गोरखपुर: जेई, एईएस और इंसेफेलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी को लेकर प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है. कुछ दिन पहले ही प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश भर के सीएमओ, मेडिकल ऑफिसर, एसआईसी सहित अन्य अधिकारियों से इन गंभीर बीमारी के विषय में समीक्षा बैठक की थी. सभी को यह दिशा निर्देश दिया गया था कि इस बीमारी से पीड़ित किसी भी मरीज के साथ कोई कोताही न बरती जाए. अपने-अपने सीएससी, पीएससी और जिला मुख्यालयों पर इन बीमारियों से लड़ने के लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं.
इंसेफेलाइटिस, जेई और एईएस से लड़ने को तैयार गोरखपुर
मुख्यमंत्री के आदेश को गंभीरता से लेते हुए जनपद का जिला अस्पताल पूरी तरह तैयार है, इन गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए एक अलग से विभाग बनाया गया है. जिसे पीआईसीयू नाम दिया गया है. जिला अस्पताल में आने वाले किसी भी बाल रोगी को पूर्ण रूप से जांच के बाद इन वार्डो में भेज कर उनका इलाज शुरू कर दिया जाता है.
- जिला चिकित्सालय में 17 वार्ड का पीआईसीयू कार्यरत है.
- पीआईसीयू वार्ड में 8 पीडियाट्रिशियन के साथ ही 20 स्टाफ नर्स और एक जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर तैनात हैं.
- पीआईसीयू वार्ड में 17 नर्सों की ड्यूटी के साथ ही दर्जनभर डाक्टरों की ड्यूटी भी लगाई गई है. वही इस वार्ड में कुल 17 बेड आरक्षित हैं.
- जिसमें वेंटीलेटर, इन्फ्यूजन पंप, सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई, सेंट्रल सत्संग, ऑक्सीजन सप्लाई इत्यादि आधुनिक उपकरणों से इन वार्डो को सुसज्जित किया गया है
- साथ ही जिला अस्पताल में साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है.
जिला चिकित्सालय में 17 वार्ड का पीआईसीयू कार्यरत हैं. जिस में अत्याधुनिक उपकरणों के साथ ही साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है. 8 पीडियाट्रिशियन के साथ ही 20 स्टाफ नर्स, एक जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर भी तैनात हैं. पीआईसीयू संचारी रोग लखनऊ से जो निर्देश प्राप्त हैं, पीआईसीयू में जो भी उपकरण और दवाइयां होनी चाहिए, उन सभी की शत-प्रतिशत उपलब्धता हमारे पास है. अभी तक हमारे पास पीआईसीयू में 500 मरीज भर्ती हुए हैं लेकिन अभी तक उनमें से कोई भी मरीज जेई, एईएस का नहीं पाया गया है. भविष्य में तैयारियां ऐसी रहेंगी कि अगर मरीज आते हैं तो उनके पूरे इलाज की व्यवस्था की गई है, हमारे पास अच्छे चिकित्सक हैं. जिनसे उनका इलाज किया जाए, उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर करने की जरूरत ना पड़े.
डॉ. राजकुमार गुप्ता, मुख्य अधीक्षक, जिला चिकित्सालय
बच्चा पिछले 4 दिनों से बीमार था. सिद्धार्थनगर के डाक्टरों से इलाज कराने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ . हम सीधे जिला अस्पताल चले आए. यहां पर बच्चे को भर्ती किया गया और अभी बच्चा सही है, सारी दवाएं यहां पर उपलब्ध है.
सुनील, तीमारदार