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बस्ती: दो दिन तक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में पड़ा रहा एक व्यक्ति का शव - श्रमिक का शव

रेलवे की लापरवाही के चलते बस्ती निवासी एक मजदूर का शव दो दिनों तक श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन में घूमता रहा. मामले की जानकारी होने के बाद झांसी में जीआरपी ने शव को ट्रेन से उतरवाया.

 Negligence of railway administration.
मृतक के परिजन.
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Published : May 30, 2020, 2:49 AM IST

बस्तीः कोरोना काल में एक के एक बाद रेलवे की कई बड़ी लापरवाही सामने आई है. ताजा मामला बस्ती के रहने वाले एक श्रमिक की मौत से जुड़ा हुआ है. बताया जा श्रमिक की मौत के बाद भी उसका शव दो दिनों तक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में यहां से वहां और वहां से यहां घूमता रहा. इस दौरान ट्रेन कई स्टेशनों से होकर गुजरी लेकिन किसी रेलवे कर्मचारी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

दो दिनों तक ट्रेन में पड़ा रहा शव
जिले के गौर थाना क्षेत्र के बेलवरिया जंगल गांव निवासी मोहन लाल शर्मा महाराष्ट्र में एक प्राइवेट कंपनी में ड्राइवर का काम करता था. लॉकडाउन के चलते अन्य मजदूरों की तरह वह भी अपने गांव के लिए निकल पड़ा और 22 मई को वह झांसी से एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुआ. इस ट्रेन को 24 मई को गोरखपुर स्टेशन पर पहुंचना था. ट्रेन पहुंची तो जरूर, लेकिन तब तक मोहन लाल शर्मा की मौत हो चुकी थी.

झांसी में सैनिटाइजेशन के दौरान मिला शव
गोरखपुर रेलवे स्टेशन के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी ने ट्रेन की चेकिंग नहीं की और यहां से दोबारा मोहन लाल शर्मा का शव झांसी पहुंच गया. इस तरह दो दिन तक मोहन लाल शर्मा का शव श्रमिक स्पेशल ट्रेन में घूमता रहा. झांसी पहुंचने पर जब रेलवे कर्मचारियों ने ट्रेन को सैनिटाइज करने की प्रक्रिया शुरू की तब उनकी नजर एक बोगी के टॉयलेट में पड़े मोहन लाल के शव पर पड़ी.

जिसके बाद रेलवे पुलिस ने मोहन लाल शर्मा के बैग से मिले आधार कार्ड पर शव की शिनाख्त की और उसके परिवार के लोगों को तत्काल इस मामले की सूचना दी गई. झांसी जिला प्रशासन ने कोरोना जांच के लिए मोहन लाल शर्मा के शव की सैंपल कराई है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उसकी मौत कोरोना के संक्रमण से हुई है या किसी अन्य वजह से.

बस्तीः कोरोना काल में एक के एक बाद रेलवे की कई बड़ी लापरवाही सामने आई है. ताजा मामला बस्ती के रहने वाले एक श्रमिक की मौत से जुड़ा हुआ है. बताया जा श्रमिक की मौत के बाद भी उसका शव दो दिनों तक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में यहां से वहां और वहां से यहां घूमता रहा. इस दौरान ट्रेन कई स्टेशनों से होकर गुजरी लेकिन किसी रेलवे कर्मचारी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

दो दिनों तक ट्रेन में पड़ा रहा शव
जिले के गौर थाना क्षेत्र के बेलवरिया जंगल गांव निवासी मोहन लाल शर्मा महाराष्ट्र में एक प्राइवेट कंपनी में ड्राइवर का काम करता था. लॉकडाउन के चलते अन्य मजदूरों की तरह वह भी अपने गांव के लिए निकल पड़ा और 22 मई को वह झांसी से एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुआ. इस ट्रेन को 24 मई को गोरखपुर स्टेशन पर पहुंचना था. ट्रेन पहुंची तो जरूर, लेकिन तब तक मोहन लाल शर्मा की मौत हो चुकी थी.

झांसी में सैनिटाइजेशन के दौरान मिला शव
गोरखपुर रेलवे स्टेशन के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी ने ट्रेन की चेकिंग नहीं की और यहां से दोबारा मोहन लाल शर्मा का शव झांसी पहुंच गया. इस तरह दो दिन तक मोहन लाल शर्मा का शव श्रमिक स्पेशल ट्रेन में घूमता रहा. झांसी पहुंचने पर जब रेलवे कर्मचारियों ने ट्रेन को सैनिटाइज करने की प्रक्रिया शुरू की तब उनकी नजर एक बोगी के टॉयलेट में पड़े मोहन लाल के शव पर पड़ी.

जिसके बाद रेलवे पुलिस ने मोहन लाल शर्मा के बैग से मिले आधार कार्ड पर शव की शिनाख्त की और उसके परिवार के लोगों को तत्काल इस मामले की सूचना दी गई. झांसी जिला प्रशासन ने कोरोना जांच के लिए मोहन लाल शर्मा के शव की सैंपल कराई है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उसकी मौत कोरोना के संक्रमण से हुई है या किसी अन्य वजह से.

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