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लखनऊ : छतर मंजिल में खुदाई के दौरान मिली वर्षों पुरानी नाव - tunnel

पुरातत्व विभाग पिछले कुछ दिनों से ऐतिहासिक इमारतों में शुमार छतर मंजिल में खुदाई कर रहा है. पुरातत्व विभाग की इस खुदाई में वर्षों पुरानी एक नाव मिली है.

छतर मंजिल
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Published : May 9, 2019, 7:16 PM IST

लखनऊ : राजधानी लखनऊ स्थित ऐतिहासिक इमारत छतर मंजिल में खुदाई के दौरान वर्षों पुरानी एक नाव मिली है. बता दें छतर मंजिल में पिछले कुछ दिनों से पुरातत्व विभाग खुदाई कर रहा है और इस दौरान छतर मंजिल के पिछले हिस्से में करीब 30 फीट लंबी और 8 फीट चौड़ी एक नाव मिली है. इससे पहले खुदाई के दौरान पिछले हिस्से में ही 2 सुरंगें मिल चुकी हैं.

संवाददाता ने दी जानकारी.

जानें क्या है छतर मंजिल

  • राजधानी लखनऊ के बीचोंबीच स्थित छतर मंजिल ऐतिहासिक इमारत है.
  • बताया जाता है कि इस भवन का प्रयोग मुख्य रूप से अवध के नवाबों की बेगमों के रहने के लिए किया जाता था.
  • छतर मंजिल का निर्माण नवाब सहादत अली खान ने 1798 ईसवीं में कराया था.
  • सहादत अली खान ने अपनी मां छतरपुर के नाम पर ही इस इमारत का नाम रखा था.
  • छतर मंजिल को इंडो-इटालियन स्थापत्य का बेजोड़ नमूना कहा जाता है.
  • इमारत की निचली दीवारों से गोमती का पानी टकराता था और इमारत के निचले हिस्से में पानी भरा रहता था.

इतिहासकारों की मानें तो भवन के निचले हिस्से में गोमती का पानी भरा रहता था और गोमती के रास्ते ही नाव की मदद से बेगमें छतर मंजिल से शहर स्थित दूसरी इमारतों में जाया करती थीं. इमारत में कई सुरंगें भी बनाई गईं थीं, जिससे आपातकाल की स्थिति में बेगमों को छतर मंजिल से बाहर निकाला जा सके.

लखनऊ : राजधानी लखनऊ स्थित ऐतिहासिक इमारत छतर मंजिल में खुदाई के दौरान वर्षों पुरानी एक नाव मिली है. बता दें छतर मंजिल में पिछले कुछ दिनों से पुरातत्व विभाग खुदाई कर रहा है और इस दौरान छतर मंजिल के पिछले हिस्से में करीब 30 फीट लंबी और 8 फीट चौड़ी एक नाव मिली है. इससे पहले खुदाई के दौरान पिछले हिस्से में ही 2 सुरंगें मिल चुकी हैं.

संवाददाता ने दी जानकारी.

जानें क्या है छतर मंजिल

  • राजधानी लखनऊ के बीचोंबीच स्थित छतर मंजिल ऐतिहासिक इमारत है.
  • बताया जाता है कि इस भवन का प्रयोग मुख्य रूप से अवध के नवाबों की बेगमों के रहने के लिए किया जाता था.
  • छतर मंजिल का निर्माण नवाब सहादत अली खान ने 1798 ईसवीं में कराया था.
  • सहादत अली खान ने अपनी मां छतरपुर के नाम पर ही इस इमारत का नाम रखा था.
  • छतर मंजिल को इंडो-इटालियन स्थापत्य का बेजोड़ नमूना कहा जाता है.
  • इमारत की निचली दीवारों से गोमती का पानी टकराता था और इमारत के निचले हिस्से में पानी भरा रहता था.

इतिहासकारों की मानें तो भवन के निचले हिस्से में गोमती का पानी भरा रहता था और गोमती के रास्ते ही नाव की मदद से बेगमें छतर मंजिल से शहर स्थित दूसरी इमारतों में जाया करती थीं. इमारत में कई सुरंगें भी बनाई गईं थीं, जिससे आपातकाल की स्थिति में बेगमों को छतर मंजिल से बाहर निकाला जा सके.

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लखनऊ। राजधानी लखनऊ स्थित ऐतिहासिक छतर मंजिल में ऐतिहासिक नाव मिली है ऐतिहासिक छतर मंजिल में पिछले कुछ दिनों से पुरातत्व विभाग खुदाई कर रहा था खुदाई के दौरान छतर मंजिल के पिछले हिस्से में एक 30 फीट लंबी नाव मिली है।


वियो

ऐतिहासिक दृष्टि से इस नाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है बताते चलें खुदाई के दौरान पहले ही इमारत के पिछले हिस्से में 2 सुरंग मिल चुकी हैं वहीं अब खुदाई के दौरान एक नाव मिली है या ना हो तकरीबन 30 फीट लंबी है वह 8 फीट चौड़ी।


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राजधानी लखनऊ के बीचोबीच स्थित छतर मंजिल का ऐतिहासिक महत्व है छतर मंजिल में नवाबों की रानीआ रहा करती थी छतर मंजिल का निर्माण नवाब सहादत अली खान मैं 1798 यीशु में शुरू किया था सहादत अली खान ने अपनी मां छतरपुर के नाम पर ही इस इमारत का नाम छतर मंजिल रखा था छतर मंजिल इंडोर इटालियन स्थापत्य का एक भवन थ कहते हैं कि इमारत की निचली दीवारों से गोमती का पानी टकराता था जिससे इमारत के निचले हिस्से में भी ठंडा पानी भरा रहता था इस भवन का प्रयोग मुक्ता रूप से अवध के नवाबों की बेगम ओके रहने के लिए के लिए किया जाता था।

इतिहासकारों का कहना है कि भवन के निचले हिस्से में गोमती का पानी भरा रहता था और गोमती के रास्ते ही नाव की मदद से रानिया छतर मंजिल से शहर में स्थित दूसरी इमारतों में जाया करती थी इमारत में कई सुरंगे भी बनाई गई थी जिससे आपातकाल की स्थिति में रानियों को छतर मंजिल से बाहर निकाला जा सके।


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