाया गया है। भविष्य में तैयारियां ऐसी ही रहेंगे कि अगर मरीज आते हैं तो उनकी पूरी इलाज करने की व्यवस्था की गई है, हमारे पास अच्छे चिकित्सक हैं। जिनसे उनका इलाज किया जाए, उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर करने की जरूरत ना पड़े।

बाइट - डॉक्टर राजकुमार गुप्ता, प्रमुख अधीक्षक - जिला चिकित्सालय

वही सिद्धार्थनगर जिले से आए अपने बच्चे का इलाज कराने सुनील ने बताया कि बच्चा पिछले 4 दिनों से बीमार था, सिद्धार्थनगर के डाक्टरों से इलाज कराने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ तो हम सीधे जिला अस्पताल चले आए। यहां पर बच्चे को भर्ती किया गया और अभी बच्चा सही है, सारी दवाएं यहां पर उपलब्ध है।

बाइट - सुनील, तीमारदार


वहीं ग्रामीण क्षेत्र से आई साधना ने बताया कि पिछले 1 हफ्ते से बच्चों को बुखार हुआ था, प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर बच्चे का इलाज कराया लेकिन डॉक्टर कुछ भी बताने में सक्षम नहीं थे। बच्चे की हालत बिगड़ती जा रही थी, आनन-फानन में हम लोग बच्चे को लेकर जिला अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किए है। उसका इलाज शुरू हुआ है, बच्चा काफी हद तक सही है। डॉक्टर समय समय से ना कर बच्चे को देख रहे हैं, सारी दवाएं यहां से मिल रही हैं।

बाइट - साधना, तीमारदार





निखिलेश प्रताप
गोरखपुर
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