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डाकुओं के गढ़ में बच्चों को क्या सिखा रही है चित्रकूट पुलिस ! - डाकूओं के बच्चों की पढ़ाई

डाकुओं के लिए कुख्यात इलाकों में पुलिस ने बदलाव लाने का बेहतर तरीका निकाला है. पुलिस इन इलाकों में दहशत खत्म करने के लिए एसपी के नेतृत्व में छोटे बच्चों पर फोकस कर रही है. वहीं इसके लिए पुलिसिया स्कूल चलाए जा रहे हैं.

डाकूओं के बच्चों को पढ़ा रही है चित्रकूट पुलिस.
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Published : Jun 27, 2019, 12:23 PM IST

चित्रकूट: जनपद के गांव निहि में एसपी के नेतृत्व में पुलिस ने एक बेहतरीन और सार्थक पहल की है. कभी डाकुओं का साम्राज्य रहे इस गांव में खाकी ने गरीब बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है. दरअसल इन बच्चों के अभिभावकों का किसी न किसी डाकू गैंग के साथ ताल्लुक रहा है. ऐसे में पुलिस की यह पहल एक नई पीढ़ी को अपराध की अंधेरी दुनिया से बचाने का काम रही है. ग्रामीणों और उनके बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगाने वाली यह पहल समाज को नई दिशा दे रही है.

डाकुओं के बच्चों को पढ़ा रही है चित्रकूट पुलिस.

डाकुओं के खौफ को मिटाने वाली कार्रवाई
चित्रकूट पाठा के गांव हमेशा से ही डाकू की शरण स्थली रहे हैं. इस बीहड़ में कुख्यात डाकू ददुआ, ठोकिया और बबली जैसे डाकू राज करते आ रहे थे. निहि गांव सात लाख के इनामी डाकू बबली कोल का गढ़ माना जाता रहा है. साल 2017 में मुठभेड़ के बाद पुलिस ने डाकू बबली गैंग की रीढ़ तोड़ दी. पुलिस ने इस गैंग के पास से सेमी ऑटोमेटिक गन जैसे अत्याधुनिक हथियार, कारतूसों का जखीरा और भारी मात्रा में राइफल बरामद किए थे. इस कार्रवाई में एक जाबांज दारोगा जय प्रकाश सिंह को जान गवांनी पड़ी थी, साथ ही एक अन्य दारोगा भी गंभीर रूप से घायल हो गया था.

खाकी की ढाल में बच्चों की पाठशाला
इस मुठभेड़ का ही असर रहा कि जिन इलाकों में डाकुओं की दहशत हुआ करती थी, वहां आज शांति का माहौल है. चित्रकूट पुलिस ने इन गांवों के गुमराह नौजवानों, छोटे बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने का प्रयास शुरू किया गया. एसपी के नेतृत्व में बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि जागृत करने की कोशिश की जा रही है. इस पहल के माध्यम से ग्रामीणों को इस काबिल बनाया जा रहा है जिससे उन्हें हथियार उठाकर गुनाह का रास्ता अख्तियार न करना पड़े.

शिक्षित होने के बाद इन बच्चों को आगे बढ़ने के मौके मिलेंगे, जिससे ये सरकारी नौकरी और व्यापार में जा सकते हैं. बच्चों को पढ़ाने के लिए एक टीम बनाई गई है जो गांव में जाकर बच्चों को अलग-अलग विषयों का ज्ञान देने का काम कर रही है. इस दौरान सुरक्षा का भी खास ख्याल रखा जाता है. इस पहल से गांव में भयमुक्त समाज की रचना हो सकेगी और साथ ही डाकूराज खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा.
केपी दुबे, थाना प्रभारी निरीक्षक, मानिकपुर

चित्रकूट: जनपद के गांव निहि में एसपी के नेतृत्व में पुलिस ने एक बेहतरीन और सार्थक पहल की है. कभी डाकुओं का साम्राज्य रहे इस गांव में खाकी ने गरीब बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है. दरअसल इन बच्चों के अभिभावकों का किसी न किसी डाकू गैंग के साथ ताल्लुक रहा है. ऐसे में पुलिस की यह पहल एक नई पीढ़ी को अपराध की अंधेरी दुनिया से बचाने का काम रही है. ग्रामीणों और उनके बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगाने वाली यह पहल समाज को नई दिशा दे रही है.

डाकुओं के बच्चों को पढ़ा रही है चित्रकूट पुलिस.

डाकुओं के खौफ को मिटाने वाली कार्रवाई
चित्रकूट पाठा के गांव हमेशा से ही डाकू की शरण स्थली रहे हैं. इस बीहड़ में कुख्यात डाकू ददुआ, ठोकिया और बबली जैसे डाकू राज करते आ रहे थे. निहि गांव सात लाख के इनामी डाकू बबली कोल का गढ़ माना जाता रहा है. साल 2017 में मुठभेड़ के बाद पुलिस ने डाकू बबली गैंग की रीढ़ तोड़ दी. पुलिस ने इस गैंग के पास से सेमी ऑटोमेटिक गन जैसे अत्याधुनिक हथियार, कारतूसों का जखीरा और भारी मात्रा में राइफल बरामद किए थे. इस कार्रवाई में एक जाबांज दारोगा जय प्रकाश सिंह को जान गवांनी पड़ी थी, साथ ही एक अन्य दारोगा भी गंभीर रूप से घायल हो गया था.

खाकी की ढाल में बच्चों की पाठशाला
इस मुठभेड़ का ही असर रहा कि जिन इलाकों में डाकुओं की दहशत हुआ करती थी, वहां आज शांति का माहौल है. चित्रकूट पुलिस ने इन गांवों के गुमराह नौजवानों, छोटे बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने का प्रयास शुरू किया गया. एसपी के नेतृत्व में बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि जागृत करने की कोशिश की जा रही है. इस पहल के माध्यम से ग्रामीणों को इस काबिल बनाया जा रहा है जिससे उन्हें हथियार उठाकर गुनाह का रास्ता अख्तियार न करना पड़े.

शिक्षित होने के बाद इन बच्चों को आगे बढ़ने के मौके मिलेंगे, जिससे ये सरकारी नौकरी और व्यापार में जा सकते हैं. बच्चों को पढ़ाने के लिए एक टीम बनाई गई है जो गांव में जाकर बच्चों को अलग-अलग विषयों का ज्ञान देने का काम कर रही है. इस दौरान सुरक्षा का भी खास ख्याल रखा जाता है. इस पहल से गांव में भयमुक्त समाज की रचना हो सकेगी और साथ ही डाकूराज खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा.
केपी दुबे, थाना प्रभारी निरीक्षक, मानिकपुर

Intro:एंकर-चित्रकूट के गांव निहि में जहां कभी डाकू का साम्राज्य था आज खाकी ने अपनी लीक से हटकर ऐसे बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है जिनके अभिभावक कहीं ना कहीं डाकू गैंग के संरक्षण दाता या साथी रहे हैं पुलिस पाठशाला का मुख्य उद्देश शिक्षा के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करना वही बच्चों को शिक्षा के प्रति रुचि जागृत करना हैBody: चित्रकूट पाठा के गांव हमेशा से डाकू की शरण स्थली रहे हैं इस बीहड़ में कुख्यात डाकू ददुआ से लेकर ठोकिया और अब बबली जैसे डाकू राज करते आ रहे थे पर पुलिसिया कार्यवाही के बाद इन इलाकों में शांति का माहौल कायम हुआ है सात लाख के इनामी डाकू बबली कोल का यह निहि गांव गढ़ माना जाता रहा है 2017 को हुई मुठभेड़ के बाद पुलिस ने डाकू बबली की रीढ़ को तोड़ दिया इस गैंग के पास से अत्याधुनिक हथियार जैसे सेमी ऑटोमेटिक गन कई कारतूस राइफल भारी मात्रा में पुलिस ने बरामद किए पर वही एक जांबाज दारोगा जय प्रकाश सिंह को इस अभियान में शहीद होना पड़ा वहीं एक दारोगा का गंभीर रूप से घायल हुआ था पर इस मुठभेड़ का असर यह रहा कि आज जिन इलाकों में डाकुओ में दहशत हुआ करती थी आज शांति का माहौल है चित्रकूट पुलिस ने इन गांव के गुमराह युवकों के बच्चों युवकों को पढ़ाई शिक्षा के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया और शिक्षा की गुण को भी समझाने वही बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि जागृत करने की कोशिश की गई कि इन ग्रामीणों को शिक्षित और उनके बच्चों को शिक्षित होने के बाद बंदूक जैसे असलहे लेकर आतंक के राह में न जाना पड़े वही मानिकपुर थाना प्रभारी केपी दुबे ने ग्रामीणों को समझाया की शिक्षित होने के बाद इन बच्चों के आगे कई मौके मिलेंगे जिससे यह सरकारी नौकरी और व्यापार में जा सकते हैं ताकि गांव में भयमुक्त समाज की रचना हो सके वही डाकू का समराज समाप्त हो सकेConclusion:फ़वीओ--वास्तव में इन गांवों की स्थिति बेहद दयनीय हैं यहां पर व्यापार और नौकरी की जगह लोग जंगलों से लकड़ी काटकर और उनके सर गड्ढे बनाकर शहरों कस्बों आदि में आकर बेचते हैं फिर अपना पेट पालते हैं इन गांव में ज्यादातर आदिवासी कोल बिरादरी के लोग निवास करते हैं जिन्हें सरकार द्वारा आरक्षण श्रेणी में रखा गया है ऐसे में अगर खाकी अपने कर्तव्य और निष्ठा से इनको शिक्षा के प्रति जागरूक और जागृत करता है तो आगे इन बच्चे शिक्षित होकर कहीं ना कहीं सरकारी नौकरी या फिर व्यापार में आगे बढ़ सकते हैं

बाइट--राजेश। (छात्र)
बाइट- के पी दुबे (थाना प्रभारी निरीक्षक मानिकपुर)

रिपोर्ट-जूड़ मार्टिन
चित्रकूट
9935048515
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