अंबेडकर नगर: मोदी सरकार ने साल 2016 में फसल से संबधित बीमा योजनाओं को बंद कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू किया तो उस समय किसानों की तकदीर बदलने का दावा किया गया था. लेकिन समय के साथ किसानों की तकदीर तो नहीं बदली लेकिन बीमा कम्पनियों की बुलन्दी जरूर सातवें आसमान पर पहुंच गयी.
फसलों से जुड़े जोखिम की वजह से किसानों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए वर्ष 2016 में सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू किया था. इसके तहत पुरानी बीमा योजना को यह कह कर बन्द कर दिया कि इससे किसानों को नुकसान हो रहा है. नई योजना के तहत जिलेवार बीमित फसलों की प्राथमिकता निर्धारित की गई. अंबेडकर नगर जिले में रबी की फसल में गेहूं और खरीफ के फसल में धान के फसल का बीमा हो रहा है. इसके लिए बीमा कम्पनी रिलायंस जनरल इंश्योरेंस को नामित किया है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से परेशान किसान -
धान की फसल के लिए किसान से उसके हिस्से का प्रीमियम प्रति हेक्टेयर 1145 रुपये और गेहूं के लिए प्रति हेक्टेयर 801.66 पैसा बीमा कम्पनी ले रही है. सरकार के मानकों के अनुरूप फसल के पूर्ण नुकसान पर धान के लिए प्रति हेक्टेयर 57264 और गेहूं के लिए 53444 रुपये का भुगतान होना चाहिए. यही नहीं बीमा कम्पनियां केसीसी होते ही किसानों के खाते से बीमा की राशि काट लेते हैं.
किसानों ने कहा इंश्योरेंस के बाद भी नहीं मिल रहा लाभ -
कागजी आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में 41हजार 703 किसानों के खरीफ की फसल का बीमा हुआ था. इसके लिए बीमा कम्पनी ने 3 करोड़ 19 लाख 63 हजार 258 रुपये प्रीमियम की वसूली भी की थी. जबकि रबी के फसल के लिए 43 हजार 197 किसानों के फसल का बीमा हुआ था. जिसका बीमा कम्पनी ने 2 करोड़ 75 लाख 4 हजार 971 रुपये का प्रीमियम वसूला. इसके बाद जब क्लेम देने की बारी आई तो पूरे जिले में महज 1054 किसानों का चयन किया गया. जिन्हें 18 लाख 44 हजार 736 रुपये मुआवजा देने का प्रस्ताव है.
किसानों का कहना है कि सरकार किसानों से बीमा के लिए पैसा तो लेती है, लेकिन नुकसान होने पर मिलता नहीं मिलता. हर बीमे पर कोई घटना न होने पर कम से कम प्रीमियम का जमा पैसा वापस मिलता, लेकिन इस बीमा में कुछ भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में सवाल तो उठेगा है कि यह बीमा योजना किसानों के लिए बनी है या फिर सरकार ने बीमा कम्पनी को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई है.