गाजीपुर: बहुचर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड में बुधवार को दिल्ली की एक कोर्ट ने मुख्तार अंसारी और गाजीपुर के मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी समेत आठ लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. वहीं इस वाद में वकील रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रामाधार राय से ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इस मामले में जो अहम गवाह थे, उन्होंने अपनी गवाही पूरी नहीं की जिससे केस हल्का हो गया और ये लोग छूट गए.
मामले में अहम गवाह रहे शशिकांत राय और मनोज गौड़
वकील रामाधार ने कहा कि ये दोनों गवाह पूरे केस का रुख बदलने का माद्दा रखते थे. शशिकांत राय वारदात के बाद गाड़ी में ही घायल पड़े हुए थे. उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. बाद में जिंदा बचे मनोज गौड़ जो वारदात के वक्त खेत में काम कर रहा था. उसकी भी हत्या संदिग्ध परिस्थितियों में हो जाने से गवाही नहीं हुई. जिसके चलते इस केस में अंसारी बंधुओं को काफी फायदा पहुंचा.
फैजाबाद जेल में माफिया डॉन अभय सिंह की कॉल रिकॉर्डिंग थी अहम कड़ी
कॉल रिकॉर्डिंग इस पूरे केस का रुख बदलने का माद्दा रखती थी. इस कॉल रिकॉर्डिंग को शासन ने उपलब्ध कराया था. रिकॉर्डिंग में आरोपी मुख्तार अंसारी द्वारा पूरे घटनाक्रम का सबूत मांगा जा रहा था. कॉल पर मौजूद अभय सिंह ने कृष्णानंद राय की चोटी काटकर सबूत स्वरूप रखने की बात कही थी. इस हत्याकांड के बाद विधायक कृष्णानंद राय की चुटिया यानी शिखा को वारदात को अंजाम देने वालों ने काट लिया था. कॉल रिकॉर्डिंग की जांच के लिए तत्कालीन वकील रामाधार राय ने जांच के लिए न्यायालय में अर्जी दी थी लेकिन कोर्ट ने अर्जी को खारिज कर दिया था.
वकील रामाधार ने कहा कि इन दो अहम कड़ियों के इस केस से हटने की वजह से कृष्णानंद राय हत्याकांड का मुकदमा काफी हल्का हो गया. वहीं कुछ अन्य गवाहों ने भी बाहुबली से जुड़ा मामला होने के कारण पूरे मामले से किनारा कर लिया या जिला छोड़कर चले गए. जिसका लाभ आरोपियों को मिला और केस कमजोर हो गया. सभी आरोपी बरी हो गए. रामाधार राय का दावा है कि अगर यह दो अहम कड़ियां होतीं तो सभी आरोपियों को जरूर सजा होती.