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बलरामपुर: जिला अस्पताल में शुरू हुई कोरोना जांच

यूपी के बलरामपुर जिले में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच शुरू हो गई है. संयुक्त जिला चिकित्सालय की पैथोलॉजी में लगी विशेष मशीन के द्वारा 1 घंटे में दो कोरोना के सैंपल टेस्ट किये जा रहे हैं. इस सेवा के शुरू होने से स्वास्थ्य कर्मियों और मरीजों को बड़ी राहत मिली है.

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जिला अस्पताल में शुरू हुई कोरोना जांच
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Published : Jun 10, 2020, 7:04 PM IST

बलरामपुर: कोरोना के तेजी से बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य महकमे ने विशेष पहल की है. इसके तहत अब संयुक्त जिला अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों की अस्पताल की पैथोलॉजी में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच की जा रही है. प्राथमिक स्तर पर होने वाली जांच का लाभ अस्पताल में ऑपरेशन कराने वाले मरीज व संस्थागत प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती को दिया जा रहा है.

संयुक्त जिला चिकित्सालय की पैथोलॉजी में लगी विशेष मशीन करीब 1 घंटे में दो कोरोना के सैंपल टेस्ट करती है. 1 घंटे संचालित होने वाली पैथोलॉजी में प्रतिदिन 20 से 25 जांच की जा रही है. जिला स्तर पर शुरू हुई इस सेवा से न केवल स्वास्थ्य कर्मियों को बड़ी राहत दी है. बल्कि कोरोना के लक्षण वाले मरीजों की भी त्वरित जांच होने से उन्हें भी राहत मिलती दिख रही है.

पीसीआर के माध्यम की जा रही है जांच
अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट डॉ. ए पी मिश्रा बताते हैं कि इस मशीन पर पीसीआर सिस्टम से जांच की जाती है, जिसकी रिपोर्ट कुछ ही घंटे में आ जाती है. इस सेवा का लाभ प्राथमिक स्तर पर ऑपरेशन के लिए आने वाले मरीज, प्रसव कराने वाली महिलाएं को मिल रहा है. सांस लेने में तकलीफ व अति गंभीर श्रेणी के मरीजों को भी यह सुविधा दी जा रही है.

3 दिन में आती थी रिपोर्ट
स्वास्थ्य कर्मियों की मानें तो अस्पताल आने वाले गंभीर मरीजों का कोरोना वायरस कराने के लिए सैंपल भेजने के 3 दिन बाद लखनऊ स्थित राम मनोहर लोहिया से रिपोर्ट मिल पाती थी. ऐसे में समय से उपचार न मिलने के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता था. लेकिन जिलास्तरीय अस्पताल में कोरोना जांच की सुविधा शुरू होने से अब वह परेशानी दूर हो गई है. यहां महज कुछ घंटों में जांच रिपोर्ट मिल जाती है. इसके कारण मरीजों के इलाज में देरी नहीं होती है और समय पर इलाज मिलने से उन्हें राहत मिलती दिख रही है.

इसे भी पढ़ें-बलरामपुर: ग्राम रोजगार सेवकों का बकाया मानदेय देने में बीडीओ साहब कर गए खेल

सीएमओ डॉ. घनश्याम सिंह ने बताया कि मरीजों की सुविधा के लिए प्राथमिक स्तर पर कोरोना के संभावित या असंभावित मरीजों की सैम्पलिंग कर उनकी जांच कराई जा रही है. इस जांच में मरीज की रिपोर्ट जाने पर उसका सैंपल फाइनल टेस्ट के लिए राम मनोहर लोहिया लखनऊ भेजा जाता है. इस दौरान मरीज को आइसोलेशन वार्ड में ही रखा जाता है.

बलरामपुर: कोरोना के तेजी से बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य महकमे ने विशेष पहल की है. इसके तहत अब संयुक्त जिला अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों की अस्पताल की पैथोलॉजी में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच की जा रही है. प्राथमिक स्तर पर होने वाली जांच का लाभ अस्पताल में ऑपरेशन कराने वाले मरीज व संस्थागत प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती को दिया जा रहा है.

संयुक्त जिला चिकित्सालय की पैथोलॉजी में लगी विशेष मशीन करीब 1 घंटे में दो कोरोना के सैंपल टेस्ट करती है. 1 घंटे संचालित होने वाली पैथोलॉजी में प्रतिदिन 20 से 25 जांच की जा रही है. जिला स्तर पर शुरू हुई इस सेवा से न केवल स्वास्थ्य कर्मियों को बड़ी राहत दी है. बल्कि कोरोना के लक्षण वाले मरीजों की भी त्वरित जांच होने से उन्हें भी राहत मिलती दिख रही है.

पीसीआर के माध्यम की जा रही है जांच
अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट डॉ. ए पी मिश्रा बताते हैं कि इस मशीन पर पीसीआर सिस्टम से जांच की जाती है, जिसकी रिपोर्ट कुछ ही घंटे में आ जाती है. इस सेवा का लाभ प्राथमिक स्तर पर ऑपरेशन के लिए आने वाले मरीज, प्रसव कराने वाली महिलाएं को मिल रहा है. सांस लेने में तकलीफ व अति गंभीर श्रेणी के मरीजों को भी यह सुविधा दी जा रही है.

3 दिन में आती थी रिपोर्ट
स्वास्थ्य कर्मियों की मानें तो अस्पताल आने वाले गंभीर मरीजों का कोरोना वायरस कराने के लिए सैंपल भेजने के 3 दिन बाद लखनऊ स्थित राम मनोहर लोहिया से रिपोर्ट मिल पाती थी. ऐसे में समय से उपचार न मिलने के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता था. लेकिन जिलास्तरीय अस्पताल में कोरोना जांच की सुविधा शुरू होने से अब वह परेशानी दूर हो गई है. यहां महज कुछ घंटों में जांच रिपोर्ट मिल जाती है. इसके कारण मरीजों के इलाज में देरी नहीं होती है और समय पर इलाज मिलने से उन्हें राहत मिलती दिख रही है.

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सीएमओ डॉ. घनश्याम सिंह ने बताया कि मरीजों की सुविधा के लिए प्राथमिक स्तर पर कोरोना के संभावित या असंभावित मरीजों की सैम्पलिंग कर उनकी जांच कराई जा रही है. इस जांच में मरीज की रिपोर्ट जाने पर उसका सैंपल फाइनल टेस्ट के लिए राम मनोहर लोहिया लखनऊ भेजा जाता है. इस दौरान मरीज को आइसोलेशन वार्ड में ही रखा जाता है.

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