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हाईवे पर मिले गोवंश के कई शव, प्रशासन बना मूकदर्शक

हमीरपुर जिले के हाइवे पर कई अन्ना गोवंश के शव मिले. बताया जा रहा है कि अस्थायी बाड़ों में सुविधाओं के आभाव में अन्ना जानवर भूख प्यास से मरने को मजबूर हैं.

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Published : Feb 6, 2019, 1:21 PM IST

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हमीरपुर: जिले में अस्थायी बाड़ों में बंद अन्ना जानवर भूख प्यास से मरने को मजबूर हैं. खाने-पीने का बंदोबस्त नहीं होने के कारण अन्ना गोवंश अस्थायी गौशालाओं में मर रहे हैं. हालात यह है कि जिले की गौशालाओं में मरने वाले गोवंश को यूं ही हाईवे किनारे फेंक दिया जाता है. जिससे हाईवे के किनारे गोवंश के कई शव मिले. इस पूरे मामले में जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.

गौ सेवा एवं गौ संरक्षण की वकालत करने वाली 'भगवा ब्रिगेड' की यूपी में सरकार बने लगभग 2 साल होने को हैं. लेकिन सरकार ने अन्ना गोवंश पर नियंत्रण के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. किसानों की तैयार फसल चट कर जाने वाली अन्ना गोवंश के प्रति जब किसानों ने आक्रोश जताया, तो योगी सरकार ने 10 जनवरी तक अन्ना गोवंश को आस्थायी बाड़ों में बंद करने का फरमान तो सुना दिया. लेकिन उनके खाने-पीने का बंदोबस्त अभी तक नहीं किया गया. जिसकी वजह से यह अन्ना गाय आस्थायी गौशालाओं में भूख प्यास से तड़प-तड़प कर मर रही हैं.

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हाईवे पर मिले गोवंश के कई शव.
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हालात इतने बदतर हो चले हैं कि जिले की गौशालाओं में मरने वाले गायों को यूं ही हाईवे किनारे फेंक दिया जाता है. जिससे हाईवे गौवंशों के शवों से पट गए हैं. जानकारी के अनुसार अस्थाई बाड़ों में गौवंशों के लिए खाने-पीने का बंदोबस्त नहीं किया गया. जिसकी वजह से यह अन्ना गाय आस्थायी गौशालाओं में भूख प्यास से मर रही हैं. हैरान कर देने वाली बात यह है कि जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. सीएम योगी ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए जिले में एक गौशाला, 5 आश्रय गृह व 7 आश्रय स्थल के निर्माण की मंजूरी दी थी. लेकिन हजारों की तादाद में घूमने वाली बेसहारा गायों के सहारे के लिए सीएम योगी की पहल नाकाफी साबित हुई.

किसानों की समस्याओं को देखते हुए सीएम योगी ने अन्ना गायों को आस्थायी बाड़ों में नियंत्रित करने के लिए 10 जनवरी तक की डेट लाइन दी थी. सीएम योगी के आदेश का पालन करते हुए जिला प्रशासन ने सभी ग्राम पंचायतों में गौशाला प्रबंधन कमेटी का गठन कर आस्थायी गौशाला बनवा दी. जिनमें अन्ना घूमने वाली बेसहारा गायों को बंद कर दिया गया. लोगों ने अपनी फसल बचाने के लिए एवं अन्ना गायों के भोजन पानी के प्रबंध के लिए खुलकर सहयोग भी किया. लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक उनके खाने-पीने का कोई प्रबंध नहीं किया गया है. जिस कारण हालात दिन पर दिन बदतर होते चले गए.

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जिले में कुल 196 आस्थायी गौशाला बनाई गई हैं. जिनमें सुमेरपुर और कुरारा विकासखंड स्थित गौशालाओं की हालत बेहद दयनीय है. इन गौशालाओं में अब तक सैकड़ों गाय भूख प्यास की वजह से मर गई हैं. लेकिन जिला प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं ग्रामीणो का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है. अन्ना गाय किसानों के लिए बड़ी समस्या हैं. वहीं जिम्मेदार अधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं.

हमीरपुर: जिले में अस्थायी बाड़ों में बंद अन्ना जानवर भूख प्यास से मरने को मजबूर हैं. खाने-पीने का बंदोबस्त नहीं होने के कारण अन्ना गोवंश अस्थायी गौशालाओं में मर रहे हैं. हालात यह है कि जिले की गौशालाओं में मरने वाले गोवंश को यूं ही हाईवे किनारे फेंक दिया जाता है. जिससे हाईवे के किनारे गोवंश के कई शव मिले. इस पूरे मामले में जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.

गौ सेवा एवं गौ संरक्षण की वकालत करने वाली 'भगवा ब्रिगेड' की यूपी में सरकार बने लगभग 2 साल होने को हैं. लेकिन सरकार ने अन्ना गोवंश पर नियंत्रण के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. किसानों की तैयार फसल चट कर जाने वाली अन्ना गोवंश के प्रति जब किसानों ने आक्रोश जताया, तो योगी सरकार ने 10 जनवरी तक अन्ना गोवंश को आस्थायी बाड़ों में बंद करने का फरमान तो सुना दिया. लेकिन उनके खाने-पीने का बंदोबस्त अभी तक नहीं किया गया. जिसकी वजह से यह अन्ना गाय आस्थायी गौशालाओं में भूख प्यास से तड़प-तड़प कर मर रही हैं.

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हाईवे पर मिले गोवंश के कई शव.
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हालात इतने बदतर हो चले हैं कि जिले की गौशालाओं में मरने वाले गायों को यूं ही हाईवे किनारे फेंक दिया जाता है. जिससे हाईवे गौवंशों के शवों से पट गए हैं. जानकारी के अनुसार अस्थाई बाड़ों में गौवंशों के लिए खाने-पीने का बंदोबस्त नहीं किया गया. जिसकी वजह से यह अन्ना गाय आस्थायी गौशालाओं में भूख प्यास से मर रही हैं. हैरान कर देने वाली बात यह है कि जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. सीएम योगी ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए जिले में एक गौशाला, 5 आश्रय गृह व 7 आश्रय स्थल के निर्माण की मंजूरी दी थी. लेकिन हजारों की तादाद में घूमने वाली बेसहारा गायों के सहारे के लिए सीएम योगी की पहल नाकाफी साबित हुई.

किसानों की समस्याओं को देखते हुए सीएम योगी ने अन्ना गायों को आस्थायी बाड़ों में नियंत्रित करने के लिए 10 जनवरी तक की डेट लाइन दी थी. सीएम योगी के आदेश का पालन करते हुए जिला प्रशासन ने सभी ग्राम पंचायतों में गौशाला प्रबंधन कमेटी का गठन कर आस्थायी गौशाला बनवा दी. जिनमें अन्ना घूमने वाली बेसहारा गायों को बंद कर दिया गया. लोगों ने अपनी फसल बचाने के लिए एवं अन्ना गायों के भोजन पानी के प्रबंध के लिए खुलकर सहयोग भी किया. लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक उनके खाने-पीने का कोई प्रबंध नहीं किया गया है. जिस कारण हालात दिन पर दिन बदतर होते चले गए.

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जिले में कुल 196 आस्थायी गौशाला बनाई गई हैं. जिनमें सुमेरपुर और कुरारा विकासखंड स्थित गौशालाओं की हालत बेहद दयनीय है. इन गौशालाओं में अब तक सैकड़ों गाय भूख प्यास की वजह से मर गई हैं. लेकिन जिला प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं ग्रामीणो का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है. अन्ना गाय किसानों के लिए बड़ी समस्या हैं. वहीं जिम्मेदार अधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं.

Intro:गौशालाओं में मर रहीं अन्ना गाय, हाईवे के किनारे शवों से पटे

हमीरपुर। गौ सेवा एवं गौ संरक्षण की वकालत करने वाली "भगवा ब्रिगेड" की यूपी में सरकार बने लगभग 2 साल होने को हैं लेकिन सरकार द्वारा अन्ना गायों पर नियंत्रण के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। किसानों की तैयार फसल चट कर जाने वाली अन्ना गायों के प्रति जब किसानों ने आक्रोश जताया तो योगी सरकार ने 10 जनवरी तक अन्ना गायों को आस्थायी बाड़ों में बंद करने का फरमान तो सुना दिया। लेकिन उनके खाने-पीने का बंदोबस्त अभी तक नहीं किया गया, जिसकी वजह से यह अन्ना गाय आस्थायी गौशालाओं में भूख प्यास से तड़प तड़प कर मर रही हैं और जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। हालात इतने बदतर हो चले हैं कि जिले की गौशालाओं में मरने वाले गायों को यूं ही हाईवे किनारे फेंक दिया जाता है जिससे हाईवे के किनारे गौ माता के शवों से पट गए हैं।


Body:सूबे की सत्ता संभालते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने अन्ना गायों को नियंत्रित करने के साथ साथ किसानों को राहत पहुंचाने के लिए जिले में एक गौशाला, 5 आश्रय गृह व 7 आश्रय स्थल के निर्माण की मंजूरी दी थी। लेकिन हजारों की तादाद में घूमने वाली बेसहारा गायों के सहारे के लिए सीएम योगी की पहल नाकाफी साबित हुई। वहीं दूसरी ओर अन्ना गायों के नियंत्रित ना होने के कारण किसान की परेशानी बढ़ती चली गई और किसान को अपनी फसल बचाने के लिए रात रात भर खेतों में सोने के लिए मजबूर होना पड़ा। अन्ना समस्या से नाराज किसानों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जिसके बाद सीएम योगी ने अन्ना गायों को आस्थायी बाड़ों में नियंत्रित करने के लिए 10 जनवरी तक की डेट लाइन दी थी। सीएम योगी के आदेश का पालन करते हुए जिला प्रशासन ने सभी ग्राम पंचायतों में गौशाला प्रबंधन कमेटी का गठन कर आस्थायी गौशाला बनवा दी, जिनमें अन्ना घूमने वाली बेसहारा गायों को बंद कर दिया गया। लोगों ने अपनी फसल बचाने के लिए एवं अन्ना गायों के भोजन पानी के प्रबंध के लिए खुलकर सहयोग भी किया लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक उनके खाने-पीने का कोई प्रबंध नहीं किया गया है जिस कारण हालात दिन पर दिन बदतर होते चले गए।


Conclusion:जिले में कुल 196 आस्थायी गौशाला में बनाई गई हैं। जिनमें सुमेरपुर और कुरारा विकासखंड स्थित गौशालाओं की हालत बेहद दयनीय है। इन गौशालाओं में अब तक सैकड़ों गाय भूख प्यास की वजह से तड़प तड़प कर मर गई हैं। हालात इतने बदतर हो चले हैं कि हाईवे के किनारे गायों के शवों से पटे पड़े हैं। लेकिन जिला प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागने का नाम नहीं ले रहा है। गांव के लोग कहते हैं कि जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। अन्ना गाय किसानों के लिए बड़ी समस्या हैं। अन्ना गाय खुला घूमती हैं तो उनकी फसल चट कर जाती हैं और अगर उन्हें बाड़ों में बंद किया जाता है तो भूख प्यास से मर रही हैं जिससे उन्हें पाप लगेगा। इस मसले पर जिला जब जिला प्रशासन के अधिकारियों से सवाल किया गया तो उन्होंने मामला गंभीर होने की बात तो स्वीकारी लेकिन कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

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नोट : पहली बाइट कुसमरा गांव के प्रधान पंकज श्रीवास की है वह दूसरी बाइट कुतुबपुर गांव निवासी जयचंद की है।
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