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परिवार को टूटने से बचाने की मुहिम में लगा बाराबंकी का परिवार परामर्श केंद्र

परिवार परामर्श केंद्र के जरिए दो परिवारों के बीच आई मतभेद की खाई को सुलह समझौता से पाट दिया गया. कुल 56 मामलों में परामर्शदाताओं ने कांउसिलिग कर दो प्रकरण में सुलह समझौता कराया.

परिवार परामर्श केंद्र में दो परिवार को जीवनदान
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Published : Mar 18, 2019, 8:27 AM IST

बाराबंकी :पति -पत्नी के बीच मामूली विवाद कभी-कभी परिवार टूटने की वजह बन जाता है. लेकिन अगर दोनों पक्षों को बैठाकर उनके बीच के झगड़ों को समझा बुझाकर समाप्त करा दिया जाए तो यही परिवार आगे खुशहाल जिंदगी बिताते हैं. कुछ इसी तर्ज पर बाराबंकी का परिवार परामर्श केंद्र अपनी भूमिका अदा कर रहा है. काउंसलिंग के जरिए परिवार परामर्श केंद्र के सदस्य अब तक सैकड़ों परिवारों को टूटने से बचा चुके हैं. हर रविवार को आयोजित होने वाले इस आयोजन की सार्थकता धीरे धीरे परवान चढ़ रही है.

पुलिस अधीक्षक डॉ. सतीश कुमार के निर्देशन और उनकी धर्मपत्नी कृति सिंह निदेशक सर्व सुरक्षा फाउंडेशन की अध्यक्षता में रविवार को पुलिस लाइन सभागार में परिवार परामर्श केंद्र का आयोजन किया गया. जिसमें कुल 65 मामलों में दोनों पक्षों को काउंसिलिग के लिए बुलाया गया था. जिसमें से 56 मामलों में ही दोनों पक्ष के लोग उपस्थित हुए.परिवार परामर्श केंद्र के परामर्शदाताओं ने काउंसिलिग कर दो प्रकरण में सुलह समझौता करा पाने में सफलता हासिल की. जिसमें बृजेश कुमारी पत्नी गुरुदीन निवासी खिरौली मुस्काबाद थाना सफदरगंज और पिकी कश्यप पत्नी सुरेंद्र कुमार निवासी मथुरा नगर थाना दरियाबाद के मामले शामिल हैं.

परिवार परामर्श केंद्र में दो परिवार को जीवनदान

पुलिस लाइन सभागार में जमा ये भीड़ किसी सेमिनार या गोष्ठी में भाग लेने नहीं आई है. बल्कि ये भीड़ अपने परिवार के झगड़े से पीड़ित है जो किसी तरह झगड़े का निपटारा कराने परिवार परामर्श केंद्र आई है. पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में चलने वाला ये है परिवार परामर्श केंद्र . यहां परिवार बसाए जाते हैं. जब कभी पति पत्नी के बीच कोई विवाद होता है और विवाद हद दर्जे तक पहुंच जाता है. मामला नहीं सुलझने पर पीड़ित पक्ष पुलिस कप्तान से कार्यवाई के लिए गुहार लगाता है जिनमें ज्यादातर पीड़ित पक्ष महिलाएं होती है. पुलिस कप्तान द्वारा सीधे-सीधे मुकदमा लिखने की बजाए प्रयास किया जाता है कि इनका परिवार न टूटे लिहाजा इनकी एप्लीकेशन मार्क कर परामर्श केंद्र भेज दी जाती है. परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी इस्पेक्टर शमा नाज द्वारा उस एप्लीकेशन की स्टडी करने के बाद दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया जाता हैंफिर इन्हें किसी रविवार को बुलाया जाता है.

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परिवार परामर्श केंद्र में दो परिवार को जीवनदान

परिवार परामर्श केंद्र में 15 सदस्य हैं जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों से होते हैं. कोई अधिवक्ता है, तो कोई पत्रकार तो कोई समाजसेवी. दोनों पक्षों को बुलाकर परामर्श केंद्र के सदस्य इनकी काउंसलिंग करते हैं. उन्हें समझाते हैं, पति पत्नी के बीच चल रहे मनमुटाव को समाप्त करने का प्रयास किया जाता है. अगर एक रविवार को बात नहीं बनती तो उन्हें दूसरे रविवार को बुलाया जाता है. इनकी तब तक काउंसिलिंग की जाती है जब तक दोनों पक्ष खुशी-खुशी साथ रहने को राजी नहीं हो जाते. समझाने पर अगर दोनों पक्ष राजी हो जाते हैं तो जरूरी लिखापढ़ी कर उन्हें उनके घर भेज दिया जाता है. अगर किसी कारण से समझौता नहीं हो पाता तो पीड़ित पक्ष की ओर से विपक्षी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाता है. परिवार परामर्श केंद्र प्रभारी ने बताया कि उनकी प्राथमिकता रहती है कि परिवार न टूटे. अब तक इन सदस्यों ने सैकड़ों परिवारों को टूटने से बचाया है.

बाराबंकी :पति -पत्नी के बीच मामूली विवाद कभी-कभी परिवार टूटने की वजह बन जाता है. लेकिन अगर दोनों पक्षों को बैठाकर उनके बीच के झगड़ों को समझा बुझाकर समाप्त करा दिया जाए तो यही परिवार आगे खुशहाल जिंदगी बिताते हैं. कुछ इसी तर्ज पर बाराबंकी का परिवार परामर्श केंद्र अपनी भूमिका अदा कर रहा है. काउंसलिंग के जरिए परिवार परामर्श केंद्र के सदस्य अब तक सैकड़ों परिवारों को टूटने से बचा चुके हैं. हर रविवार को आयोजित होने वाले इस आयोजन की सार्थकता धीरे धीरे परवान चढ़ रही है.

पुलिस अधीक्षक डॉ. सतीश कुमार के निर्देशन और उनकी धर्मपत्नी कृति सिंह निदेशक सर्व सुरक्षा फाउंडेशन की अध्यक्षता में रविवार को पुलिस लाइन सभागार में परिवार परामर्श केंद्र का आयोजन किया गया. जिसमें कुल 65 मामलों में दोनों पक्षों को काउंसिलिग के लिए बुलाया गया था. जिसमें से 56 मामलों में ही दोनों पक्ष के लोग उपस्थित हुए.परिवार परामर्श केंद्र के परामर्शदाताओं ने काउंसिलिग कर दो प्रकरण में सुलह समझौता करा पाने में सफलता हासिल की. जिसमें बृजेश कुमारी पत्नी गुरुदीन निवासी खिरौली मुस्काबाद थाना सफदरगंज और पिकी कश्यप पत्नी सुरेंद्र कुमार निवासी मथुरा नगर थाना दरियाबाद के मामले शामिल हैं.

परिवार परामर्श केंद्र में दो परिवार को जीवनदान

पुलिस लाइन सभागार में जमा ये भीड़ किसी सेमिनार या गोष्ठी में भाग लेने नहीं आई है. बल्कि ये भीड़ अपने परिवार के झगड़े से पीड़ित है जो किसी तरह झगड़े का निपटारा कराने परिवार परामर्श केंद्र आई है. पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में चलने वाला ये है परिवार परामर्श केंद्र . यहां परिवार बसाए जाते हैं. जब कभी पति पत्नी के बीच कोई विवाद होता है और विवाद हद दर्जे तक पहुंच जाता है. मामला नहीं सुलझने पर पीड़ित पक्ष पुलिस कप्तान से कार्यवाई के लिए गुहार लगाता है जिनमें ज्यादातर पीड़ित पक्ष महिलाएं होती है. पुलिस कप्तान द्वारा सीधे-सीधे मुकदमा लिखने की बजाए प्रयास किया जाता है कि इनका परिवार न टूटे लिहाजा इनकी एप्लीकेशन मार्क कर परामर्श केंद्र भेज दी जाती है. परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी इस्पेक्टर शमा नाज द्वारा उस एप्लीकेशन की स्टडी करने के बाद दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया जाता हैंफिर इन्हें किसी रविवार को बुलाया जाता है.

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परिवार परामर्श केंद्र में दो परिवार को जीवनदान

परिवार परामर्श केंद्र में 15 सदस्य हैं जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों से होते हैं. कोई अधिवक्ता है, तो कोई पत्रकार तो कोई समाजसेवी. दोनों पक्षों को बुलाकर परामर्श केंद्र के सदस्य इनकी काउंसलिंग करते हैं. उन्हें समझाते हैं, पति पत्नी के बीच चल रहे मनमुटाव को समाप्त करने का प्रयास किया जाता है. अगर एक रविवार को बात नहीं बनती तो उन्हें दूसरे रविवार को बुलाया जाता है. इनकी तब तक काउंसिलिंग की जाती है जब तक दोनों पक्ष खुशी-खुशी साथ रहने को राजी नहीं हो जाते. समझाने पर अगर दोनों पक्ष राजी हो जाते हैं तो जरूरी लिखापढ़ी कर उन्हें उनके घर भेज दिया जाता है. अगर किसी कारण से समझौता नहीं हो पाता तो पीड़ित पक्ष की ओर से विपक्षी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाता है. परिवार परामर्श केंद्र प्रभारी ने बताया कि उनकी प्राथमिकता रहती है कि परिवार न टूटे. अब तक इन सदस्यों ने सैकड़ों परिवारों को टूटने से बचाया है.

Intro:बाराबंकी ,17 मार्च । पति -पत्नी के बीच मामूली विवाद कभी कभी परिवार टूटने की वजह बन जाता है लेकिन अगर दोनों पक्षों को बैठाकर उनके बीच के झगड़ों को समझाबुझाकर समाप्त करा दिया जाय तो यही परिवार आगे खुशहाल जिंदगी बिताते हैं । कुछ इसी तर्ज पर बाराबंकी का परिवार परामर्श केंद्र अपनी भूमिका अदा कर रहा है । काउंसलिंग के जरिए परिवार परामर्श केंद्र के सदस्य अब तक सैकड़ों परिवारों को टूटने से बचा चुके हैं । हर रविवार को आयोजित होने वाले इस आयोजन की सार्थकता धीरे धीरे परवान चढ़ रही है ।


Body:वीओ- पुलिस लाइन सभागार में जमा ये भीड़ किसी सेमिनार या गोष्ठी में भाग लेने नहीं आई है । बल्कि ये भीड़ अपने परिवार के झगड़े से पीड़ित है जो किसी तरह झगड़े का निपटारा कराने परिवार परामर्श केंद्र आई है । पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में चलने वाला ये है परिवार परामर्श केंद्र । यहां परिवार बसाए जाते हैं । जब कभी पति पत्नी के बीच कोई विवाद होता है और विवाद हद दर्जे तक पहुंच जाता है । मामला नही सुलझने पर पीड़ित पक्ष पुलिस कप्तान से कार्यवाई के लिए गुहार लगाता है । ज्यादातर पीड़ित पक्ष महिला होती है । पुलिस कप्तान द्वारा सीधे-सीधे मुकदमा लिखने की बजाए प्रयास किया जाता है कि इनका परिवार न टूटे लिहाजा इनकी एप्लीकेशन मार्क कर परामर्श केंद्र भेज दी जाती है । परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी इस्पेक्टर शमा नाज द्वारा उस एप्लीकेशन की स्टडी करने के बाद दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया जाता हैं । फिर इन्हें किसी रविवार को बुलाया जाता है । परिवार परामर्श केंद्र में 15 सदस्य हैं जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों से होते हैं । कोई अधिवक्ता है, तो कोई पत्रकार तो कोई समाजसेवी । दोनों पक्षो को बुलाकर परामर्श केंद्र के सदस्य इनकी काउंसलिंग करते हैं । उन्हें समझाते हैं, पति पत्नी के बीच चल रहे मनमुटाव को समाप्त करने का प्रयास किया जाता है । अगर एक रविवार को बात नही बनती तो उन्हें दूसरे रविवार को बुलाया जाता है । इनकी तब तक काउंसिलिंग की जाती है जब तक दोनों पक्ष खुशी खुशी साथ रहने को राजी नही हो जाते । समझाने पर अगर दोनों पक्ष राजी हो जाते हैं तो जरूरी लिखापढ़ी कर उन्हें उनके घर भेज दिया जाता है अगर किसी कारण से समझौता नहीं हो पाता तो पीड़ित पक्ष की ओर से विपक्षी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाता है । परिवार परामर्श केंद्र प्रभारी ने बताया कि उनकी प्राथमिकता रहती है कि परिवार न टूटे । अब तक इन सदस्यों ने सैकड़ों परिवारों को टूटने से बचाया है ।

बाईट- शमा नाज , प्रभारी परिवार परामर्श केंद्र


Conclusion:रिपोर्ट- अलीम शेख बाराबंकी
9839421515
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