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बलरामपुरः कभी अटल जी इस सीट से लड़े थे लोकसभा का चुनाव, पूर्व विधायक ने साझा की यादें - बलरामपुर लोकसभा सीट 2019

जिले की सतरंगी लोकसभा और श्रावस्ती लोकसभा सीट के अंतर्गत छठे में चरण की वोटिंग की जा चुकी है. इन्हीं सीट के इतिहास को लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि जब वो पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ चुनाव प्रचार करने जीप से जा रहे थे. तभी जीप कीचड़ में फंस गई और कुछ लोगों की मदद से जीत को कीचड़ से निकाला गया.

पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद की जुबानी: जब अटल जी की जीप कीचड़ में फंस गयी
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Published : May 13, 2019, 11:16 PM IST

बलरामपुर : श्रावस्ती लोकसभा सीट के अंतर्गत छठे में चरण की वोटिंग की जा चुकी है. इस दौरान जनता ने बड़ा चुनावी प्रबंधन देखा और संसाधनों के इस्तेमाल को देखा. एक तरफ जहां सोशल मीडिया के वारियर्स लड़ रहे थे. वहीं दूसरी तरफ जमीन पर पार्टी वर्कर्स और उनके वॉलिंटियर्स लड़ रहे थे लेकिन अगर बलरामपुर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो इस लोकसभा सीट से दूसरी बार का चुनाव पूर्व पीएम पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने लड़ा था. वहीं उस दौर की चुनावीं बातों की यादों को लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने तुलसीपुर सुरक्षित सीट से दो बार विधायक रहे सुखदेव प्रसाद से तमाम बातें जानने की कोशिश की.

संवाददाता ने की पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद से बातचीत.

जानिए क्या कहा पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद ने

चुनावी प्रबंधन पर बात करते हुए सुखदेव प्रसाद कहते हैं कि उस दौर में इस दौर जैसी बातें नहीं थी.उस दौर में इस तरह का चुनावी प्रबंधन नहीं होता था. उन्होंने कहा कि मैं तुलसीपुर सुरक्षित सीट से दो बार विधायक रहा. मैंने हरैया सतघरवा, तुलसीपुर और लखनऊ पीडब्ल्यू हैडक्वाटर्स में लोक निर्माण विभाग की नौकरी की. फिर एक सज्जन मिले जो मुझे राजनीति में लेकर आए.जबकि मुझे राजनीति का क, ख, ग, भी नहीं पता था.

उन्होंने साल 1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनावों की बात करते हुए वह कहते हैं कि लखनऊ में जन संघ की बैठक चल रही थी. जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक-दूसरे से सभी का परिचय करवा रहे थे.अटल जी उन्हीं के बगल में बैठे थे.जब सभी का परिचय हो गया तो अटलजी से परिचय कराते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि यह पंडित अटल बिहारी वाजपेई ग्वालियर के रहने वाले हैं और बहुत ही अच्छे वक्ता हैं. कोई भी आए और इन्हें अपने यहां से चुनाव लड़वाए. तब एक सज्जन के कहने के बाद हमारे यहां से पंडित जी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया था. इस दौरान बहुत से पुराने नेताओं ने उनकी मदद की थी.

वहीं उन्होंने साल 1957 के चुनावी दौरे को याद करते हुए वह कहते हैं कि हम लोग अटल जी के साथ हरैया सतघरवा ब्लॉक में प्रचार के लिए गए हुए थे. वहां पर अटल जी जिस जीप में जा रहे थे हम सभी भी उसी जीप में सवार थे, केवल एक ही जीप हुआ करती थी. उन्होंने कहा कि उस दौर में सड़कों की नितांत कमी थी, बारिश हुई थी. इसलिए कच्चे रास्तों पर कीचड़ पसर गया था.अटल जी की जीप कौवापुर ब्लॉक के पास ही कीचड़ में फंस गई.अटल जी ने कहा सुखदेव प्रसाद जी अब क्या होगा. मैंने झट से कुछ लोगों की व्यवस्था की और उन लोगों ने जीप कीचड़ से निकाली. तब अटल जी से मैंने कहा कि अटल जी आपने देखा कितने लोग आपके चाहने वाले हैं.अटल जी हंस पड़े.

बलरामपुर : श्रावस्ती लोकसभा सीट के अंतर्गत छठे में चरण की वोटिंग की जा चुकी है. इस दौरान जनता ने बड़ा चुनावी प्रबंधन देखा और संसाधनों के इस्तेमाल को देखा. एक तरफ जहां सोशल मीडिया के वारियर्स लड़ रहे थे. वहीं दूसरी तरफ जमीन पर पार्टी वर्कर्स और उनके वॉलिंटियर्स लड़ रहे थे लेकिन अगर बलरामपुर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो इस लोकसभा सीट से दूसरी बार का चुनाव पूर्व पीएम पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने लड़ा था. वहीं उस दौर की चुनावीं बातों की यादों को लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने तुलसीपुर सुरक्षित सीट से दो बार विधायक रहे सुखदेव प्रसाद से तमाम बातें जानने की कोशिश की.

संवाददाता ने की पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद से बातचीत.

जानिए क्या कहा पूर्व विधायक सुखदेव प्रसाद ने

चुनावी प्रबंधन पर बात करते हुए सुखदेव प्रसाद कहते हैं कि उस दौर में इस दौर जैसी बातें नहीं थी.उस दौर में इस तरह का चुनावी प्रबंधन नहीं होता था. उन्होंने कहा कि मैं तुलसीपुर सुरक्षित सीट से दो बार विधायक रहा. मैंने हरैया सतघरवा, तुलसीपुर और लखनऊ पीडब्ल्यू हैडक्वाटर्स में लोक निर्माण विभाग की नौकरी की. फिर एक सज्जन मिले जो मुझे राजनीति में लेकर आए.जबकि मुझे राजनीति का क, ख, ग, भी नहीं पता था.

उन्होंने साल 1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनावों की बात करते हुए वह कहते हैं कि लखनऊ में जन संघ की बैठक चल रही थी. जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक-दूसरे से सभी का परिचय करवा रहे थे.अटल जी उन्हीं के बगल में बैठे थे.जब सभी का परिचय हो गया तो अटलजी से परिचय कराते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि यह पंडित अटल बिहारी वाजपेई ग्वालियर के रहने वाले हैं और बहुत ही अच्छे वक्ता हैं. कोई भी आए और इन्हें अपने यहां से चुनाव लड़वाए. तब एक सज्जन के कहने के बाद हमारे यहां से पंडित जी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया था. इस दौरान बहुत से पुराने नेताओं ने उनकी मदद की थी.

वहीं उन्होंने साल 1957 के चुनावी दौरे को याद करते हुए वह कहते हैं कि हम लोग अटल जी के साथ हरैया सतघरवा ब्लॉक में प्रचार के लिए गए हुए थे. वहां पर अटल जी जिस जीप में जा रहे थे हम सभी भी उसी जीप में सवार थे, केवल एक ही जीप हुआ करती थी. उन्होंने कहा कि उस दौर में सड़कों की नितांत कमी थी, बारिश हुई थी. इसलिए कच्चे रास्तों पर कीचड़ पसर गया था.अटल जी की जीप कौवापुर ब्लॉक के पास ही कीचड़ में फंस गई.अटल जी ने कहा सुखदेव प्रसाद जी अब क्या होगा. मैंने झट से कुछ लोगों की व्यवस्था की और उन लोगों ने जीप कीचड़ से निकाली. तब अटल जी से मैंने कहा कि अटल जी आपने देखा कितने लोग आपके चाहने वाले हैं.अटल जी हंस पड़े.

Intro:सतरंगी लोकसभा के अंतर्गत छठ में चरण की वोटिंग की जा चुकी है। श्रावस्ती लोकसभा सीट में भी छठ में चरण के अंतर्गत यहां पर भी वोटिंग हो चुकी है। इस दौरान जनता ने बड़ा चुनावी प्रबंधन देखा और संसाधनों के इस्तेमाल को देखा। एक तरफ जहां सोशल मीडिया के वारियर्स लड़ रहे थे। वही जमीन पर पार्टी वर्कर्स और उनके वॉलिंटियर्स लड़ रहे थे। लेकिन बलरामपुर लोकसभा सीट से दूसरी लोकसभा का चुनाव पंडित अटल बिहारी वाजपेई ने लड़ा था। उस दौर के चुनावी बातों को याद करते हुए तुलसीपुर सुरक्षित सीट से दो बार विधायक रहे सुखदेव प्रसाद तमाम चीजें बताते हैं।


Body:चुनावी प्रबंधन पर बात करते हुए सुखदेव प्रसाद कहते हैं कि उस दौर में इस दौर जैसी बातें नहीं थी। उस दौर में इस तरह का चुनावी प्रबंधन नहीं होता था। वह कहते हैं कि मैं तुलसीपुर सुरक्षित सीट से दो बार विधायक रहा। मैंने हरैया सतघरवा, तुलसीपुर और लखनऊ पीडब्ल्यू हैडक्वाटर्स में लोक निर्माण विभाग की नौकरी करता था। एक सज्जन मिले जो मुझे राजनीति में लेकर आए। जबकि मुझे राजनीति का क, ख, ग, घ भी नहीं पता था।
साल 1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनावों की बात करते हुए, वह कहते हैं कि लखनऊ में जन संघ की बैठक चल रही थी। जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक दूसरे से सभी का परिचय करवा रहे थे। अटल जी उन्हीं के बगल में बैठे थे। जब सभी का परिचय हो गया तो अटलजी से परिचय कराते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि यह पंडित अटल बिहारी वाजपेई ग्वालियर के रहने वाले हैं और बहुत ही अच्छे वक्ता हैं। कोई भी आए और इन्हें अपने यहां से चुनाव लड़ आए। तब एक सज्जन के कहने के बाद हमारे यहां से पंडित जी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया था। इस दौरान बहुत से पुराने नेताओं ने उनकी मदद की थी।
साल 1957 के चुनावी दौरे को याद करते हुए वह कहते हैं कि हम लोग अटल जी के साथ हरैया सतघरवा ब्लॉक में प्रचार के लिए गए हुए थे। वहां पर अटल जी जिस जीप में जा रहे थे। हम सभी भी उसी जीप में सवार थे, केवल एक ही जीप हुआ करती थी। वह कहते हैं कि उस दौर में सड़कों की नितांत कमी थी बारिश हुई थी। इसलिए कच्चे रास्तों पर कीचड़ पसर गया था। अटल जी की जीप कौवापुर ब्लॉक के पास ही कीचड़ में फंस गई। अटल जी ने कहा सुदेव लव प्रसाद जी अब क्या होगा। मैंने झट से कुछ लोगों का व्यवस्था किया और उनकी जीप निकल गई। अटल जी से मैंने कहा कि अटल जी आपने देखा कितने लोग आपके चाहने वाले हैं। अटल जी हंस पड़े।


Conclusion:सुखदेव प्रसाद उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि मैंने जब तुलसीपुर सुरक्षित सीट से साल 1962 और 67 में चुनाव लड़ा था, तब चुनाव बेहद ही सरल हुआ करता था। इतना पैसा खर्च नहीं होता था। ना ही इतने लोग लगा करते थे। अब चुनाव बहुत कठिन हो चुका है। अब पैसे की बर्बादी है। गाड़ियां, लोग, सुविधाएं फिर भ8 ईमानदारी की कमी। वह कहते हैं कि चुनावों को सीधे-सहाने ढंग से लड़ा जाना चाहिए। ना कि इस तरह से महिमामंडित करके।
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